कोविड-19 महामारी ने हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छे वेंटिलेशन और सूर्य के प्रकाश का महत्व बताया है - उप राष्ट्रपति

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कोविड-19 महामारी ने हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छे वेंटिलेशन और सूर्य के प्रकाश का महत्व बताया है - उप राष्ट्रपति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति सचिवालय कोविड-19 महामारी ने हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छे वेंटिलेशन और सूर्य के प्रकाश का महत्व बताया है- उपराष्ट्रपति सिटी प्लानर्स को न सिर्फ शहरों को जीवनदायी बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि लोगों की खुशहाल को बढ़ाने के लिए भी काम करना चाहिए- उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति ने शहरों को सुलभ, समावेशी और टिकाऊ बनाने का आह्वान किया कई शहरी गरीब शहरी दायरे से बाहर हो जाते हैं शहरी नियोजन स्थानीय सौंदर्यशास्त्र और स्थानीय परंपराओं के साथ होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति प्रत्येक शहरों की अनूठी विशेषताओं और विरासत को संरक्षित किया जाना चाहिए- उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि नागरिक निकायों को स्व-फंडिंग का मॉडल अपनाना चाहिए, जो सार्वजनिक उपयोगिताओं के संचालन को व्यावहारिक बनाते हैं शहरों में पर्याप्त आकार के पुस्तकालय और पार्क बनाने का आह्वान लोगों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने का आह्वान ‘ए टेक्स्टबुक ऑफ अर्बन एंड ज्योग्राफी’ का लोकार्पण, उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छे वेंटिलेशन (हवादार और सूर्य की रोशनी के लिए उपयुक्त कमरे) और सूर्य के प्रकाश के महत्व बताया है। उन्होंने बंद स्थानों में रहने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी असहमति जाहिर की और जोर दिया कि घरों, कार्यालयों, रेस्तरां और सभागार में उचित वायु परिसंचरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के महानिदेशक और सीईओ डॉ. समीर शर्मा की लिखी किताब ‘ए टेक्स्टबुक ऑफ अर्बन एंड ज्योग्राफी’ का वर्चुअल लोकार्पण करते हुए ये टिप्पणी की। श्री नायडू ने कहा कि एक आधुनिक जीवन शैली की अपनी आकांक्षा के चलते शहरवासियों का प्रकृति से संबंध टूट गया है और कई बार हम पाते हैं कि सूरज की किरणें हमारे घरों में नहीं आती हैं। उन्होंने शहर के योजनाकारों और वास्तुकारों को सलाह दी कि वे प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने वाली डिज़ाइन संरचनाओं और इमारतों को गढ़ने को तरजीह दें। वह चाहते थे कि शहरों में सांस लेने की जगह जैसे पार्क, बगीचे और खेल के मैदान हों। उन्होंने कहा कि बाढ़ के दौरान शहरी इलाकों में अव्यवस्था फैल जाती है।

उपराष्ट्रपति ने अच्छे शहरी नियोजन के लिए सुगमता, समावेशिता और स्थिरता के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नगर नियोजन के तदर्थ दृष्टिकोण को दीर्घकालिक और दूरंदेशी नजरिये से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए ताकि रहने लायक शहरों का निर्माण किया जा सके। यह कहते हुए कि ‘एक शहर कुछ के लिए नहीं हो सकता है’, उन्होंने अपनी निराशा व्यक्त की कि कई शहरी गरीबों को अक्सर शहरी योजना के दायरे से बाहर रखा जाता है। उपराष्ट्रपति ने सबको साथ रखने यानी समावेश को शहर की योजना का एक अभिन्न अंग बनाने का आह्वान किया। श्री नायडू ने शहर नियोजन के प्रत्येक घटकों में स्थिरता की आवश्यकता पर बल दिया-चाहे वह नागरिक सुविधाओं को लेकर धन का इंतजाम हो, ग्रीन बिल्डिंग को प्रोत्साहित करना हो, कचरे का पुनर्चक्रण हो, वर्षा जल का संचयन या सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना हो। शहरों में बाढ़ की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रकृति के साथ अच्छे रिश्तों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘हर साल प्राकृतिक बाढ़ से बचने के लिए शहरों को उपयुक्त ढांचा तैयार किया जाना चाहिए।’ वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए श्री नायडू सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कार-पूलिंग, सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग जैसी अन्य हरित पहल को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उपराष्ट्रपति ने सड़क के अगल-बगल के स्थान के सद-उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने नागरिकों से सड़कों के स्थान का उपयोग करने के तौर-तरीके में बदलाव करने को कहा।

उन्होंने कहा, "साइकिल चलाने को बढ़ावा देने के लिए आंदोलन होना चाहिए, इससे न केवल स्वस्थ ठीक रहता है बल्कि यह प्रदूषण को भी कम करता है।" उपराष्ट्रपति ने शहर में बेघर और गरीबों के हितों को समायोजित करने और उनकी रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले प्रवासियों को खराब परिस्थितियों में न रहना पड़े। परिवहन की ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि शहर के बाहरी इलाकों में रहने वाले घरेलू सहायकों को आवागमन के लिए संघर्ष न करना पड़े। यह देखते हुए कि ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स’ में सुधार हो रहा है।

Created On :   21 Jan 2021 9:49 AM GMT

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