सरकारी अस्पताल के शवगृह का हाल-बेहाल

Condition of the mortuary of Saoner Government Hospital is deplorable
सरकारी अस्पताल के शवगृह का हाल-बेहाल
सावनेर सरकारी अस्पताल के शवगृह का हाल-बेहाल

डिजिटल डेस्क, सावनेर. ग्रामीण अस्पताल में तहसील से पहुंचने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अस्पताल का शवगृह की स्थिति दयनीय हो चुकी है। पिछले कई वर्षों से परिसर में बना शवगृह छोटे कमरों तक ही सीमित है। कई बार यहां शवों की संख्या अधिक होने पर शवगृह में जगह कम पड़ जाती है। ऐसे में कई शवों को एक साथ जमीन पर रख दिया जाता है। शवगृह न तो वातानुकूलित हैं और न ही अस्पताल में शवों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रिजर की व्यवस्था है। सर्दियों में मौसम ठंडा रहने से काम चल जाता है, लेकिन गर्मियों के मौसम में शव को अधिक देर तक रख पाना मुमकिन नहीं होता। हादसों में या खुदकुशी वाले शवों से एक ही दिन में से असहनीय बदबू आने लगती है। इतना ही नहीं, अज्ञात शवों को 72 घंटे तक पहचान के लिए रखना अनिवार्य होता है। ऐसे शवों को गर्मियों में बिना फ्रिजर के रखना मुमकिन नहीं होता। ऐसे शवों की पोस्टमार्टम करने के लिए पुलिस अधिकारी को नागपुर के बिना कोई उपाय नहीं होता। कई बार मृतक के बॉडी को चूहों ने भी खा लिया है। अस्पताल के स्टॉफ व डॉक्टरों के साथ शवगृह के पास से गुजरने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है।

कोल्ड स्टोरेज व फिडर लाइन जरूरी : शवगृह की दयनीय दशा अस्पताल में शवों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाने की प्रक्रिया के साथ ही फिडर लाइन की व्यवस्था भी हो, ताकि 24 घंटे बिजली उपलब्ध हो सके। वहीं सावनेर व समीपस्थ विविध पुलिस स्टेशन के कर्मचारी, मृतक के परिजनों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। समस्या को विधायक सुनील केदार द्वारा उचित उपाय योजना गंभीरता से लेने की मांग हितज्योति आधार फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता हितेश बंसोड़ ने की हैं। साथ ही सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने शवगृह के निर्माण कार्य के लिए जल्द से जल्द पहल न‌हीं करने पर‌ जन आंदोलन की चेतावनी भी दी गई। 

Created On :   14 Sep 2022 1:27 PM GMT

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