- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- उमरिया
- /
- बाघों का संघर्ष रोकने जंगल का...
बाघों का संघर्ष रोकने जंगल का क्षेत्र बढ़ाकर विकसित किया जाएगा कॉरीडोर
डिजिटल डेस्क उमरिया । 1536.93 वर्ग किमी. क्षेत्रफल, नौ रेंज और 124 बाघ के साथ मध्य भारत में अपनी बादशाहत स्थापित करने वाले बांधवगढ़ में ब्लू प्रिंट पर काम तेज कर दिया गया है। यह ब्लू प्रिंट वनों का घनत्व बढ़ाने पर तैयार हुआ है। इसके तहत कोर एरिया के 10 गांवों का विस्थापन, कारीडोर विकसित, पेयस्त्रोत बढ़ाने के साथ ही इको सेंसटिव जोन पर साल के आखिर तक काम पूर्ण हो सकता है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व में अक्सर बाघ के सामान्य घनत्व से अधिक होने का मुद्दा बना रहता है। ऊपर से जंगली हाथियों ने भी अपनी आमद दर्ज कर नया आशियाना बना दिया है। इस स्थिति से निबटने के लिए प्रबंधन ने छह सूत्रीय ब्लूप्रिंट कार्ययोजना पर काम तेज कर दिया है। कोरोना काल के बाद कामकाज पटरी पर आते ही सालभर के भीतर इस समस्या से निजात पाने की तैयारी है।
ऐसे बढंगे घास मैदान, मिलेगा नया ठिकाना
बांधवगढ़ के 1536 वर्ग किमी. के भीतर 716 वर्ग किमी. कोर एरिया है। इसमे 10 गांव विस्थापित होने है। अवार्ड की प्रक्रिया चल रही है। आबादी खाली होने से घास मैदान बढ़ेंगे। 820 वर्ग किमी. का क्षेत्र बफर में है। इसके अलावा 1030 वर्गकिमी. इको सेंसटिव जोन के रूप में नोटिफिकेशन हुआ है। यहां कुछ गतिविधियां प्रतिबंधित होंगी। इससे कारीडोर में पक्के निर्माण पर पूर्णत: प्रतिबंध लगेगा। शासकीय भूमि पर अतिक्रमण नहीं हो सकेगा। बांधवगढ़ से संजय टाईगर रिजर्व में कारीडोर पर काम चल रहा है। यहां वाटर होल, जंगल, सुरक्षा के साधन बढ़ेंगे। ताकि बाघ आराम से अपनी टैरेटरी बना सके।
पहचान के लिए बना रहे किताब
बाघों की गश्त के लिए फूट पेट्रोलिंग, कैम्प के अलावा एप के माध्मय से भी ट्रैकिंग हो रही है। टाईगर की पहचान के लिए किताब बनाई जा रही है। इससे स्टॉफ के पास टाईगर की फोटो रहेगी। ताकि ज्यादा समय से न दिखने वाले बाघ तलाशे जा सकेंगे। वर्तमान में लगभग 27 वायरलेस स्टेशन, 15 वाच टावर, 175 पेट्रोलिंग कैम्प, 39 बैरियर हैं। 525 से अधिक कर्मचारी सुरक्षा कार्य करते हंै। कुछ गांव में काऊ शेड के लिए सर्वे हुआ है। ताकि पक्के निर्माण कर बाघ से शिकार के चलते मानव द्वंद के खतरे को कम किया जा सके। बाघ बढ़े हैं, स्वभाविक है इंसान के साथ द्वंद बढ़ेगा। इसको लेकर कार्य किया जा रहा है।
इनका कहना है
बांधवगढ़ में बाघों को पर्याप्त स्थान देने इकोसेंसटिव, कारीडोर विकसित करने, कोर एरिया से विस्थापन जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आने वाले समय में ये कार्य पूर्ण होने पर बाघ आराम से एक जगह पलकर दूसरे सुरक्षित जंगल में अपना टैरेटरी बना सकेंगे। इसके अलावा बाघों की पहचान तय कर रहे हैं। ताकि इनकी पुख्ता मॉनीटरिंग नियमित हो सकेगी।
विंसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक बीटीआर
Created On :   3 Aug 2020 3:14 PM IST