मुद्दा: अटके हुए हैं कार्य, विदर्भ का बैकलॉग 55 हजार करोड़ मिले सिर्फ 2 हजार करोड़

अटके हुए हैं कार्य,  विदर्भ का  बैकलॉग 55 हजार करोड़ मिले सिर्फ 2 हजार करोड़
  • विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों का मुद्दा उठाया
  • लंबी प्रक्रिया के चलते सिंचाई प्रकल्प पूरे करने में देरी
  • पश्चिम महाराष्ट्र के अनुपात में विदर्भ के साथ सौतेलापन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति सदस्य अमृत दीवान ने जनहित याचिका दायर कर विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों का मुद्दा उठाया है। मामले पर हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील अविनाश काले ने सिंचाई प्रकल्पों की दयनीय स्थिति पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मंगलवार को पेश किए गए अंतरिम बजट में राज्य सरकार ने एक ओर पश्चिम महाराष्ट्र के पुणे जिले में नदी प्रकल्प के लिए 4 हजार करोड़ और सांगली के टेंभू प्रकल्प के लिए 6 हजार करोड़ दिए। दो जिलों के कुल 10 हजार करोड़ की निधि मंजूर हुई, वहीं विदर्भ के 11 जिलों में सिंचाई प्रकल्प का बैकलॉग 55 हजार करोड़ होने के बावजूद सिर्फ 2 हजार करोड़ मंजूर किए गए हैं। यह एक तरह से पश्चिम महाराष्ट्र के अनुपात में विदर्भ के साथ सौतेलापन है।

प्रकल्पों में बाधक समस्याएं रखीं विदर्भ सिंचाई प्रकल्पों के बैकलॉग के संबंध में हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित करते हुए प्रकल्पों की स्थिति पर समावेशी रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे। इसके चलते राज्य के मुख्य सचिव डॉ. नितीन करीर ने शपथ-पत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया था कि 131 प्रस्तावित सिंचाई प्रकल्पों में से अब तक 46 सिंचाई प्रकल्प पूरे किए गए हैं। विदर्भ का 35 प्रतिशत भाग वनों से अच्छादित है। इस कारण सिंचाई प्रकल्प के लिए पर्यावरण, वन मंजूरी लेना, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास, काली कपास मिट्टी और खारा क्षेत्र सहित तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए विदर्भ में सिंचाई प्रकल्प पूरे करने में देरी हो रही है।

131 में से सिर्फ 46 ही पूरे : मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में मुख्य सचिव के शपथ-पत्र पर याचिकाकर्ता के वकील अविनाश काले ने लिखित जवाब दाखिल किया। इसके मुताबिक विदर्भ में प्रस्तावित कुल 131 सिंचाई प्रकल्पों में से सिर्फ 46 यानी करीब 35 फीसदी सिंचाई प्रकल्प ही पूरी हो पाए हैं। यह जानकारी खुद्द राज्य के मुख्य सचिव ने दी है। विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों की यह स्थिति काफी खराब है। राज्य सरकार ने कहा है कि बंद पड़े प्रकल्पों को फिर से शुरू करेंगे। सरकार इतने वर्षों से चल रहे सिंचाई प्रकल्पों को पूरा करने में विफल रही है। ऐसे में इस तरह का आश्वासन महज आंखों में धूल झोंकना है। याचिकाकर्ता के इस लिखित जवाब पर राज्य सरकार को शपथ-पत्र दायर करने के लिए कोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है।

उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग : सरकार ने कहा था कि सिंचाई और किसान कल्याण की विभिन्न योजनाओं के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलीटी (सीएसआर) के माध्यम से फंड जुटाया जाएगा। हालांकि, अभी तक कुछ नहीं हुआ है। इतना ही नहीं, सरकार ने अभी तक इस बात का भी खुलासा नहीं किया है कि सीएसआर से इस काम के लिए कितना फंड जुटाया गया है। साथ ही सरकार ने नहरों से सीधे खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नल योजना शुरू करने का वादा किया था, लेकिन इस परियोजना का प्रत्यक्ष अमल नहीं हुआ है। विदर्भ के साथ हमेशा सौतेलापन हुआ है। विदर्भ सिंचाई प्रकल्प जल्द से जल्द पूरे किए जाएं, इसलिए कोर्ट ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित करके उसके जरिए ये सारे काम कराए जाने की मांग याचिकाकर्ता ने की है।

Created On :   29 Feb 2024 4:52 AM GMT

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