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मंत्री संजय पाठक मारपीट केस: कांग्रेस ने डीजीपी को सौंपा ज्ञापन, जांच की मांग
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पुलिस महानिदेशक ऋषि कुमार शुक्ला एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें कांग्रेस ने 19 अक्टूबर को स्लीमनाबाद में राज्यमंत्री संजय पाठक, उनके बेटे यश पाठक और दोस्तों द्वारा गरीब परिवारों के साथ की गई मारपीट और चौकीदार की बेटी के साथ की गई अभद्रता के संबंध में उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की।
गौरतलब है कि 19 अक्टूबर, शुक्रवार,दीपावली को सुबह 5 बजे एमपी के राज्यमंत्री संजय पाठक के बेटे द्वारा शराब खरीदने के लिए बंद सरकारी दुकान को खुलवाने के विवाद के बाद हुई मारपीट के दौरान अपने बेटे के यश पाठक और उसके दोस्तों के पक्ष में घटना स्थल पर अपने अपराधी साथियों के साथ पहुंचे राज्यमंत्री पाठक ने सरकारी शराब दुकान के चौकीदार, उसके परिवार व 17 वर्षीय बेटी सपना के साथ मारपीट की गई। इस मारपीट के बाद चौकीदार की बेटी सपना ने सार्वजनिक तौर बयान दिया जिसका वीडियो भी वायरल हुआ है।
कांग्रेस पार्टी राज्यमंत्री और उनके साथियों द्वारा एक हरिजन सहित अन्य परिवारों के साथ किए गए इस मामले की जांच कराने की मांग करते हुए, ज्ञापन के साथ वायरल वीडियो की सीडी भी इस निष्पक्ष जांच में बतौर साक्ष्य दिया है। साथ ही कांग्रेस ने ज्ञापन में निम्न सवाल भी उठाए।
- विवाद का मुख्य केंद्र बिन्दु सरकारी शराब की दुकान, जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, घटना के तत्काल बाद पुलिस ने उन वीडियो फुटेज को किसके दबाव में गायब किया?
- राज्यमंत्री पाठक स्वयं संबंधित थाने और एसडीओपी कार्यालय गए और पुलिस फोर्स खुद लेकर आए, इन स्थितियों में संबंधित थाने और एसडीओपी कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज जांच में शामिल क्यों नहीं है?
- जब चौकीदार की बेटी सपना ने खुद सार्वजनिक तौर पर जारी हुए वीडियो फुटेज में इस बात को दोहराया है कि संजय पाठक अपने साथियों सहित खुद आए और हम लोगों के साथ गंभीर मारपीट की। जब फरियादी स्वयं (जो राजनैतिक नहीं है) कह रही है कि हमारे साथ मारपीट करने वाले संजय पाठक व उनके साथी थी, तब पुलिस ने 8-10 अज्ञात लोगों के विरूद्व प्रकरण दर्ज क्यों किया?
- स्थानीय कांग्रेस विधायक सौरभसिंह ने जब स्थानीय पुलिस की निष्पक्ष कार्यवाही पर संदेह व्यक्त कर पीडि़त पक्ष के प्रति अपने जनप्रतिनिधि का दायित्व निभाते हुए स्वयं संबंधित पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए अपनी ओर से लिखित आवेदन दिया, तब घटना के लगभग 15 घंटे बाद घटना स्थल के परिसर के मालिक राधेश्याम तिवारी की शिकायत पर 8-10 अज्ञात लोगों के विरूद्व प्रकरण दर्ज किया गया, जिससे राज्यमंत्री, उसके बेटे तथा अन्य साथियों को बचाने के लिए ऐसा किया गया? स्थानीय विधायक सौरभ सिंह की शिकायत को किसके दबाव में नजरअंदाज किया गया?
- यहां यह उल्लेख किया जाना भी प्रासांगिक है कि राज्यमंत्री द्वारा की गई इस गंभीर मारपीट की घटना में घटना स्थल पर स्थानीय पुलिस भी सहभागी थी, ऐसा क्यों, किसलिए, किसके दबाव और संरक्षण में किया गया, क्या आम अपराधियों को भी पुलिस की ओर से यह सरकारी सेवाऐं प्राप्त हैं?
Created On :   24 Oct 2017 8:29 PM IST