करंट लगने से तेंदुए की मौत , घटना स्थल के तीन किमी तक नहीं है बिजली सप्लाई लाइन

Death of leopard due to current, no electricity supply line up to three km
करंट लगने से तेंदुए की मौत , घटना स्थल के तीन किमी तक नहीं है बिजली सप्लाई लाइन
करंट लगने से तेंदुए की मौत , घटना स्थल के तीन किमी तक नहीं है बिजली सप्लाई लाइन

डिजिटल डेस्क उमरिया। सामान्य वन मण्डल के पाली रेंज में चार वर्षीय नर तेंदुए की करंट लगने से मौत हो गई। शव बरबसपुर समीप बांध में झाडिय़ों के बीच मिला है। तकरीबन दो दिन तक पानी में पड़े रहने के कारण शव फूला हुआ था। शरीर में चोट आदि के निशान नहीं थे। पैर से एक नाखून व मुंह में एक दांत टूटा हुआ था। वन विभाग का दावा है तेंदुए के सभी अंग सुरक्षित हैं। केवल एक नाखून टूटा हुआ है। मौत का कारण करंट ही है। अब करंट शिकार के लिए था या फिर खेतों में फसल को बचाने के लिए, यह जांच का मुख्य बिंदु है। 
वन विभाग के मुताबिक पाली रेंज के बरबसपुर बीट में बांध का इलाका कक्ष क्रमांक आरएफ 576 में आता है। वन्यप्राणी शव स्थल में झाडिय़ां व पानी भरा हुआ था। वन अमला शुक्रवार शाम गश्त कर रहा था। इसी दौरान उनकी नजर तेंदुए पर पड़ी। शनिवार को डीएफओ आरएस सिकरवार स्वयं दल-बल के साथ घटना स्थल पहुंचे। बीटीआर से डॉग स्क्वॉड को बुलाया गया। इलाके को सील कर सर्चिंग की गई। शव विच्छेदन के लिए बीटीआर से डॉक्टर नितिन गुप्ता व पशु चिकित्सा विभाग के दल को लगाया गया। दोपहर को गाइड लाइन अनुसार शव का दाह संस्कार किया गया। प्राथमिक शव परीक्षण रिपोर्ट में करंट से तेंदुए की मौत पाई गई है।
आसपास नही है बिजली तार
मौत के प्राथमिक साक्ष्य करंट की तरफ इशारा करते हुए एक टीम को सघन चैकिंग में लगा दिया गया है। पाली रेंजर ने बताया हमारे कर्मचारी पहले ही गश्त व तलाश में जुटे हुए हैं। एक अन्य दल तार के आसपास सर्चिंग में लगाया गया है। साथ ही एमपीईबी की मदद भी ली जा रही है। जंगल के आसपास इलाके में गुजरी बिजली तार वाले सब स्टेशन की मदद ली जाएगी। पिछले कुछ दिनों में ट्रिपिंग आदि के बारे में जानकारी हासिल कर अपराधियों को बारे में सुराग जुटाया जाएगा। हालांकि जहां तेंदुए की मौत हुई है वहां दो से तीन किमी. नजदीक जंगल में बिजली पोल नहीं लगे हैं। संदेह यह भी है कि कहीं और करंट लगने के बाद तेंदुआ यहां आकर मृत हुआ। दूसरी संभावना खेत में मरने के बाद छिपाने के लिए बांध में फेकने की जताई जा रही है।
दो माह पूर्व मादा तेंदुए की हुई थी मौत
पाली के जंगलों में वन्यप्राणी तेंदुए की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। दो माह पूर्व 11 सितंबर को कक्ष क्रमांक आर 578 मुनारा क्रमांक 33 बरबसपुर रोड किनारे मादा तेंदुए का शव मिला था। आसपास सर्चिंग में स्पॉर्ट पर जबर्दस्त लड़ाई के निशान मिले थे। शव के गले में दोनों ओर दो-दो दांत के निशान थे। घटना स्थल में दोनों वन्यप्राणियों के पदचिन्ह बने हुए थे। तब कहा गया था कि बाघ के साथ लड़ाई में यह घटना हुई। हालांकि हमलावर बाघ वन विभाग की टीम नहीं आज तक नहीं तलाश पाई।
बांधवगढ़ बफर का है कॉरीडोर
चूंकि बरबसपुर पाली रेंज का जंगल बांधवगढ़ के बफर जोन से लगा हुआ है। धमोखर बफर क्षेत्र में जोहिला नदी बहती है। यहां से निकलकर वन्यजीव प्राणी घुनघुटी, बेली, जमुहाई व बरबसपुर तक पहुंच जाते हंै। चूंकि यहां तेंदुआ पहले भी देखा जा चुका है। कुछ दिनों पूर्व ही एक बछड़े का शव पेड़ में टंगा मिला था। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बांधवगढ़ के वन्यजीव लगातार इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। बावजूद इसके मूवमेंट के दौरान उन्हें पुख्ता सुरक्षा नहीं मिल पा रही।
इनका कहना है -

मौत करंट से ही हुई है। अब यह करंट खेतों में था या फिर कहीं दूर घायल होकर तेंदुए यहां पहुंचा, इसकी विवेचना जारी है। जांच के बाद ही तथ्य स्पष्ट हो पाएंगे। 
आरएस सिकरवार, डीएफओ सामान्य वन मण्डल उमरिया।

Created On :   7 Nov 2020 6:42 PM IST

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