कोरोना ने बदल दी टीबी के मरीजों की आदतें, 2164 मरीजों का चल रहा इलाज

Corona changed the habits of TB patients
कोरोना ने बदल दी टीबी के मरीजों की आदतें, 2164 मरीजों का चल रहा इलाज
वर्धा  कोरोना ने बदल दी टीबी के मरीजों की आदतें, 2164 मरीजों का चल रहा इलाज

डिजिटल डेस्क, वर्धा, नरेशकुमार मानेश्वर। कोरोना ने जिले के टीबी मरीजों की आदतों को पूरी तरह से बदल दिया है। कोरोना काल से नियमित दवा लेने पर मरीज 6 महीने में स्वस्थ हो रहे हैं। जिले में 2019 से लेकर 25 अपै्रल 2022 तक 5 हजार 556 मरीज डायग्नोस हुए हैं, जिसमें से 3 हजार 392 मरीज अब स्वस्थ हंै। वहीं 2 हजार 164 सक्रिय मरीज बचे हुए है। जिनका इलाज चल रहा है। बता दे कि, कोविड शुरू होने से पहले 2019 में टीबी के एक्टिव मरीजों की संख्या 2 हजार 79 थी। जिले में अब तक कोरोना से 1 हजार 351 लोगों की जान गई है, परंतु इनमें से कोई भी टीबी का मरीज नहीं पाया गया है।  आज जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या 2 हजार 164 हैे। ड्रग सेंसेटिव टीबी के मरीज को 6 महीने तक उपचार दिया जाता है। यदि मरीज किसी एक से अधिक दवाई को यदि प्रतिसाद नहीं देता है तो उसे अधिक कालावधि तक उपचार दिया जाता है। जैसे कि, 9 महीने से लेकर 2 साल तक दिया जाता है। जिले में 2019 में टीबी के 2 हजार 79 मरीज, 2020 में 1 हजार 415 मरीज, 2021 में 1 हजार 535 मरीज और 2022 में जनवरी से लेकर 25 अप्रैल तक 527 मरीज एैसा कुल 2019 से लेकर 2022 तक टीबी के 5 हजार 556 मरीज पाए गए हैं। कोरोना के समय मरीजों को घर-घर जाकर आशा वर्कर के माध्यम से मेडिसीन और प्रोटिन सप्लीमेंट दिया करती थी। जिससे टीबी के मरीजों की संख्या में सुधार हो। जिसके चलते अभी तक किसी भी टीबी के मरीज की मौत नहीं हुई है। टीबी की बीमारी यह घर में किसी एक को होने से वह घर के सभी सद्स्यो को घेरने की संभावना होती है। एेसे में टीबी विभाग के कर्मचारियों के द्वारा 7 दिनों के अंदर टीबी मरीज के घर में जाया जाता है।

 घर में रहनेवाले सभी लोगों के सॅम्पल लिए जाते है व उन्हें टीपीटी दिया जाता है। जिससे उन्हें आगे चलकर टीबी न हो। टीबी विभाग के कर्मचारियों के द्वारा मरीज का पूरी तरह से ख्याल रखा जाता है। जिसके चलते टीबी के मरीज खुलकर सामने आ रहे है और अपना इलाज करवा रहे है। टीबी के मरीज को ढूंढने के लिए टीबी विभाग के द्वारा आशा वर्कर के माध्यम से गांव के घर-घर में जाकर सर्वे किया जाता है। लक्षण पाए जाने पर उनका सैंपल लिया जाता है और टीबी की बीमारी पाए जाने पर उन्हें घर तक नियमित दवाई पहुंचाई जाती है। टीबी के मरीज प्रायवेट अस्पताल में पाए जाने पर उन्हें शासकीय अस्पताल के टीबी विभाग द्वारा उसका निशुल्क इलाज किया जाता है। 

टीबी होने पर मरीज को 6 महीने तक उपचार दिया जाता है। जिसके चलते टीबी के मरीज नियमित दवाई का सेवन करने से व प्रोटीन  और खान-पान में ध्यान रखने से 6 महीने में ठीक हो जाते है। अगर बीच में दवाई बंद कर दी तो ऐसे मरीज को अधिक समय लगता है ठीक होने में इसलिए टीबी के मरीजों को 6 महीने तक उपचार लेना बहुत जरूरी है। 

क्या करने की जरूरत

टीबी के मरीज को नियमित दवाई, शराब व तंबाकूू समेत जो शरीर के लिए हानिकारक हो इसका सेवन नहीं करना चाहिए। टीबी के मरीज को खान पान से लेकर न्यूट्रीशन पर ध्यान देना चाहिए। 
- सुमंत धोबडे, कार्यक्रम समन्वयक, टीबी विभाग, वर्धा।

आरंभ में ही करवाएं इलाज
टीबी के शुरुआती लक्षण में ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। इसका असर लगभग 95 प्रतिशत होता है। जिससे मरीज में सुधार आता है
- ओमप्रकाश कुरलवार, वैद्यकीय अधिकारी, जिला क्षयरोग केंद्र, वर्धा

Created On :   26 April 2022 6:55 PM IST

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