तारीख पर तारीख: नागपुर में तीनों उपभोक्ता आयोग के अदालती कार्यवाही के न्यायिक ऑडिट की मांग

नागपुर में तीनों उपभोक्ता आयोग के अदालती कार्यवाही के न्यायिक ऑडिट की मांग
  • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस विशेष
  • 5 साल से 20 से 25 हजार मामले लटके पड़े हैं
  • एक महीने में 60 शिकायतों का निपटारा जरूरी

दीपिका धानेश्वर, नागपुर। ‘तारीख पर तारीख'अदालती कार्यवाही को लेकर आम जुमला है। इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन उपभोक्ता अदालत का आंकड़ा हैरान करने वाला है। जानकारी के अनुसार,अकेले नागपुर में राज्य उपभोक्ता आयोग में 6 से 8 हजार, जिला उपभोक्ता आयोग में 4 से 6 हजार और अतिरिक्त जिला उपभोक्ता आयोग में 3 से 4 हजार मामले लंबित हैं। पिछले पांच साल का आंकड़ा देखें तो करीब 20 से 25 हजार मामले लंबित हैं।कायदे से एक माह में कम से कम 60 शिकायतों का निपटारा होना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

मामला गंभीर... शिकायतकर्ता वापस लौट जाते हैं : सूत्र के अनुसार, अदालतें समय पर नहीं खुलती हैं, जिसके चलते शिकायतकर्ता वापस लौट जाते हैं। कई मामलों में दो से छह महीने की तारीखें दी जाती हैं, जबकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में तीन महीने के फैसले का प्रावधान है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने जहां एक महीने से ऊपर की तारीख जारी न करने का सर्कुलर जारी किया है, वहीं संबंधित उपभोक्ता आयोग ने अभी तक कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं किया है।

परेशान करने वाली विरोधाभासी तस्वीर

राज्य उपभोक्ता आयोग में प्रतिदिन सुबह 10 से सुबह 6 बजे तक उपभोक्ताओं का काम होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

एक माह में 10 मामले भी नहीं सुलझते। यहां 50 से 60 फीसदी कर्मचारी ही काम कर रहे हैं।

उपभोक्ता आयोग में एक ही क्लर्क अदालती नोटिस, वारंट, समन आदि का काम संभालता है।

उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों द्वारा निर्णय देने के लिए दो स्टेनो की आवश्यकता है, लेकिन वे भी नहीं है।

त्रासदी... मुआवजा और खर्च नहीं दिया जाता : सर्वोच्च न्यायालय ने जे जे मर्चेंट के मामले में अपने फैसले में यह भी निर्देश दिया है कि उपभोक्ता आयोग बिना कोई कारण बताए समय पर निपटान के लिए समय सीमा का पालन करें। बिना किसी वाजिब कारण के आगे की तारीखें दी जा रही हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, उपभोक्ताओं को पर्याप्त मुआवजा और खर्च नहीं दिया जाता है, जो एक वास्तविक त्रासदी है।

मांग...ऑनलाइन शिकायत दर्ज हो : उपभोक्ताओं को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करानी चाहिए, इस शर्त को वैकल्पिक किया जाना चाहिए तथा लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए जिला उपभोक्ता आयोग को प्रतिदिन 25 मामले तथा राज्य उपभोक्ता आयोग को रविवार को छोड़कर पूरे समय कार्य करते हुए बिना कोई छुट्टी लिए 50 मामलों पर संज्ञान जरूरी है।

आंदोलन की चेतावनी : उपभोक्ता पंचायत महाराष्ट्र को इस संबंध में आंदोलन शुरू करना पड़ेगा, ऐसी चेतावनी उपभोक्ता पंचायत महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत अध्यक्ष श्यामकांत पात्रीकर, प्रांतीय संगठक डॉ. कल्पना उपाध्याय एवं प्रांतीय सचिव लीलाधर लोहरे ने दिया। इसके एक आवेदन की प्रतिलिपि ईमेल द्वारा सर्वोच्च न्यायालय, मुंबई उच्च न्यायालय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, राज्य उपभोक्ता आयोग, मुख्यमंत्री, उपभोक्ता संरक्षण मंत्री को भेजी है।

न्यायिक ऑडिट हो : राज्य, जिला और नागपुर में अतिरिक्त उपभोक्ता आयोगों में न्यायिक ऑडिट किया जाना चाहिए। पिछले एक साल से इन आयोगों का कामकाज लगभग ठप पड़ा हुआ है और उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है क्योंकि केवल ‘तारीख पर तारीख' चल रही है।-श्यामकांत पात्रीकर, उपभोक्ता पंचायत महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत के अध्यक्ष

Created On :   15 March 2024 6:33 AM GMT

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