भोपाल: साहित्य का विश्वरंग का ऑनलाइन आयोजन

साहित्य का विश्वरंग का ऑनलाइन आयोजन
साहित्य वैश्विक एकता का प्रतीक है - संतोष चौबे

डिजिटल डेस्क, भोपाल। विश्वरंग, साझा संसार नीदरलैंड्स, वनमाली सृजन पीठ व भारतीय प्रवासी साहित्य एवं संस्कृति शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'साहित्य का विश्वरंग' ऑनलाइन आयोजन, रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।

इस आयोजन में इण्डोनेशिया से सारिका जैथलिया, जापान से रमा पूर्णिमा शर्मा, अरब अमीरात से मीरा ठाकुर और मंजू सिंह तथा भारत से वीणा सिन्हा ने भाग लिया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में चौबे जी ने कहा कि साहित्य वैश्विक एकता का प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने विश्व रंग महोत्सव 22 से 24 दिसम्बर को रवीन्द्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल में आयोजित किये जाने की घोषणा की। इस आयोजन में विश्वभर से विद्वान भाग लेंगे। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंदी भाषा केन्द्र भी शीघ्र ही स्थापित किये जाने की बात कही।

लीलाधर मंडलोई ने अपने वक्तव्य में प्रवासी साहित्य पर 'साहित्य का विश्व रंग' व 'प्रवास मेरा नया जन्म' आयोजन के साथ साथ हॉलैण्ड से प्रकाशित 'साहित्य का विश्व रंग' पत्रिका के योगदान को रेखांकित किया।

रमा पूर्णिमा शर्मा ने जापान में, भारतीय संस्कृति व जापानी भाषा में, हिंदु देवी देवताओं के नाम और जापानी लोगों द्वारा पूजा किये जाने के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही कहा कि जापानी लोग अपने आपको सूर्यवंशी मानते हैं।

अरब अमीरात से मीरा ठाकुर ने ग्लोबल विलेज (वैश्विक मेले) पर और मंजू सिंह ने 'निमिषा' शीर्षक संस्मरण के माध्यम से दुबई की सामाजिक व्यवस्था पर रोचक संस्मरण सुनाया। सारिका जैथलिया ने कहा कि इण्डोनेशिया आधुनिकता और परम्पराओं का अनूठा संगम है और बाली देवताओं का द्वीप है।

भारत से वीणा सिन्हा ने युद्ध की विभिषिका और विस्थापन की पीड़ा पर मार्मिक रचनापाठ किया।

साझा संसार नीदरलैंड्स के अध्यक्ष एवं साहित्य का विश्व रंग के संयोजक रामा तक्षक ने आयोजन का सफल संचालन और सभी वक्ताओं और श्रोताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

Created On :   30 Oct 2023 5:10 AM GMT

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