Katni News: ‘समग्र’ की आपाधापी में कटनी में आबादी से ज्यादा बन गए ‘आईडी’

  • राज्य मंत्रालय के निर्देश पर हो रही स्क्रूटनी, अब तक 66 हजार से ज्यादा आईडी कैंसल की गईं
  • जानकारों के अनुसार 2010-11 में जब समग्र आईडी की अनिवार्यता लागू हुई थी
  • शासन के निर्देश पर डुप्लीकेट समग्र आईडी और सदस्यों के नाम अलग कर दिए गए हैं।

डिजिटल डेस्क,कटनी। 2010 से मध्यप्रदेश में ‘समग्र आईडी’ की अनिवार्यता लागू होते ही कटनी शहर में इसे बनवाने ऐसी आपाधापी मची कि आबादी से कहीं अधिक ‘आईडी’ बन गईं। शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए समग्र की अनिवार्यता को देखते हुए कई लोगों ने तो दो-दो, तीन-तीन बार आईडी बनवा लीं। नतीजा यह हुआ कि 14 साल के भीतर शहर में 3 लाख 68 हजार 103 समग्र आईडी बन गईं।

वर्ष 2024 में ई-पोर्टल में जब समग्र आईडी का यह आंकड़ा अपडेट हुआ तो राज्य मंत्रालय में बैठे अफसर भी चौंक उठे। क्योंकि 2025 में कटनी शहर की जनसंख्या 2 लाख 86 हजार 229 अनुमानित आंकी गई थी। आगामी वर्ष की अनुमानित कुल आबादी से भी करीब 80 हजार ज्यादा समग्र आईडी बनी देख राज्य शासन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय ने नगर निगम प्रशासन को इसकी व्यापक जांच करने तथा डुप्लीकेट आईडी हटाने के निर्देश दिए। इस पर स्कूटनी शुरू हुई।

करीब साल भर से चल रही स्कूटनी का नतीजा यह निकला कि अब तक 66 हजार से ज्यादा डुप्लीकेट आईडी कैंसल की जा चुकी हैं। फिलहाल यह संख्या अभी 3 लाख 2 हजार 778 पर स्थिर है। अब इस बड़ी संख्या के लोगों को बुला कर समग्र की ई-केवाइसी की जा रही है। समग्र को आधार से भी लिंक किया जा रहा है।

अब तक एक लाख 52 हजार लोगों की ई-केवाइसी हो चुकी है। निगम प्रशासन का मानना है कि बचे हुए डेढ़ लाख लोगों की ई-केवाइसी तथा आधार से लिंक की प्रक्रिया में बड़ी संख्या में वे नाम आ सकते हैं जिनके नाम पर एक से अधिक बार समग्र आईडी बनी हैं।

इसलिए बढ़ते गए सदस्य

जानकारों के अनुसार 2010-11 में जब समग्र आईडी की अनिवार्यता लागू हुई थी तब सामान्य रूप से निवास प्रमाण पत्र और वोटरआईडी के आधार पर ही समग्र बन जाता था। उस समय आधार कार्ड से समग्र आईडी को लिंक नहीं किया जाता था।

इसका नतीजा यह हुआ कि सरकारी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए परिवार के सदस्य अलग-अलग नामों से आईडी बनवाने लगे। कभी पत्नी मुखिया बन जाती तो कभी पति को मुखिया बना दिया जाता। ऐसा होने की वजह से 2011 की कुल जनसंख्या 2 लाख 21 हजार 883 से कहीं ज्यादा समग्र आईडी बन गईं।

इनका कहना है

शासन के निर्देश पर डुप्लीकेट समग्र आईडी और सदस्यों के नाम अलग कर दिए गए हैं। अभी 3 लाख 2 हजार सदस्य हैं। 51 प्रतिशत सदस्यों का ई-केवाइसी कर लिया गया है। ई-केवाइसी का कार्य पूरा होने के बाद ही सदस्यों की वास्तविक संख्या सामने निकलकर आएगी।

नीलेश दुबे, निगमायुक्त (कटनी)

Created On :   19 July 2025 2:42 PM IST

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