फटकार: सिंचाई विभाग की खिंचाई , अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर कोर्ट की सख्ती

सिंचाई विभाग की खिंचाई , अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर कोर्ट की सख्ती
  • कहा-अधिकारियों के वेतन से पैसा क्यों नहीं काटें
  • सवाल : जनता के पैसे की बर्बादी का जिम्मेदार कौन
  • नाराजी : बार-बार भूमिका बदलने पर फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर । बाॅम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में सिंचाई विभाग की ओर से अंबाझरी बांध के लिए नियोजन को लेकर अपनी बार-बार भूमिका बदलने पर कोर्ट ने मौखिक रूप से जमकर फटकारा। कोर्ट कहा कि सिंचाई विभाग के रवैये से जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है, इसका जिम्मेदार कौन? इस सभी के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों के वेतन से पैसा क्यों नहीं काटा जाना चाहिए? साथ ही कोर्ट यह भी स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में इस पर विस्तार से शपथ-पत्र दायर करें, लेकिन जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ, तो सिंचाई विभाग के मुख्य सचिव को हाजिर होने के आदेश दिए जाएंगे।

याचिका में निर्माण को बताया गलत : मनपा, नासुप्र और महामेट्रो इन तीनों प्रशासनों द्वारा अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इस कारण पिछले साल सितंबर में इस परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा। मामले की न्यायालयीन जांच की मांग करते हुए नुकसानग्रस्त रामगोपाल बचुका, जयश्री बनसोड, नत्थूजी टिक्कस इन नागरिकों ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अंबाझरी तालाब और नाग नदी परिसर के अवैध निर्माणों पर सवाल उठाया गया है। पिछली सुनवाई में सिंचाई विभाग ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया था कि अंबाझरी बांध को मजबूत करने और मुद्दों के समाधान के लिए विभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। 10 जनवरी और 24 जनवरी को हुई बैठक में बांध की मजबूती को लेकर कुछ निर्णय लिए गए। इसी के मद्देनजर महाराष्ट्र इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, नाशिक के साथ मिलकर क्षेत्र का निरीक्षण और अध्ययन किया गया है। साथ ही उन्होंने बांध की मजबूती के लिए योजनाबद्ध विभिन्न कार्यों का भी उल्लेख किया जैसे बांध का निर्माण शुरू करने से पहले जमीनी स्तर की जांच करना, जल प्रवाह का परीक्षण करना।

अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद : मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। तब सिंचाई विभाग ने बांध की मजबूती और प्रवाह को लेकर फिर से अपनी भूमिका में बदलाव किया। सिंचाई विभाग के इस रवैये पर कोर्ट ने नाराजी जताते हुए फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने सिंचाई विभाग को अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए विस्तार से शपथ-पत्र दायर करने के आदेश दिए। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है। याचिकाकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर और सिंचाई विभाग की ओर से एड. जयदीप चांदुरकर ने पैरवी की।

अधिकारी बदलते ही भौतिकी के सिद्धांत भी बदले : कोर्ट ने सिंचाई विभाग द्वारा बार-बार भूमिका बदलने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, यह सब क्या शुरू है? अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण देरी हो रही है। वैसे तो गणित और भौतिक विज्ञान के सिद्धांत कभी नहीं बदलते, लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी बदलते ही भौतिकी विज्ञान के सिद्धांत भी बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

अंबाझरी इलाके में 366 पेड़ों की कटाई : अंबाझरी बांध की मजबूती के लिए 432 में से 366 पेड़ों की कटाई की जा रही है। मनपा नियमों का उल्लंघन कर पेड़ों की कटाई कर रही है, यह दावा करते हुए सत्यनारायण जाजू और अन्य लोगों के इस जनहित याचिका में मध्यस्थी अर्जी दायर की है। साथ ही पेड़ कटाई पर रोक लगाने की मांग की है। मनपा ने दायर किए शपथ-पत्र में कहा गया है कि अंबाझरी बांध की मजबूती के लिए इन पेड़ों को हटाना जरूरी था। कोर्ट ने मध्यस्थी अर्जी मंजूर करते हुए अर्जीदार को तीन सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं। मध्यस्थी अर्जीदार की ओर से एड. प्रशांत सत्यनाथन ने पैरवी की।

Created On :   14 March 2024 5:59 AM GMT

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