AGR Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वोडा आइडिया, टाटा ने किया पार्ट पेमेंट

Voda Idea, Tata make part payment towards statutory dues
AGR Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वोडा आइडिया, टाटा ने किया पार्ट पेमेंट
AGR Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वोडा आइडिया, टाटा ने किया पार्ट पेमेंट
हाईलाइट
  • 17 मार्च तक पेमेंट नहीं किया तो उनके एमडी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी
  • वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने DoT को पार्ट पेमेंट किया
  • वोडाफोन और टाटा ने 2
  • 500 करोड़ रुपये और 2
  • 197 करोड़ रुपये का पार्ट पेमेंट किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने दूरसंचार विभाग (DoT) को लगभग 2,500 करोड़ रुपये और 2,197 करोड़ रुपये का पार्ट पेमेंट किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर मामले में भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया समेत अन्य डिफॉल्टर टेलीकॉम कंपनियों को शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि बकाया रकम 17 मार्च तक नहीं चुकाई तो उनके एमडी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।

वोडाफोन ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि बोर्ड यह देखने के लिए स्थिति का और जायजा लेगा कि अतिरिक्त भुगतान कैसे किया जा सकता है? कंपनी ने यह भी कहा कि वह सप्ताह के अंत से पहले 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) ने कहा कि उसने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया का  2,197 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। भारती एयरटेल ने दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपए चुका दिए हैं। बाकी देनदारी का आकलन करने के बाद बकाया भुगतान 17 मार्च तक करने का भरोसा दिया है।

किस कंपनी पर कितना बकाया
भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज सहित दूरसंचार ऑपरेटरों ने जनवरी में SC का रुख किया था, जो AGR मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को संशोधित करने की मांग कर रही थी। अदालत ने पहले ही अपने पहले के आदेश की समीक्षा करने की याचिका को खारिज कर दिया है। वोडा आइडिया पर DoT का 50,000 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि भारती एयरटेल को 35,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। टाटा टेलीसर्विसेज, जिसने एयरटेल को अपना मोबाइल सेवा व्यवसाय बेचा, पर लगभग 14,000 करोड़ रुपये का बकाया है।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कर्ट ने कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टरों को नोटिस जारी किया था और उनसे कहा था वह अगली सुनवाई तक दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करें। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को की जानी है। जस्टिस अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नज़ीर और एम आर शाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने DoT के डेस्क अधिकारी के दिए गए आदेश पर नाराज़गी जताई जताते हुए कहा था कि अगर इस आदेश को एक घंटे में वापस नहीं लिया गया तो अधिकारी को गिरफ्तार किया जाएगा। इस आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने तुरंत अपना नोटिफिकेशन भी वापस ले लिया था।

अक्टूबर 2019 में SC ने दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट का एजीआर पर फैसला अक्टूबर 2019 में आया था। सरकार का पक्ष यह था कि टेलीकॉम कंपनियों की सालाना एजीआर की गणना करने में गैर टेलीकॉम कारोबार से होने वाली आय को भी जोड़ा जाए। कोर्ट ने सरकार के पक्ष को मंजूरी दी थी। सालाना एजीआर के ही एक हिस्से का भुगतान टेलीकॉम कंपनी लाइसेंस और स्पेकट्रम शुल्क के रूप में करती है। इस फैसले का सबसे बुरा असर वोडाफोन इंडिया लिमिटेड पर पड़ा। Reliance Jio एकमात्र कंपनी है जिसने अपना बकाया 60 रुपये चुकाया है। यह राशि दूसरों की तुलना में काफी कम थी क्योंकि कंपनी ने 2016 में अपने ऑपरेशन शुरू किए थे। 

Created On :   17 Feb 2020 4:03 PM GMT

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