सदस्यता बरकरार: उद्धव ने साधा निशाना- आठवले ने फैसले का किया स्वागत- सांसद चतुर्वेदी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण समझौता

उद्धव ने साधा निशाना- आठवले ने फैसले का किया स्वागत- सांसद चतुर्वेदी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण समझौता
  • शिंदे वाला गुट ही असली शिवसेना
  • विधानसभा अध्यक्ष का फैसला नियम और कानून के मुताबिक
  • राज्य मंत्री रामदास आठवले का बयान
  • सांसद चतुर्वेदी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण समझौता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/मुंबई. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह फैसला शिंदे गुट के पक्ष में ही आना था। अब इस पर विधानसभा अध्यक्ष की मुहर लग गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने नियम और कानून के तहत सही फैसला सुनाया है। 2/3 बहुमत के माध्यम से एकनाथ शिंदे के पास 37 विधायक हैं। इसलिए चुनाव आयोग ने भी एकनाथ शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना था। आठवले ने इस फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति पर पडने वाले असर पर कहा कि इस फैसले का राज्य में और भी सकारात्मक असर पडेगा। उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में हमने 40 से अधिक सीटों का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब यह आंकड़ा और भी बढेगा।

फैसला नैतिकता का एक दुर्भाग्यपूर्ण समझौता – सांसद चतुर्वेदी

शिवसेना (उद्धव गुट) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर मुझे बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं है। हमने सुना था ‘वही होता है जो मंजूर-ए खुदा होता है’, लेकिन 2014 के बाद एक नई परंपरा शुरू हुई है, ‘वही होता है जो मंजूर-ए नरेंद्र मोदी और अमित शाह होता है’। यही हम महाराष्ट्र में होता हुए देख रहे है। सांसद चतुर्वेदी ने कहा कि यह फैसला नैतिकता का एक दुर्भाग्यपूर्ण समझौता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिसे अवैध और असंवैधानिक कहा था वह कानूनी हो गया है, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना: विधानसभा अध्यक्ष

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि 21 जून, 2022 को जब शिवसेना (संयुक्त) दो गुटों में बंटी तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़ों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (उद्धव) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले अधिकृत सचेतक बन गए थे।

विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का आशय जैसे ही स्पष्ट हुआ मुख्यमंत्री शिंदे के गुट के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। वहीं, शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राऊत ने कहा कि वह नार्वेकर के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएंगे।

विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिवसेना प्रमुख के पास किसी भी नेता को पार्टी से निकालने का अधिकार नहीं है। उन्होंने इस तर्क को भी स्वीकार नहीं किया कि पार्टी प्रमुख की इच्छा और पार्टी की इच्छा पर्यायवाची हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए वैध संविधान था और ठाकरे समूह का यह तर्क कि 2018 के संशोधित संविधान पर भरोसा किया जाना चाहिए, स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने कहा कि 1999 के संविधान ने ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ को सर्वोच्च निकाय बनाया था।

एकाधिकारशाही और परिवारवाद खत्म हुआ: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से एकाधिकारशाही और परिवारवाद खत्म हो गया है। कोई व्यक्ति पार्टी को खुद की संपत्ति समझकर अपने मनमुताबिक फैसला नहीं ले सकता है। कोई दल किसी की निजी संपत्ति नहीं हो सकती है। लोकतंत्र में पार्टी के प्रमुख यदि मनमाना फैसला लेते हैं तो पार्टी के नेताओं को उनके खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार है। मैंने भी यही आवाज उठाई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा में शिवसेना (शिंदे) के पास बहुमत है। इसलिए चुनाव आयोग पहले ही पार्टी का नाम और निशान शिवसेना (शिंदे) को दिया है।

सत्य की जीत हुई: भरत गोगावले

शिवसेना (शिंदे) के सचेतक भरत गोगावले ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से सत्य की जीत हुई है। शिवसेना (शिंदे) के सचेतक पद पर मेरी नियुक्ति वैध थी। हमने शिवसेना (उद्धव) के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की याचिका दाखिल की थी। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने शिवसेना (उद्धव) के विधायकों को अयोग्य करार नहीं दिया है। इसलिए शिवसेना (उद्धव) के विधायकों की अयोग्यता को लेकर आगे क्या करना है? इस पर मुख्यमंत्री और वकीलों से चर्चा करके अगला फैसला लिया जाएगा।

शिंदे के नेतृत्व में सरकार कार्यकाल पूरा करेगी: उपमुख्यमंत्री

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने विभिन्न नियमों का उल्लेख करते हुए जो आदेश दिया है उससे अब किसी के मन में शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता को लेकर शंका नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार कार्यकाल पूरा करेगी। फडणवीस ने कहा कि मैंने पहले भी कहा था कि शिंदे के नेतृत्व में सरकार पूरी संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया का पालन करके बनी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी पूर्व में अपने आदेश में कहा था कि सरकार को बर्खास्त करने की जरूरत नहीं है। लेकिन कुछ लोग बार-बार सरकार की स्थिरता को लेकर गलतफहमी फैलाने का काम कर रहे थे। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर सरकार की स्थिरता को लेकर कोई सवाल खड़ा नहीं किया है।

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे: उद्धव ठाकरे

शिवसेना (उद्धव) के पक्ष प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले से लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई हैं। शिवसेना (उद्धव) विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएगी। मेरी सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि इस मामले में आगामी चुनाव से पहले फैसला दें क्योंकि शिवसेना (शिंदे) चुनाव तक टाइम पास करना चाहती है। उद्धव ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व भी बचा रहेगा अथवा नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट को तय करना है। विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का अपमान किया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्यवाही करे।

उद्धव को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा: शरद पवार

राकांपा (शरद) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ शिवसेना (उद्धव) को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला दिया है उससे मुझे ऐसा मुझे विश्वास है कि उद्धव को सुप्रीम कोर्ट से ही न्याय मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष का फैसला उद्धव के लिए मददगार साबित होगा।

फैसला न्याय संगत नहीं: नितिन सातपुते

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर का विधायक अयोग्यता मामले में फैसला न्याय संगत नहीं है। यह फैसला पक्षपातपूर्ण लगता है। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट के वकील नितिन सातपुते ने अपनी प्रतिक्रिया में यह बात कही। वकील सातपुते ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष फैसले से पहले ही जिस तरह से एकनाथ शिंदे और उनकी पार्टी के विधायकों से मिल रहे थे, उससे उनके फैसले पर संदेह होता है। उन्होंने राज्यपाल की तरह ही अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। यदि कानून का पालन करते हुए फैसला सुनाया गया होता, तो शिंदे गुट के 16 विधायक अयोग्य हो जाते। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी विधानसभा अध्यक्ष ने पालन नहीं किया है। ऐसे में उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।

Created On :   10 Jan 2024 3:17 PM GMT

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