राज्य सरकार ने रखा पक्ष: न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन है केदार का हाई कोर्ट में जाना

न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन है केदार का हाई कोर्ट में जाना
आरोपी ने सत्र न्यायालय से छिपाई जानकारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एनडीसीसी बैंक घोटाले के फैसले को चुनौती देते हुए कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार समेत अन्य आरोपीयों ने सजा को स्थगिती और जमानत के लिए अर्जी दायर की है। मामले पर सत्र न्यायालय में हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए दावा किया कि सुनील केदार की ओर से जमानत के लिए सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर करना और यह सारी जानकारी सत्र न्यायालय से छिपाना न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन है।

अनुरोध अर्जी नामंजूर : एनडीसीसी बैंक में हुए 150 करोड़ रुपए के घाेटाले के मामले में अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष सुनील केदार, बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी, रोखे दलाल केतन सेठ, अमित वर्मा, सुबोध भंडारी और नंदकिशोर त्रिवेदी को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई है। इस फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती देते हुए सुनील केदार, केतन सेठ, अमित वर्मा और नंदकिशोर त्रिवेदी ने सजा को स्थगिती और जमानत की मांग की है। पिछली सुनवाई में आरोपियों के दलीलों पर राज्य सरकार ने अतिरिक्त लिखित जवाब दायर के लिए 1 जनवरी 2024 तक कोर्ट से अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सरकार की अनुरोध अर्जी नामंजूर करते हुए गुरुवार को फैसला देना सुनिश्चित किया था।

सरकारी वकील की दलील : गुरुवार को सत्र न्यायाधीश पाटील (भोसले) के समक्ष हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से नाशिक के जिला सरकारी वकील अजय मिसार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखते हुए एक पूर्सिस दायर किया। उसमें एड. मिसार ने कहा कि एक आेर सुनील केदार ने फैसले को सत्र न्यायालय में चुनौती देते हुए सजा को स्थगिती और जमानत के लिए अर्जी दायर की है। वहीं, दूसरी ओर सीधे हाई कोर्ट में भी जमानत के लिए याचिका दायर की थी। सत्र न्यायालय में हुई सुनवाई में एक बार भी हाई कोर्ट के मामले का जिक्र नहीं किया। सत्र न्यायालय से यह जानकारी छिपाकर रखी गई। केदार का यह कृत्य एक तरह से न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन है।

केदार के वकील ने रखा पक्ष : सुनील केदार के वकील देवेन चौहान ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी ने एनडीसीसी बैंक घोटाले में जब फैसला सुनाया, उस दिन रात को 9.30 बजे हमें आदेश की प्रति दी गई थी। इसलिए सजा को स्थगिती और जमानत पर सत्र न्यायालय सुनवाई करने के आदेश दिए जाएं, इस मांग को लेकर हमने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जब सत्र न्यायालय याचिका पर सुनवाई के तैयार हुआ, तब हाई कोर्ट में यह जानकारी देते हुए हमने याचिका वापस ले ली। अनुच्छेद 21 के तहत यह आरोपी का यह अधिकार है। इसलिए सत्र न्यायालय को हाई कोर्ट की याचिका के बारे सूचित न करना कोई आपराधिक कृत्य नहीं है। कोर्ट ने सभी दलील सुनने के बाद मामले पर अब 30 दिसंबर को फैसला रखा है।

अब पांचवां आरोपी कोर्ट में :अतिरिक्त मुख्य न्याय दंडाधिकारी के फैसले को चुनौती देते हुए अब तक सुनील केदार समेत केतन सेठ, अमित वर्मा और नंदकिशोर त्रिवेदी ऐसे कुल चार आरोपीयों ने सजा को स्थगिती और जमानत की मांग की थी। अब पांचवे आरोपी बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चौधरी ने जमानत के लिए अर्जी दायर की है। गुरूवार को सत्र न्यायालय ने आरोपी चौधरी और राज्य सरकार इन दोनो पक्षों की दलील सुनी।

मामले में देरी, कोर्ट ने जताई नाराजी : सुबह 11 बजे मामले पर सुनवाई रखी थी। 11.15 को पूकारा हुआ तब केदार की ओर से एड. देवेन चौहान और सरकारी वकिल अजय मिसार की ओर से जिला सरकारी वकिल नितीन तेलगोटे कोर्ट में हाजीर थे। लेकिन सुनवाई शुरू ही नहीं हुई। बाद में कोर्ट ने सुनवाई के लिए दोपहर 3 बजे का समय तक किया। 3 बजे सत्र न्यायाधीश पाटील (भोसले) कोर्ट में आये तब राज्य सरकार ने केदार की हाई कोर्ट में दायर याचिका का मामला और अशोक चौधरी के दाखिल अर्जी पर अपना पक्ष रखने का कोर्ट से अनुरोध किया। एड. अजय मिसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा मुंबई से पक्ष रखने वाले थे। मुंबई में बॉम्ब ब्लास्ट के मामलें में सुनवाई में व्यस्त होने के कारण 4.30 बजे एड. मिसार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर आये। यह सारे मामले में हो रहे देरी पर काेर्ट ने नाराजी जताई। इतना ही नहीं आरोपीयों के दलीलो पर सरकार को जो भी पक्ष रखना है वो आज पूरा किया जा, बार बार कोर्ट के सुनवाई को स्थगन करना ठिक नहीं है ऐसा भी कोर्ट ने कहा।

Created On :   29 Dec 2023 6:02 AM GMT

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