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Nagpur News: अस्पताल के अंदर उछल-कूद करते पहुंचा बंदर, रेस्क्यू करते हुए वन विभाग ने पकड़ा

- अस्पताल के डक्टिंग में घुस गया था , टीटीसी ने किया बचाव
- कभी मरीज के बेड पर बैठता तो कभी खाना छीनकर खाता
Nagpur News अस्पताल में मरीजों का आना-जाना तो आम बात है, लेकिन नागपुर के लकड़गंज स्थित एक निजी अस्पताल में एक ऐसा "मरीज" आ धमका, जिसने सबको हैरान कर दिया। यह कोई इंसान नहीं, बल्कि एक काला मुंहवाला बंदर था, जो ना सिर्फ अस्पताल में "स्व-खुशी" एडमिट हो गया, बल्कि उसने वहां ऐसा तमाशा मचाया कि प्रशासन को वन विभाग की शरण लेनी पड़ी।
कहानी शुरू होती है एक शरारती बंदर से, जो शायद अपने झुंड से बिछड़ गया था। यह बंदर लंबे समय से अस्पताल के पार्किंग एरिया में डेरा जमाए हुए था। मरीजों के परिजनों के हाथों से फल छीनना, खाना चुराना और इधर-उधर उछल-कूद करना उसका रोज का काम था। शुरू में सबने सोचा, "अरे, बंदर है, चला जाएगा!" लेकिन बारिश ने इस बंदर को "इंडोर मूड" में ला दिया। यह महाशय तीसरे माले तक जा पहुंचा और मरीजों के बेड पर जाकर ऐसे बैठने लगा, मानो वह खुद कोई वीआईपी मरीज हो।
तीन दिन की लगातार बारिश ने बंदर को अस्पताल का "परमानेंट गेस्ट" बना दिया। कभी वह मरीजों के बेड पर कब्जा जमाता, तो कभी परिजनों से खाना छीनकर मजे लेता। मरीज डर के मारे सहम गए, और अस्पताल प्रशासन के पसीने छूटने लगे। आखिरकार, परेशान होकर प्रशासन ने सेमिनरी हिल्स के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर (टीटीसी) को संदेश भेजा।
रेस्क्यू मिशन: डक्ट में बंदर, ड्रामा ऑन! : टीटीसी की रेस्क्यू टीम ने मौके पर पहुंचकर ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन यह मिशन इतना आसान नहीं था। बंदर ने तो जैसे जासूसी फिल्म का सीन बना दिया। वह अस्पताल के कूलर डक्ट में जा घुसा, जिससे रेस्क्यू और भी चुनौतीपूर्ण हो गया था। हुआ यूं कि बंदर द्वारा एक लगातार होनेवाली परेशानी को देख टीटीसी के एक जांबाज, हरीश किनकर ने अकेले ही बंदर को पकड़ने की ठानी। रेस्क्यू के एक दिन पहले हरीश ने हिम्मत दिखाई और बंदर को दबोच लिया, लेकिन बंदर ने भी हार नहीं मानी और हरीश को काट लिया। फिर भी, हरीश ने हिम्मत नहीं हारी और बंदर को एक कमरे में बंद कर दिया। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई! बंदर ने कमरे में लगे पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) को तोड़कर फिर से डक्ट में घुसने का रास्ता बना लिया। अब तो हालत ऐसी थी कि लग रहा था बंदर कोई सुपरहीरो है, जो हर बार बच निकलता है।
आखिरकार पकड़ा गया "शरारती मरीज" : कई घंटों की मशक्कत और पीओपी काटने की मेहनत के बाद टीटीसी की टीम ने आखिरकार बंदर को पकड़ लिया। उसे पिंजरे में डालकर सेमिनरी हिल्स के टीटीसी सेंटर ले जाया गया, जहां अब उसका इलाज चल रहा है। हरीश का जख्म भी इस "बंदर युद्ध" की एक निशानी बन गया।
Created On :   11 July 2025 4:13 PM IST