80 वर्षीय जुंधईया की चित्रकारी ने अपनी कला का लोहा मनवाया - अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कर चुकी प्रदर्शन

80-year-old Jundhaiyas painting got her art ironed - also performed on international stage
 80 वर्षीय जुंधईया की चित्रकारी ने अपनी कला का लोहा मनवाया - अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कर चुकी प्रदर्शन
 80 वर्षीय जुंधईया की चित्रकारी ने अपनी कला का लोहा मनवाया - अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कर चुकी प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क उमरिया। कौन कहता है आसमान में सुराग नहीं हो सकता। एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो ...। ये पंक्तियां लोढ़ा निवासी बैगा वृद्ध चित्रकार जुंधईया बाई बैगा पर सटीक चरितार्थ होती हैं। जीवन में कठिन विषय परिस्थितियां, असमय पति की मौत न जाने कई कितनी दिक्कतें झेलकर जुंधईया बाई बैगा आर्ट को प्रसिद्धी तक पहुंचा रही हैं। मध्यप्रदेश से लेकर अंतरराष्ट्रीय पटल में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। इन्हीं हौंसलों व जुनून के चलते आज उनके उकेरे गए चित्र मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जलवे बिखेर रहे हैं। 
ड्डप्रसिद्ध बैगा जनजाति वृद्ध चित्रकार जुंधईया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाई गई है। भोपाल में महुआ पेड़ के नीचे एलाईंस फ्रांसीसी डे गैलरी अमलतास कम्प्लेक्स शाहपुरा भोपाल में कलाकृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं। शनिवार 22 फरवरी से पांच मार्च तक चित्रकारी कर कलाप्रेमी लुत्फ ले सकेंगे। उद्घाटन के लिए प्रसिद्ध चित्रकार चंदन सिंह भट्टी ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ कर दिया है। प्रतिदिन कलाप्रेमी लोग यहां पहुंच भी रहे हैं। 
आसान नहीं थी मंजिल
भोपाल में चित्र प्रदर्शनी के पहले का सफर वृद्धा जुधईया बाई के लिए आसान नहीं था। पति के निधन के बाद वह आर्थिक तंगी के चलते शराब बनाकर, लकड़ी बेचकर अपना जीवन-यापन करती थी। वर्ष 2008 में फाईन आट्र्स में स्नातकोत्तर चित्रकार आशीष स्वामी से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने जुंधईया को बैगा जनजाति के पुरूष और महिलाओं को ट्राइबल आर्ट के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे तराशने का काम किया। 
कलाकारों को दिखाई नई राह
जुंधईया के गुरूआशीष स्वामी बताते हैं वे मुख्यत: ट्राइबल आर्ट में मुख्य रूप से भगवान शिव, नागदेवता के चित्र बनाती हैं। इसके पूर्व भारत भवन भोपाल में ट्राइबल वूमेन पेंटर्स की वर्कशॉप, मानव संग्राहलय भोपाल द्वारा केरला के चित्र कार्यशाला, ललित कला अकादमी नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय आदिवासी कला शिविर बांधवगढ़ में सक्रिय भागीदारी ली। आर्ट मार्ट खजुराहो, राष्ट्र नाट्य विद्यालय नई दिल्ली द्वारा शांतिनिकेतन (कलकत्ता) में आयोजित रंग महोत्सव, ट्राइफ्रेड द्वारा नई दिल्ली में आदि महोत्सव में भी अपनी चित्रकारी के रंग बिखेरे। इसी तरह साल दर साल सफलताओं का एक लंबा इतिहास रहा है, जो समाज के अन्य व पिछड़ी हुई प्रतिभाओं को उभारने का काम कर रहा है।

Created On :   24 Feb 2020 5:39 PM IST

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