19 महीने के निचले स्तर पर रिटेल महंगाई दर, IIP ग्रोथ बढ़कर हुई 2.4 फीसदी

Retail inflation fell to a 19-month low, IIP growth at 2.4 per cent
19 महीने के निचले स्तर पर रिटेल महंगाई दर, IIP ग्रोथ बढ़कर हुई 2.4 फीसदी
19 महीने के निचले स्तर पर रिटेल महंगाई दर, IIP ग्रोथ बढ़कर हुई 2.4 फीसदी
हाईलाइट
  • उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जनवरी 2019 में घटकर 2.5% पर पहुंच गई है।
  • ग्रोथ और महंगाई दोनों ही मोर्चों पर इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है।
  • फ्यूल और कुछ फूड आइटम्स के दामों में आई कमी की वजह से खुदरा महंगाई दर का यह 18 महीनों का नीचला स्तर है।

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ग्रोथ और महंगाई दोनों ही मोर्चों पर इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर है। उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जनवरी 2019 में घटकर 2.5% पर पहुंच गई है। दिसंबर 2018 में यह 2.19% थी। फ्यूल और कुछ फूड आइटम्स के दामों में आई कमी की वजह से खुदरा महंगाई दर का यह 19 महीनों का नीचला स्तर है। वहीं  दिसंबर 2018 में आईआईपी ग्रोथ बढ़कर 2.4 फीसदी पर पहुंच गई है। नवंबर में यह 0.5 फीसदी थी। सेंट्रल स्टेटस्टिक्स ऑफिस की ओर से मंगलवार को ये आंकड़े जारी किए गए है।

मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर फूड प्राइज इंडेक्स महीने दर महीने के आधार पर दिसंबर के -2.51% के मुकाबले जनवरी में -2.17% पर पहुंच गया है। ईंधन और बिजली की महंगाई दर दिसंबर के 4.54% के मुकाबले घटकर 2.2% हो गई। हाउसिंग इंफ्लेशन दिसंबर में 5.32% थी जो जनवरी में घटकर 5.2% पर पहुंच गई। सब्जियों की महंगाई दर -16.14% से बढ़कर -13.3% हो गई। दिसंबर के 3.52% की तुलना में जनवरी में कपड़ों और जूतों की महंगाई दर घटकर 2.95% हो गई। दालों की महंगाई दर --7.13% से बढ़कर -5.5% हो गई।

क्या होता है CPI इंडेक्स?
CPI यानि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक। यह रिटेल महंगाई का इंडेक्स है। रिटेल महंगाई वह दर है, जो जनता को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। यह खुदरा कीमतों के आधार पर तय की जाती है। भारत में खुदरा महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी की करीब 45% है। दुनिया भर में ज्यादातर देशों में खुदरा महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियां बनाई जाती हैं। 

आईआईपी ग्रोथ बढ़कर 2.4 फीसदी पर
दिसंबर 2018 में आईआईपी ग्रोथ बढ़कर 2.4 फीसदी पर पहुंच गई है। नवंबर में यह 0.5 फीसदी थी।ये इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ का 17 महीनों का नीचला स्तर था। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर खासकर कंज्यूमर और कैपिटल गुड्स के उत्पादन में आई बढ़त की वजह से  इंडस्ट्रियल आउटपुट ग्रोथ में तेजी देखी गई है। मैन्युफैक्चरिंग  सेक्टर की ग्रोथ -0.4 फीसदी से बढ़कर 2.7 फीसदी पर आ गई है। महीने दर महीने के आधार पर दिसंबर में कैपिटल गुड्स सेक्टर की ग्रोथ -3.4 फीसदी से बढ़कर 5.9 फीसदी रही है।

इंटरमीडियेट गु्ड्स सेक्टर की ग्रोथ -4.5 फीसदी बढ़कर -1.5 फीसदी हो गई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर की ग्रोथ  2.9 फीसदी दर्ज की गई है नवंबर में यह -0.9 फीसदी थी। जबकि नॉन कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर की ग्रोथ -0.6 फीसदी से बढ़कर 5.3 फीसदी हो गई है। हालांकि दिसंबर में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 2.7 फीसदी से घटकर -1 फीसदी रही है। महीने दर महीने आधार पर दिसंबर में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर की ग्रोथ 5.1 फीसदी से घटकर 4.4 फीसदी पर पहुंच गई है।

 

Created On :   12 Feb 2019 4:44 PM GMT

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