खेत से रसोई तक का सफर दिन ब दिन होता जा रहा महंगा

The journey from farm to kitchen is getting expensive day by day
खेत से रसोई तक का सफर दिन ब दिन होता जा रहा महंगा
महंगाई खेत से रसोई तक का सफर दिन ब दिन होता जा रहा महंगा
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  • खेत से रसोई तक का सफर दिन ब दिन होता जा रहा महंगा

डिजिटल डेस्क, नोएडा। 2020 की शुरुआत से चरणों में लगाए गए कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के नतीजों से उबरने के लिए पहले से ही संघर्ष कर रही जनता को आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों ने भारी झटका दिया है। सब्जियां हों या अनाज, खेतों से बाहर निकालने से लेकर आम आदमी के किचन तक पहुंचने तक कीमतें आसमान छू रही हैं।

जब तक यह खेतों से बाजारों, थोक व्यापारी और विक्रेताओं के माध्यम से उपभोक्ता तक पहुंचता है, कीमतें कई गुना बढ़ जाती हैं। किसान खेत में सब्जियां उगाता है और उसे सरकार द्वारा अनिवार्य बाजारों (मंडियों) में बेचता है, लेकिन इन्हें मंडी में लाने के लिए परिवहन शुल्क की तरह बहुत अधिक खर्च आता है, जबकि इसे आढ़ती या कमीशन एजेंट के पास ले जाते हैं।

उत्तर प्रदेश की मंडी समितियों में किसानों के माल के लिए 2.5 फीसदी पैसा दिया जाता है, जबकि आढ़ती भी 2.5 फीसदी कमीशन के तौर पर वसूलती है। इधर, सब्जी के दाम में 5 फीसदी का इजाफा होता है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए मंडी समिति की दरों को 2.5 से घटाकर 1.5 फीसदी कर दिया है। यानी किसानों को अब कुल कीमत का 5 फीसदी की जगह पहले के 5 फीसदी का ही भुगतान करना होगा। बावजूद इसके खेत से निकलने वाला सामान जब तक आम आदमी के किचन में पहुंचता है, तब तक उसकी कीमत आसमान पर पहुंच जाती है।

बाजार समितियों में, खुदरा विक्रेताओं के अलावा बड़े और थोक व्यापारियों को खाद्यान्न बेचा जाता है, जो परिवहन की लागत और बेचे जाने वाले सामान की पैकेजिंग और खाद्यान्न की समग्र लागत की वसूली करते हैं। खेत से लेकर आम आदमी के रसोई घर तक 10 रुपये की कीमत वाले उत्पाद की कीमत 25 से 30 रुपये तक हो जाती है। खराब मौसम, ट्रांसपोर्टरों की हलचल, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से माल के दाम बढ़ जाते हैं।

खेत से रसोई तक का सफर दिन ब दिन महंगा होता जा रहा है और आम आदमी का बजट लगातार कम होता जा रहा है। गाजियाबाद मंडी के एक आढ़ती एसपी यादव ने आईएएनएस को बताया कि किसान जब अपना माल लेकर मंडी पहुंचता है तो वह खेत की कीमत, मजदूरों द्वारा खर्च किया गया पैसा और बाजार में लाकर खर्च किए गए पैसे को जोड़कर यहां लाता है। कमीशन एजेंट किसानों से 2.5 प्रतिशत कमीशन लेता है और बाजार समिति 1.5 प्रतिशत लेती है जिसके बाद माल की कीमत बढ़ने लगती है।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   8 Oct 2022 12:31 PM IST

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