सवाल: मामला 78 पेड़ों की कटाई का , कोर्ट ने वर्धा आर्वी महामार्ग पर काटे पेड़ों की जानकारी मांगी

मामला 78 पेड़ों की कटाई का , कोर्ट ने वर्धा आर्वी महामार्ग पर काटे पेड़ों की जानकारी मांगी
  • सवाल : 4 वर्षों में इस महामार्ग पर पौधारोपण क्यों नहीं किया
  • आदेश : पीडब्ल्यूडी कार्यकारी अभियंता कोर्ट में हो हाजिर
  • 18 मार्च को होगी फिर सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्धा जिले के आर्वी शहर से जाने वाली सड़क की चौड़ीकरण के लिए 78 पेड़ों की कटाई के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर है। मामले पर गुरुवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि, हम किसी भी विकास कार्य के विरोध में नहीं हैं। नियमानुसार रास्ता चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटे जाते हैं, तो उनके बदले में पौधारोपण भी आवश्यक है, लेकिन वर्धा-आर्वी महामार्ग पर पिछले 4 वर्ष में एक बार भी पौधारोपण क्यों नहीं किया गया? यह सवाल करते हुए कोर्ट ने वर्धा के पीडब्ल्यूडी (नेशनल हाईवे विभाग) के कार्यकारी अभियंता को शपथ-पत्र दायर करने के आदेश दिए। साथ ही सोमवार 18 मार्च को सुनवाईके दौरान कोर्ट में हाजिर रहने को कहा।

यह है मामला : नागपुर खंडपीठ में पेड़ों की कटाई के खिलाफ श्रीकांत देशपांडे ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, राष्ट्रीय महामार्ग जाने वाले आर्वी शहर के रास्ते को चौड़ा करने के लिए 78 पेड़ों की कटाई करने को मंजूरी दी गई है। वृक्ष समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वृक्ष विशेषज्ञ ने सभी 78 पेड़ों का निरीक्षण किया। इनमें से 56 पुराने और 22 अन्य पेड़ हैं। इन पेड़ों की उम्र ज्यादा होने से ऑक्सीजन उत्सर्जन करने की क्षमता कम हो रही है। इसी आधार पर 78 पेड़ों की कटाई करने और मुआवजे के रूप में मौजा सारंगपुरी में 6200 पेड़ लगाने का फैसला लिया गया।

वृक्ष विशेषज्ञ की शिक्षा पर उठा सवाल : पेड़ों की उम्र ज्यादा होने से ऑक्सीजन उत्सर्जन करने की क्षमता कम हो रही है, यह तर्क वृक्ष विशेषज्ञ ने दिया था। याचिकाकर्ता ने इस तर्क पर आपत्ति जताते हुए इसे बेतुका, उपहासपूर्ण और विज्ञान से परे बताया तथा कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। कोर्ट ने भी तर्क को ध्यान में लेते हुए वृक्ष विशेषज्ञ की शिक्षा पर सवाल उठाया।

दैनिक भास्कर में प्रमुखता से खबर प्रकाशित : इसी मामले में 9 मार्च को दैनिक भास्कर ने "गजब का तर्क : पेड़ों की उम्र ज्यादा होने से ऑक्सीजन उत्सर्जन की क्षमता कम हो रही है' इस हेडिंग के साथ विशेष खबर चलाई थी, जिसमें वृक्ष विशेषज्ञ के गजब के तर्क के आधार पर स्थानीय वृक्ष प्राधिकरण द्वारा पेड़ काटने को दी गई मंजूरी पर प्रकाश डाला था।

रिकार्ड में हेराफेरी, बयान भी गलत और झूठा : बुधवार को वर्धा जिले के आर्वी शहर के नगर परिषद स्थानीय वृक्ष प्राधिकरण ने समिति के गठन संबंधित आवश्यक दस्तावेज पेश किए थे। एक ही दिन में करीबन 800 डाक्यूमेंट पंजीबद्ध करने पर कोर्ट ने संदेह जताया। साथ ही स्थानीय वृक्ष प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए गुरुवार को पंजीकृत रजिस्टर कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। गुरुवार को सुनवाई में दो पंजीकृत रजिस्टर कोर्ट में पेश किए गए। कोर्ट ने रिकार्ड की जांच करते हुए हेरा-फेरी का संदेह जताया। इस संदर्भ में दिया गया बयान गलत और झूठा होने की भी बात कोर्ट ने कही। कोर्ट ने सवाल किया कि सितंबर 2023 से पेड़ काटने पर एनओसी जारी करने में जल्दबाजी क्यों की कई? जिस दिन पेड़ काटे गए उस दिन की तारीख क्या थी? इसका विज्ञापन कब जारी किया गया? यह अवलोकन किस आधार पर किया गया कि यह सबसे पुराने वृक्ष हैं? राज्य सरकार इन सवालों पर कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई। कोर्ट ने मामले में 18 मार्च को अगली सुनवाई रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. के. एस. अग्रवाल और राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकिल देवेन चौहान ने पैरवी की।

Created On :   15 March 2024 6:50 AM GMT

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