Nagpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था में होगा रक्त में सीसे की मात्रा पर अध्ययन

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था में होगा रक्त में सीसे की मात्रा पर अध्ययन
  • बच्चों के मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया जाएगा
  • अधिक मात्रा शरीर में जाने से मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और व्यावहारिक समस्याएं आती है

Nagpur News अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नागपुर, में एक महत्वपूर्ण अध्ययन शुरू होने जा रहा है, जिसका उद्देश्य बच्चों के रक्त में सीसे की मात्रा का पता लगाना है। यह अध्ययन भारत में बच्चों के ब्लड में सीसे की मात्रा को समझने में मदद करेगा। साथ ही सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों की भी पहचान होगी। इस अध्ययन के लिए पहले इंडिया फाउंडेशन के साथ समझौता किया गया है। देश के सात एम्स संस्थानों के साथ हुए समझौते में नागपुर एम्स भी शामिल है।

गौरतलब है कि लेड (सीसा) एक अत्यंत विषैला धातु है। इसकी अधिक मात्रा शरीर में जाने से मानसिक, न्यूरोलॉजिकल और व्यावहारिक समस्याएं हो सकती हैं। भारत में हल्दी, रंग, पुरानी पाइप लाइनों, खिलौनों, बैटरियों, रंगों, दूषित पानी, मिट्टी और सब्जियों जैसे कई स्रोतों से इसकी आशंका बनी रहती है। बच्चों पर इसका प्रभाव अधिक गहरा होता है, क्योंकि उनका मस्तिष्क विकासशील अवस्था में होता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इस विषय पर अध्ययन किया जाएगा।

13000 बच्चों पर होगा अध्ययन : नागपुर एम्स की तरफ से कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रशांत पी. जोशी और पहले इंडिया फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक डॉ. ईशान जोशी ने समझौता करार पर हस्ताक्षर किया। जैव रसायन विभाग प्रमुख डॉ. ज्योति ई. जॉन, बाल रोग विभाग प्रमुख डॉ. मीनाक्षी गिरीश, चिकित्सा उप अधीक्षक डॉ. नितिन मराठे और फाउंडेशन की सहायक निदेशक डॉ. ज्योति यादव उपस्थित थीं। देश भर के एम्स में नागपुर, रायपुर, जोधपुर, पटना, बीबीनगर, कल्याणी, मंगलगिरी आदि इस अध्ययन में शामिल होंगे। नागपुर में अध्ययन की अवधि 18 महीने है। 13000 बच्चों की रक्त जांच कर सीसे की मात्रा का पता लगाया जाएगा। टीम में नागपुर एम्स की डॉ. सुचिता मुंडले, डॉ. सुयोग जायस्वाल, डॉ. ज्ञानेश आमले, डॉ. निशांत बानाईत, डॉ. रुपाली रोकडे, डॉ. अरविंद गांधी व फाउंडेशन की जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ श्रेया अंजलि का समावेश है।


Created On :   11 July 2025 1:06 PM IST

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