- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- कटनी
- /
- बैंक अधिकारी से मिलकर दलालों ने...
बैंक अधिकारी से मिलकर दलालों ने हड़पी थी स्वरोजगार योजना के कर्ज की राशि - दर्ज हुआ मामला
डिजिटल डेस्क कटनी ।अंत्यावसायी सहकारी समिति में मार्जिन मनी हड़पने वाले बैंक अधिकारी और उनके सात दलालों पर पुलिस ने धोखाधड़ी के सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। मामला दर्ज होने के बाद सभी आरोपी भूमिगत हो गए हैं। पुलिस ने जांच में यह पाया कि घोटाला करने के लिए बैंक अधिकारी ने एक गिरोह तैयार कर रखा था। गिरोह के सदस्यों ने बैंक अधिकारी के साथ मिलकर साढ़े दस लाख रुपए का घोटाला किया है। यह रैकेट अंत्यावसायी शाखा से लेकर बैंक तक में सक्रिय रहा। विवेचना में यह बात भी सामने आई है कि जिस पासबुक में बैंक अधिकारी ने रकम जमा कर, उसका आहरण किया था। उसमें दो से तीन वर्ष में सत्तर से अस्सी लाख रुपए का लेन-देन हुआ है। जिसके बाद पुलिस उस लेनदेन की भी जांच शुरु कर दी है।
बैंक प्रबंध सहित आठ आरोपी
देवरी शाखा के सेंट्रल ग्रामीण बैंक के प्रबंधक राजकुमार अग्रवाल के साथ गुड्डा उर्फ राजकुमार यादव, दादूराम चौधरी, नन्द कुमार यादव, जीवन बर्मन, सुरेश रजक, शुभम बर्मन, संदीप यादव को धारा 420,467,468,472,120(बी), 201,3(2)(5), एससी/एसटी एक्ट का आरोपी बनाया गया है। इसमें हितग्राहियों के मार्जिन मनी को दलालों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर अपने रिश्तेदारों या फिर जान-पहचान वालों के खातों में जमा करा दी थी। इसके बाद राशि का भी आहरण करते हुए हितग्राहियों के हक में सीधे डांका डाला।
पहले नप चुके हैं अधिकारी
यह मामला फरवरी माह से चल रहा है। इस मामले में अंत्यावसायी सहकारी समिति के अधिकारी और लिपिक पहले ही नप चुके हैं। जिन्हें निलंबन का रास्ता दिखा दिया गया है। तत्कालीन कलेक्टर के.व्ही.एस चौधरी ने इस मामले में गंभीरता बरता। एडीएम को जांच का जिम्मा सौंपा। जिसके करीब सत्तर से अस्सी लाख रुपए की गड़बड़ी पकड़ी गई। फर्जी तरीके से दस्तावेज लगाते हुए हितग्राहियों के आवेदन विभाग में भेजे। यहां से आवेदन सीधे बैंक को भेज
दी गई, और राशि भी स्वीकृत करने का काम अंत्यावसायी शाखा के अधिकारियों ने कर दिखाया।
पहली बार गिरफ्त में दलाल
मार्च माह से शुरु की गई जांच में पहली बार कानूनी तौर पर पुलिस की गिरफ्त में दलाल फंसे हुए हैं। पुलिस ने बताया कि दलाल हितग्राहियों के पास जाकर उन्हें स्वरोजगार योजना के तहत मिलने वाली राशि का लालच दिखाते थे। इसके लिए वे कोरे आवेदन में दस्तख्त और हितग्राहियों से वे दस्तावेज हासिल करते थे। जिस दस्तावेज का इस्तेमाल बाद में फर्जी तरीके से राशि स्वीकृत कराने के लिए करते थे। इसके एवज में वे हितग्राहियों को पांच से छह हजार रुपए यह कहकर देते थे कि शासन के द्वारा उन्हें स्वरोजगार करने के लिए नि:शुल्क राशि दी जा रही है।
फोन ने खोला था राज
इस फर्जीवाड़ा में फोन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फरवरी माह में हितग्राहियों से सत्यापन करने के लिए कलेक्ट्रेट से जब हितग्राहियों को फोन गया, और उनसे पूछा गया कि जो राशि आपको दी गई है। उस राशि से वे कौन सा रोजगार कर रहे हैं। फोन पहुंचने के बाद हितग्राही सीधे कलेक्ट्रेट आए। यहां पर धोखाधड़ी की फाइल फिर खुलते गई।
इनका कहना है
इस मामले में थाने में देवरी शाखा के बैंक प्रबंधक सहित अन्य सात लोगों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। बैंक प्रबंधक फिलहाल निलंबित है, और
वह फरार है। अन्य आरोपियों की पतासाजी शुरु की गई है। जांच में यह बात भी सामने आई कि बिचौलियों के खातों में कम समय में ही सत्तर से अस्सी लाख रुपए का लेन-देन हुआ है।
- एस.एल.वर्मा, थाना प्रभारी अजाक
Created On :   19 Sept 2019 2:39 PM IST