Birthday Special : वन मैन आर्मी सुब्रमण्यम स्वामी

birthday of subramanian swamy 15 september
Birthday Special : वन मैन आर्मी सुब्रमण्यम स्वामी
Birthday Special : वन मैन आर्मी सुब्रमण्यम स्वामी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। एक अच्छा प्रोफेसर, राजनेता, वकील, अर्थशास्त्री होने के लिए अलग-अलग व्यक्ति होना आवश्यक नही है, इसके लिए सिर्फ सुब्रमण्यम स्वामी होना ही काफी है। राम मंदिर मुद्दा हो राम सेतु या फिर 2G घोटाला इन सब के पीछे बस एक ही नाम याद आता है और वो है सुब्रमण्यम स्वामी का। स्वामी वर्तमान में बीजेपी के हिन्दुत्ववादी छवि के नेता हैं और राज्यसभा से सांसद हैं। वे देश के मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। रामेश्वरम से श्रीलंका के तलैमन्नार तट के बीच स्थित "राम सेतु" को बचाने में सुब्रमण्यम स्वामी की बड़ी भूमिका मानी जाती है। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को सिर्फ एक वोट से गिराने का श्रेय भी स्वामी को ही जाता है। स्वामी उन इकलौते लोगों में भी शामिल हैं जिन्हें तात्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में डिनर में शामिल किया था। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में स्वामी द्वारा पढाए गए कई स्टूडेंट व्हाइट हाउस में पोस्टेड हैं। 

एक फोन पर राजनीतिक पारी शुरू हुई
1939 में चेन्नई में जन्में इस खास शख्सियत का 15 सितंबर को जन्मदिन है और  हम आपको स्वामी से जुड़ी कुछ खास जानकारी दे रहे हैं।  उनका पॉलिटिकल करियर उतार चढ़ाव भरा रहा है। स्वामी ने हिन्दू कॉलेज से गणित में स्नातक डिग्री ली। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आई. एस. आई) कोलकाता में प्रवेश लिया। महज 24 वर्ष की उम्र में सिर्फ ढ़ाई साल में स्वामी ने अपनी पीएचडी पूरी कर ली। उन्हें पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली थी। स्वामी हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे हैं। 

स्वामी को अपनी बेबाकी के वजह से IIT की नौकरी से हाथ धोना पड़ा। स्वामी को दिसंबर 1972 में IIT से बर्खास्त कर दिया गया। 1973 में स्वामी ने संस्थान पर गलत तरीके से बर्खास्तगी के लिए मुकदमा ठोक दिया। उन्होंने 1991 में यह मुकदमा जीता और संस्थान में केवल एक दिन के लिए ही शामिल हुए, जिससे वे अपनी बात को साबित कर सके और अगले दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 1974 में स्वामी की राजनीतिक पारी जनसंघ के वरिष्ठ नेता नानाजी देशमुख के एक फोन कॉल से शुरू हुई उन्हें राज्यसभा में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। 

जब सिख बनकर पहुंचे संसद में
इमरजेंसी में पूरे देश में जनता पार्टी के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था उसी समय संसद सत्र के दौरान सदन में  दिवंगत हुए सांसदों के शोक प्रस्ताव पढ़े जा रहे थे तभी बीच मे एक सिख युवक खड़ा होकर कहता है कि, "अभी एक और शोक प्रस्ताव रह गया है हमारे जनतंत्र का, जो इमरजेंसी के समय दिवंगत हो गया है" यह सिख युवक और कोई नहीं सुब्रमण्यम स्वामी थे। स्वामी की यह बात सुन पूरा सदन चौक गया जब तक कोई कुछ समझ पाता तब तक स्वामी सदन से बाहर हो चुके थे। 

स्वामी जनता पार्टी के उन संस्थापक सदस्यों में से थे, जिन्होंने 1977 में इंदिरा गांधी के शासन को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ स्वामी के विवाद पुराने रहे हैं। एक चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वामी ने बताया था कि, मुद्दों पर अलग अलग राय के चलते विवाद शुरू हुए थे। 

1999 की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बड़ी भूमिका निभाने वाली जयललिता स्वामी को वित्त मंत्री बनवाना चाहती थी लेकिन जब उनकी नहीं चली तो सोनिया और जयललिता के साथ चाय पार्टी स्वामी ने ही अरेंज कराई जिसमे सरकार को गिराने पर रजामंदी बनी जिसके बाद जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।

स्वामी ने बचाया राम सेतु
कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए वन ने दो हज़ार 87 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित सेतुसमुद्रम परियोजना बनाई थी, इसमें राम सेतु को तोड़ा जाना था। इससे भारत के पश्चिमी तट से पूर्वी तट के बीच जहाजों की आवाजाही सुगम हो जाए और इसके बन जाने के बाद जहाज को पूरे श्रीलंका का चक्कर नहीं लगाना पड़े। इस पर स्वामी ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया था कि, राम सेतु को किसी भी तरह क्षतिग्रस्त नहीं किया जाए।" हालांकि कोर्ट ने सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए समुद्र की तलहटी की सफाई का काम जारी रखने को मंज़ूरी दी है, बशर्ते कि इससे रामसेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। 
  
स्वामी ने 2008 में तात्कालीन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए मोबाइल स्पेक्ट्रम 2 जी घोटाले के कच्चे चिट्ठे को सबके सामने रख दिया था। इस मामले में आरोपी अभी भी जेल में हैं। सुब्रमण्यम स्वामी के अथक प्रयास का ही परिणाम है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भारत और चीन की सरकारों के बीच एक समझौता हो सका है। हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए स्वामी ने गंभीर प्रयास किए हैं। राममंदिर सुनवाई को लेकर भी स्वामी कई याचिका दायर कर चुके हैं जिनमें कहा गया था कि कोर्ट को इस मुद्दे पर रोज सुनवाई करनी चाहिए। कभी राजीव गांधी के करीबी कहे जाने वाले स्वामी ने सोनिया और राहुल गांधी पर ही नेशनल हेराल्ड घोटाले करने के आरोप लगा दिए और यह मामला अभी विचाराधीन है। स्वामी RBI गवर्नर उर्जित पटेल पर भी कई आरोप लगा चुके हैं।

Created On :   14 Sept 2017 4:07 PM IST

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