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umariiya News: 7 साल से रह रहे उड़ीसा व झारखंड के 12 हाथी अब बीटीआर के हुए

umariya News । करीब 7 साल से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (बीटीआर) में रह रहे उड़ीसा व झारखंड से आए 32 में से 12 हाथी अब अधिकृत रूप से बीटीआर के हो गए हैं। वन विभाग की टाइगर रिजर्व विंग ने 2018-19 में पहली बार उड़ीसा व झारखंड से बांधवगढ़ आए 32 में से 12 हाथियों को यूनिक आईडी नंबर (यूआईडी) जारी किया है। यह आईडी करीब 2 महीने की मशक्कत के बाद हाथियों के दांत, कान, मस्तक सहित शरीर में विशेष पहचान चिन्ह तलाश करने के बाद जारी की गई है। ये सभी 12 हाथी एक झुण्ड के नहीं बल्कि अलग-अलग कुनबे के हैं और इस समय पतौर, पनपथा व खितौली में घूम रहे हैं। बीटीआर के फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय ने बताया कि हाथियों की मॉनीटरिंग में बड़ी समस्या उसकी पहचान न होने से आ रही थी। व खानपान की चुनौतियां भी सामने आ रही थीं। डॉ. सहाय के अनुसार, २०-२५ वर्ष के बाद नर हाथी झुण्ड से अलग हो जाते हैं। कई बार वे अलग-अलग दल में पहुंचकर उत्पात मचाते हैं। इसे चिन्हित कर उसे अपने झुण्ड में मिलाने तथा उसकी पहचान सुनिश्चित करने यूनिक आईडी सिस्टम पर दो माह से काम चल रहा है। प्राथमिक चरण में १२ हाथियों को 1 से 12 तक की नंबरिंग के साथ आईडी दी जा चुकी है। आठ पर काम चल रहा है। श्री सहाय के अनुसार, छह साल में हाथियों की संख्या 32 से बढक़र करीब ६० हो चुकी है। उनका मानना है कि अगले साल तक बीटीआर अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में रह रहे सभी करीब 60 हाथियों की पहचान कर उनकी यूआईडी जारी कर दी जाएगी। ऐसा होने के बाद हाथियों के मूवमेंट पर हर पाल नजर रहेगी और संभावित खतरे को लेकर अमले व ग्रामीणों को आगाह करने में भी मदद मिलेगी।
ऐसे होती है पहचान
हाथी की पहचान के लिए सुबह गश्ती दल के साथ इस मामले में वन विभाग तथा उसकी टाइगर रिजर्व विंग का सहयोग कर रहे डब्ल्यूआरसीएस के तीन सदस्य तलाश में निकलते हंै। मूवमेंट मिलने के बाद इनके सुरक्षित व खुली जगह में पहुंचने का इंतजार होता है। जैसे ही हाथी वहां पहुंचते हैं कैमरों की मदद से उनकी पहचान चिन्ह (कान, दांत, मस्तक, सूड की बनावट में विशेष चिन्ह) तलाशने काम होता है। फोटो के माध्यम से डाटा स्टोर कर एलासिस किया जाता है। उसके बाद आईडी नंबरिंग मिलती है।
आईडी के साथ टाइमिंग की ट्रैकिंग
फील्ड डायरेक्टर डॉ. सहाय के अनुसार, हाथियों की मानीटरिंग पर प्रबंधन बाघों की भांति आईडी व मूवमेंट ट्रैकिंग सिस्टम तैयार कर रहा है। सभी हाथी को आईडी मिलने के बाद पुस्तक में प्रकाशन कर वन अमले को प्रशिक्षित किया जाएगा। बीडगार्ड, चौकीदार व सुरक्षा श्रमिक विशेष पहचान चिन्ह देखकर हाथी को पहचानेंगे। हाथी के आक्रामक स्वाभाव को तुरंत भांपकर आसपास के गांव में ट्रैकिंग आईडी व रियल टाइम के साथ लोकेशन शेयर कर द्वंद की संभावना को टाल दिया जाएगा।
Created On :   10 Jun 2025 11:17 PM IST