अहिंसा दिवस गांधी का जीवन दर्शन विश्व शांति और मानवता की स्थापना के लिए आज भी प्रासंगिक -कला एवं संस्कृति मंत्री

Ahimsa Day Gandhis life philosophy is relevant even today for the establishment of world peace and humanity
अहिंसा दिवस गांधी का जीवन दर्शन विश्व शांति और मानवता की स्थापना के लिए आज भी प्रासंगिक -कला एवं संस्कृति मंत्री
अहिंसा दिवस गांधी का जीवन दर्शन विश्व शांति और मानवता की स्थापना के लिए आज भी प्रासंगिक -कला एवं संस्कृति मंत्री

डिजिटल डेस्क, जयपुर। 2 अक्टूबर। कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि आज पूरा विश्व महात्मा गांधी के जन्मदिन को अहिंसा दिवस के रूप में मना रहा है। उन्होंने कहा कि ये साबरमती के संत का ही कमाल है कि हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी के जीवन का दर्शन सत्य और अहिंसा पर आधारित रहा है, जिसके जरिये पूरे विश्व में शांति की स्थापना संभव है। डॉ. कल्ला अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर शान्ति- सद्भाव- अहिंसा विषय पर आयोजित वैश्विक ई सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दुनिया भर में अलग- अलग देशों से गांधी दर्शन से जुड़े विशिष्ट प्रतिभागियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कला एवं संस्कृति मंत्री ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में कहा कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में सत्य को सर्वाधिक महत्व दिया। वे कहते थे कि सत्य ईश्वर है और अहिंसा उसे पाने का माध्यम। श्री कल्ला ने कहा कि पूरा विश्व बारूद के ढ़ेर पर बैठा है और कहीं एक छोटी सी चिंगारी भी भयावह परिणाम सामने ला सकती है। उन्होंने कहा कि ऎसे नाजुक दौर में गांधी का जीवन दर्शन विश्व शांति और मानवता की स्थापना के लिए आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि गांधी के वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश इस पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकता है। ई सम्मेलन में लन्दन से श्री सतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि गांधी जी ने केवल दूसरों के प्रति अहिंसा की बात नहीं की उनके जीवन से हमें यह भी संदेश मिलता है कि हमें खुद के प्रति भी अहिंसा छोड़नी होगी। हमें अपने प्रति भी दयालु होना होगा। हमें अहंकार से खुद को मुक्त कर प्यार से खुद को भरना होगा। उन्होंने कहा कि खुद से शुरूआत करके ही हम दुनिया में अहिंसा और प्रेम का संचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने संदेश दिया कि मनुष्य धर्म सर्वोपरि है, उसके ऊपर कोई धर्म, सम्प्रदाय या जाति नहीं हो सकती। कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत उद्बोधन में गांधी शाति प्रतिष्ठान नई दिल्ली के पूर्व उपाध्यक्ष तथा एकता परिषद के अध्यक्ष श्री पीवी राजगोपाल ने गांधी के जीवन से जुड़ी बातें साझा की। कार्यक्रम में ज्यां लुई बातो फ्रांस से जुड़े। उन्होंने कहा कि अहिंसा जीवन जीने का एक सम्पूर्ण तरीका है और आने वाली पीढ़ी को यह मार्ग दिखाना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक स्रोतों के उपयोग के लिए पूरे विश्व में संघर्ष है। गांधी का जीवन हमें यही सिखाता है कि कम से कम चीजों में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति की जाए। यूरोप की सोनिया डियोटो ने कहा कि गांधी जी का जीवन शांति और अहिंसा की मिसाल बन कर दुनिया के सामने है। उन्होंने कहा कि गांधी ने हमें सिखाया कि हम उन सबके प्रति समभाव और सम्मान रखें, जो धार्मिक, सामाजिक या अन्य किसी भी तरह से हमसे अलग हैं। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता की भावना ही हमारी पृथ्वी को एक बेहतर जगह बना सकती है। दक्षिण अफ्रिका से जुड़े श्री रामफेले ने अपने संबोधन में कहा कि धरती सबकी आवश्यकता पूरी कर सकती है, लेकिन लालच नहीं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने हमें सिखा दिया है कि हमें जीवन में किन चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांधी के जीवन का हर एक संदेश आज भी हमें जीवन की राह दिखाता है। कनाडा से वीसी के जरिये जुड़ीं रेवा जोशी ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा गांधी के दर्शन को कोर्स के जरिये बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने कनाडा में भी गांधी के जीवन दर्शन को आमजन तक पहुंचाने के लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। इस अवसर आमेर और अलबर्ट हॉल पर दिखाये जाने वाले गांधी के जीवन से संबंधित लेजर शो को भी प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर महात्मा गांधी के प्रिय भजनों वैष्णव जन तो तेने कहिए, रघुपति राघव राजा राम और पायो जी मैंने राम रतन धन पायो का भी वीसी के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया गया। मंच का संचालन कला एवं संस्कृति विभाग की शासन सचिव श्रीमती मुग्धा सिन्हा तथा ज्योति जोशी ने किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप, प्रमुख शासन सचिव, मुख्यमंत्री श्री कुलदीप रांका एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। अंत में श्री जी एस बाफना ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

Created On :   3 Oct 2020 1:39 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story