Nagpur News: अंबाझरी तालाब वेट लैंड नहीं, कोर्ट में जिलाधिकारी का शपथ-पत्र

अंबाझरी तालाब वेट लैंड नहीं, कोर्ट में जिलाधिकारी का शपथ-पत्र
  • जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया
  • 71 जलाशयों के दस्तावेज समिति को सिफारिश

Nagpur News अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर प्रलंबित एक जनहित याचिका में नागपुर जिलाधिकारी ने शपथ पत्र दायर करते हुए अंबाझरी तालाब को वेट लैंड के रूप में अधिसूचित न करने की सिफारिश की जानकारी दी। शपथ पत्र में जिला वेट लैंड समिति की सिफारिशों के हवाले से स्पष्ट किया है कि अंबाझरी तालाब पेयजल और मत्स्य पालन के लिए मानव निर्मित है, इसलिए इसे वेट लैंड के रूप में अधिसूचित करने से छूट दी गई है।

न्यायालयीन जांच कराने की मांग : नागपुर खंडपीठ में रामगोपाल बाछुका, जयश्री बनसोड, नत्थूजी टिक्कस ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मनपा, नासुप्र और महामेट्रो द्वारा अंबाझरी व नाग नदी परिसर में किया हुआ निर्माण गलत है। इसी कारण सितंबर 2023 में इस परिसर में बाढ़ आई और हजारों लोगों को नुकसान सहना पड़ा। यह दावा करते हुए याचिकाकर्ताओं ने मामले की न्यायालयीन जांच करने मांग की है। इस याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. एम. एम. नेर्लीकर के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जिलाधिकारी यह शपथ पत्र दायर किया।

दी पूरी जानकारी : जिलाधिकारी के शपथ पत्र के अनुसार, पर्यावरण मंत्रालय ने 10 अक्टूबर 2023 को राज्य के वेट लैंड्स, उनके नक्शे और दस्तावेज तैयार करने के लिए चेन्नई की नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) के साथ करार किया था। एनसीएससीएम की टीम ने 16 से 26 मई 2024 और 15 से 30 जनवरी 2025 के बीच नागपुर जिले के जलाशयों का सर्वेक्षण किया, जिसमें अंबाझरी तालाब सहित 71 जलाशयों के दस्तावेज मंत्रालय को सौंपे गए। राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण नियम, 2017 में संशोधन कर 6 फरवरी 2018 को राज्य वेट लैंड प्राधिकरण और 22 जून 2023 को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला वेट लैंड समिति गठित की। मंत्रालय ने 26 मार्च 2025 को इन 71 जलाशयों के दस्तावेज समिति को सिफारिश के लिए भेजे। जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली इसी समिति ने अंबाझरी तालाब को वेट लैंड के रूप में न शामिल न करने की सिफारिश की है।

इस नियम के तहत छूट: अंबाझरी तालाब प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित है। जिला वेटलैंड समिति ने बताया कि इसे पेयजल और मत्स्य पालन के लिए बनाया गया है। पर्यावरण मंत्रालय ने जल संपदा (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के कार्यान्वयन के लिए 2020 में दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे मानव निर्मित जलाशयों को वेट लैंड के रूप में अधिसूचित करने से छूट दी गई है, जैसा कि जिलाधिकारी ने अपने शपथ पत्र में उल्लेख किया है।

पेयजल तालाब को वेटलैंड में शामिल न करने के फायदे और नुकसान

फायदे : 1. विकास में आसानी : निर्माण कार्य, जैसे स्मारक या बुनियादी ढांचा, बिना सख्त पर्यावरणीय नियमों के हो सकते हैं।

2. नियमों में छूट : वेटलैंड नियमों (2017) के प्रतिबंध लागू नहीं होते, जिससे उपयोग में लचीलापन मिलता है।

3. आर्थिक गतिविधियां : पर्यटन, मत्स्यपालन या व्यावसायिक उपयोग आसान, क्योंकि अनुमतियों की जरूरत कम होती है।

4. प्रशासनिक सरलता : पर्यावरण मंत्रालय से जटिल अनुमति प्रक्रिया से छूट मिलती है।

नुकसान : 1. पर्यावरणीय नुकसान : जैव-विविधता को खतरा, प्रजातियों का नुकसान और जल गुणवत्ता में कमी।

2. जल प्रबंधन पर असर : बाढ़ नियंत्रण और भूजल पुनर्भरण जैसे लाभ खो सकते हैं।

3. कानूनी विवाद : स्थानीय निवासियों या कार्यकर्ताओं का विरोध और जनहित याचिकाएं बढ़ सकती हैं।

4. दीर्घकालिक क्षति : प्रदूषण और पर्यावरणीय असंतुलन का खतरा बढ़ता है।


Created On :   11 July 2025 1:24 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story