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Nagpur News: ताड़ोबा में रेस्क्यू सेंटर कब तक बनेगा?

Nagpur News ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर क्षेत्र में ‘छोटा मटका’ बाघ की लगातार बिगड़ती सेहत पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दायर की है। न्यायालय मित्र एड. यशवर्धन सांबरे ने एक सुधारित अर्जी दायर कर ताड़ोबा में रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने की मांग की थी। इस पर संज्ञान लेकर अदालत ने महाराष्ट्र वन विकास निगम लिमिटेड (एफडीसीएम) को नोटिस जारी किया और यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि, ताड़ाबा में रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कब तक किया जाएगा। अदालत ने इस संबंध में एफडीसीएम को जनवरी 2026 तक जवाब मांगा है। याचिका पर न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।
यह है मामला : "छोटा मटका' बाघ पर उपचार में लापरवाही को लेकर अखबार में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने फैसला लेते हुए वकील यशवर्धन सांबरे को न्यायालय मित्र नियुक्त किया था। कोर्ट ने वन विभाग को फटकार लगाते हुए बाघ की सेहत पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। साथ ही एड. सांबरे को बाघ के स्वास्थ्य जांच करने की अनुमति दी थी। इसके अलावा बाघों के समुचित उपचार और बचाव कार्य के लिए ताड़ोबा में रेस्क्यू सेंटर स्थापित करने की मांग को लेकर सुधारित अर्जी दाखिल करने की अनुमति दी थी। पिछली सुनवाई में न्यायालय मित्र ने सुधारित अर्जी दाखिल करने के बाद कोर्ट ने एफडीसीएम को रेस्क्यू सेंटर के लिए जमीन उपलब्ध कराने संबंधी नोटिस जारी किया और जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। गुरुवार को हुई सुनवाई में अदालत ने एफडीसीएम से पूछा कि, ताड़ोबा में रेस्क्यू सेंटर का निर्माण और क्रियान्वयन कब तक किया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से एड. एस.एन. राव ने पैरवी की।
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"छोटा मटका' को देखने की अनुमति मिली :सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि, "छोटा मटका' बाघ की सेहत स्थिर है। इस पर न्यायालय मित्र एड. सांबरे ने "छोटा मटका' की स्वास्थ्य स्थिति को देखने की अनुमति मांगी। अदालत ने उनके अनुरोध को मंजूर कर लिया।
जख्मी बाघ को पकड़ने एसओपी बनाने की मांग : न्यायालय मित्र एड. यशवर्धन सांबरे ने सुधारित अर्जी में मांग की है कि, जख्मी बाघ को पकड़ने, उसका उपचार करने और उसे वापस छोड़ने के संबंध में एक एसओपी तैयार की जाए। वर्तमान में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों में इस तरह की कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। उन्होंने अदालत से एसओपी तैयार करने संबंधित प्राधिकरणों को निर्देश देने का अनुरोध किया।
Created On :   12 Dec 2025 12:04 PM IST













