बारिश में भीग गई 50 करोड़ की धान

50 crore paddy was drenched in rain
बारिश में भीग गई 50 करोड़ की धान
बारिश में भीग गई 50 करोड़ की धान

मौसम का कहर, जिसे कृषि वैज्ञानिक फसलों के लिए अमृत बताते रहे वह जहर बन गई
 डिजिटल डेस्क कटनी ।
 गुरुवार की रात आसमान से आफत की ऐसी बरसात हुई कि खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो गई। वहीं खरीदी केन्द्रों में रखी हजारों क्विंटल धान भीग गई। जिले के बिलहरी क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में ओलावृष्टि से गेहूं सहित सरसों, मसूर, चना एवं सब्जी की फसलें चौपट हो गईं। बेमौसम बारिश से दलहनी फसलों को भी नुकसान बताया जा रहा है। खरीदी केन्द्रों में लगभग तीन लाख क्विंटल से अधिक धान खुले आसमान के नीचे पड़ी है। जिसकी अनुमानित कीमत 50 करोड़ है। बारिश के चलते दो दिन से धान की खरीदी फिर से बंद कर दी गई है। जिससे किसानों की धान भी बारिश में भीग गई और जब तक पूरी तरह नमी से मुक्त नहीं हो जाएगी तब तक किसानों से खरीदी भी नहीं होगी।
चार दिन से तुलाई का इंतजार
प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी खरीदी केन्द्रों में अराजकता से किसानों को राहत नहीं मिल रही है। किसानों को धान की तुलाई के लिए चार-चार दिन का इंतजार करना पड़ा रहा है। बुधवार से गुरुवार सुबह तक हुई बारिश के कारण केन्द्रों में तुलाई के लिए रखी किसानों की भी हजारों क्विंटल धान भीग गई। अब इसे नमी के नाम पर नहीं खरीदा जा रहा है। ढीमरखेड़ा ब्लाक के खरीदी केन्द्र धरवारा में किसानों की लगभग दो हजार क्विंटल धान भीग गई। शेख यूनिस, विनोद यादव, जमील खान, रमाकांत दुबे के अनुसार लगभग 50 से अधिक किसानों की धान चार दिन से तुलाई के लिए खुले आसमान में पड़ी है। सुरक्षित रखने स्थान नहीं होने से बारिश से धान भीग गई। रामरतन, सत्येन्द्र दुबे के अनुसार केन्द्र में रखने जगह नहीं होने से चार दिन पहले धान खरीदने से इंकार कर दिया था अब शनिवार को खरीदी करने कहा जा रहा है।
व्यवस्थाओं की  खुली पोल
खरीदी केन्द्रों में बारिश ने खरीदी केन्द्रों की व्यवस्थाओं की भी पोल खोलकर रख दी। धरवारा सहित बरही, बाकल, उबरा, करेला, मझगवां आदि में धानकी सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए गए। यहां धान ढंकने के लिए पर्याप्त त्रिपाल, पालीथीन नहीं होने से बारिश में खरीदी गई धान भी भीग गई। जहां-तहां मैदान में पानी भरने के खराब होने का अंदेशा है। उपार्जन केन्द्रों में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि बारिश और कड़ाके ठंड में भी
किसानों को उपज के साथ खुले आसमान के नीचे रात बिताना पड़ रही है।
अनेक केन्द्रों में बारदाना नहीं
जानकारी के अनुसार अनेक केन्द्रों को बारदाना की कमी से जूझना पड़ रहा है। 61 में से दो दर्जन केन्द्रों में बारदाना समाप्त हो चुके हैं, जिससे वहां खरीदी बंद कर दी गई है। जानकारी के अनुसार उबरा, बरही, पिपरिया, करेला सिनगौड़ी एवं विजयराघवगढ़ में बारदाना नहीं होने से धान की तुलाई नहीं हो पा रही है। जबकि धरवारा में रखने के लिए जगह ही नहीं बची।
गेहूं, सरसों, चना चौपट
बुधवार शाम हुई ओलावृष्टि से बिलहरी क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों की फसलें प्रभावित हुई हैं। रचपुरा निवासी कोमल रजक, नरेश रजक, रमेश चौरसिया, नारायण प्रसाद रजक, भूदेव प्रसाद तिवारी, सुशील लखेरा, महेश गड़ारी, पुरषोत्तम चक्रवर्ती आदि के अनुसार मंगलवार शाम आंवला के आकार के ओले गिरने से गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गई हैं। घरों के आंगन, छतों, सडक़ों एवं खेतों पर ओले सफेद चादर की तरह बिछ गए थे। बिलहरी निवासी चंदन यादव के अनुसार उन्होने दस एकड़ में सरसों बोई थी, ओलावृष्टि से पूरी फसल नष्ट हो गई। रीठी तहसीलदार राजेश पांडेय ने ओला वृष्टि से फसलों को क्षति से इंकार किया है।
परिवहन व्यवस्था लडखड़़ाई
धान परिवहन की व्यवस्थाएं भी शुरू से लडखड़़ाई हुई हैं। गुरुवार तक 30 प्रतिशत (तीन लाख क्विंटल) धान खरीदी केंद्रों में ही पड़ी थी।   उबरा खरीदी केंद्र में  14200 क्विंटल  की खरीदी हो चुकी है  उठाव मात्र 4800 क्विंटल का हुआ है अभी तक बरही में 34 हजार क्विंटल की खरीदी हुई है और परिवहन मात्र आधा 17 हजार क्विंटल का हुआ है। इसी तरह करेला में 26000 क्विंटल में से 6000 क्विंटल उठाव हुआ है। विजयराघवगढ़ में 10925 क्विंटल, बकाल में 7948 क्विंटल, चांदनखेड़ा में 10 हजार क्विंटल से अधिक, सिंहुड़ी में 8495 क्विंटल, इमलिया में 5190 क्विंटल, सलैया पटोरी में 5824 क्विंटल परिवहन के लिए शेष है। पिपरिया खरीदी केन्द्र के प्रभारी अजय पटेल ने बताया कि  बारदाना की कमी है मौसम खराब होने की वजह से खरीदी बंद है।
 

Created On :   3 Jan 2020 3:13 PM IST

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