Plant Herbarium Technology: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में “प्लांट हर्बेरियम तकनीक” पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में “प्लांट हर्बेरियम तकनीक” पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन

भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग द्वारा “प्लांट हर्बेरियम तकनीक” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों को पौधों के संरक्षण, संग्रहण, प्रेसिंग एवं हर्बेरियम निर्माण की वैज्ञानिक तकनीकों से परिचित कराना था।

इस कार्यशाला की मुख्य वक्ता एवं विशेषज्ञ डॉ. पूजा सिंह, प्रोफेसर (वनस्पति विज्ञान), शासकीय पी.जी. कॉलेज, बेगमगंज (रायसेन) ने कार्यशाला के प्रथम व उद्घाटन सत्र में “हर्बेरियम तकनीक” विषय पर सैद्धांतिक व्याख्यान प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने हर्बेरियम की परिभाषा, निर्माण विधि, उपयोगिता और संरचना की प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक समझाया गया। छात्रों को पौधों के संग्रहण, प्रेसिंग, सुखाने, माउंटिंग और लेबलिंग की जैसे महत्वपूर्ण चरणों से परिचित कराया गया। हर्बेरियम का बहुविध शैक्षणिक, औद्योगिक, चिकित्सा, कृषि, पर्यावरणीय और अनुसंधान में उपयोग कैसे होता है, यह भी बताया। डॉ सिंह ने हर्बेरियम तकनीक के साथ-साथ बीज बैंक को बनाने की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला, जिसमे उन्होंने बीज चयन, संग्रहण, प्रसंस्करण और भंडारण की विस्तृत जानकारी, बीजों को संग्रह करते समय अच्छे मातृ वृक्षों का चयन, उचित समय पर संग्रहण, सुखाने की विधियाँ और भंडारण की तकनीकें बताई। इस सत्र में डॉ. पूर्वी भारद्वाज, अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय, डॉ. अंकित अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, जीवन विज्ञान विभाग, श्रीमती मधु मिश्रा, डॉ. कुसुम शर्मा, डॉ. केशम लेबनान सहित विज्ञान संकाय के सभी सदस्य उपस्थित थे। द्वितीय सत्र में डॉ. पूजा सिंह एवं डॉ. सुची मोदी द्वारा विद्यार्थियों को हर्बेरियम निर्माण की व्यावहारिक विधियों का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने स्वयं हर्बेरियम शीट तैयार करने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया।

इस कार्यशाला की समन्वयक डॉ. सुची मोदी थी। इस कार्यशाला के माध्यम से छात्रों ने पौधों के वैज्ञानिक संग्रहण एवं हर्बेरियम निर्माण की सैद्धांतिक और प्रायोगिक जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों में फील्ड वनस्पति विज्ञान, वर्गिकी और अनुसंधान की ओर रुचि और आत्मविश्वास बढ़ा।

Created On :   24 May 2025 5:02 PM IST

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