जिले में 139 लोग एड्स से प्रभावित, 6 प्रसूताएं भी HIV से संक्रमित

139 peoples and 6 pregent woman are affected by AIDS
जिले में 139 लोग एड्स से प्रभावित, 6 प्रसूताएं भी HIV से संक्रमित
जिले में 139 लोग एड्स से प्रभावित, 6 प्रसूताएं भी HIV से संक्रमित

डिजिटल डेस्क कटनी। एड्स जैसी घातक बीमारी की रोकथाम के लिए जिले मेें प्रयास सिर्फ औपचारिकता तक ही सीमित होकर रह गए हैं। एड्स दिवस पर जागरूकता रैली तथा समय-समय पर सिर्फ रस्म अदायगी के लिए विभिन्न एनजीओ के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन भले ही किया जा रहा हो लेकिन यौन संक्रमण से लेकर एड्स के संबंध में अब भी लोगों में जानकारी का खासा अभाव है। इतना ही नहीं शर्म, सामाजिक मर्यादाओं तथा जानकारी के अभाव में कई संभावित एचआईवी संक्रमित मरीज अपनी जांच कराने जिला अस्पताल स्थित आईसीटीसी तथा एआरटी सेंटर नहीं पहुंच पाते।
जेल में बंद कैदियों में नहीं है एचआईवी संक्रमण
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में एड्स के 139 मरीज दर्ज हैं। जिनका उपचार किया जा रहा है। इन एचआईवी संक्रमित तथा एड्स मरीजों में 6 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में जेल में बंद किसी भी कैदी को एड्स नहीं है। जबकि कुछ वर्षों पूर्व जेल में बंद पांच कैदियों को एड्स होने की जानकारी सामने आई थी। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि नियमानुसार गर्भधारण के प्रथम तीन माहों के भीतर ही प्रसूता का एचआईवी टेस्ट किया जाता है। लेकिन कई बार प्रसूताएं पांचवे महीने के बाद उक्त टेस्ट कराने आ रही हैं। जिसकी वजह से उनमें से कुछ में एचआईवी संक्रमण पाए जाने के बावजूद उनका गर्भपात करा पाना असंभव हो जाता है।
दावा : 10 हजार से अधिक कराते हैं जांच
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो प्रतिवर्ष जिले में लगभग 10 हजार से अधिक लोगों द्वारा एचआईवी संक्रमण की जांच कराई जा रही है। जिन्हें जांच से पूर्व एचआईवी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाती है। साथ ही उन्हें इस बात का भरोसा भी दिलाया जाता है कि उनकी गोपनीयता बरकरार रखी जाएगी। उन्हें इस संभावित बीमारी के संबंध मेें काउंसलिंग भी दी जाती है। हालॉकि स्वास्थ्य विभाग के इस दावे की सच्चाई संदेह के घेरे मेें है।
जान पर भारी पड़ रही कागजी कवायद
गौरतलब है कि जिले में प्रदेश के कुछ अन्य जिलों की तरह गर्भवती महिलाओं के एचआईवी टेस्ट को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही। भले ही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े सिर्फ 6 गर्भवती महिलाओं में एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी दे रहे हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। आशा कार्यकर्ताओं तथा एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। इतना ही नहीं जिला अस्पताल की पैथोलाजी में भी उक्त टेस्ट को लेकर उपेक्षा देखने मिल रही है। भले ही कागजी कवायद कर एचआईवी संक्रमण को काफी नियंत्रण में बताया जा रहा है लेकिन असलियत कुछ और ही है।
ऐसे दिया जाता है उपचार
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार व्यक्तिगत, चिकित्सकीय परामर्श एवं संस्थाओं के माध्यम से मरीज अपनी एचआईवी जांच कराने जिला अस्पताल स्थित आईसीटीसी सेंटर पहुंचते हैं जहां मरीजों की काउंसलिंग की जाती है तथा उनकी समस्याओं को सुना जाता है। टेस्ट में मरीज के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें पुन: काउंसलिंग प्रदान की जाती है जिससे वे बीमारी को लेकर घबराए नहीं तथा जीने की इच्छा न छोड़े साथ ही उन्हें बीमारी के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां तथा इलाज के बारे में विस्तार से बताया जाता है। आईसीटीसी सेंटर से टेस्ट के बाद एचआईवी संक्रमित मरीज को एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी सेंटर भेजा जाता है। प्रदेश के 26 जिलों का एआरटी सेंटर जबलपुर मेें संचालित हो रहा है। जिसका लिंक सेंटर कटनी जिले में भी स्थापित है। जहां से मरीजों को उनके एचआईवी संक्रमित स्टेज के आधार पर इलाज व दवाएं प्रदान की जाती हैं। दवाएं लिंक सेंटर से मिलती हैं। जबकि अन्य समस्या होने पर उन्हें मुख्य सेंटर जबलपुर में संपर्क करना होता है। गौरतलब है कि कटनी सहित प्रदेश के 26 जिलों के 4 हजार 840 एड्स मरीजों का इलाज एआरटी सेंटर के माध्यम से जारी है।

 

Created On :   1 Dec 2017 1:19 PM IST

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