बेसहारा मासूमों को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ - फॉस्टर केयर खटाई में 

Destitute innocent people are not getting the benefit of government scheme - foster care
बेसहारा मासूमों को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ - फॉस्टर केयर खटाई में 
बेसहारा मासूमों को नहीं मिल रहा सरकारी योजना का लाभ - फॉस्टर केयर खटाई में 

डिजिटल डेस्क कटनी । जिले में बेसहारा मासूम आपको कई जगहों पर देखने को मिल जांएगे। किसी का बचपन कचरा के बीच तो किसी का बचपन होटलों या दुकानों में बीत रहा है। ऐसे बच्चों के पालन-पोषण के लिए सरकार तो गंभीर है, लेकिन अधिकारियों को कोई चिंता नहीं है। महिला सशक्तीकरण विभाग के द्वारा फॉस्टर केयर योजना में जिले भर में महज 20 नाबालिग ऐसे हैं। जिनका लालन-पोषण सरकार के द्वारा दिए जा रहे 2000 रुपए प्रतिमाह से हो रहा है। 2015 के पहले जहां इस योजना का लाभ 120 बच्चों को मिल रहा था। वहीं यह घटकर अब उस निचले स्तर पर पहुंच गया है। जिसमें एक  रियोजना में तीन मासूमों को भी इसका लाभ नहीं मिल रहा है। इसमें विभाग जहां अपनी गलती नहीं मान रहा है, वहीं हकीकत में इस योजना की जानकारी आम लोगों को तो छोड़ दें, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को ही नहीं है।
यह है योजना
ऐसे नाबालिग जिनके सिर के ऊपर से माता-पिता का साया किसी कारणवश छूट गया है, या फिर उनके माता-पिता शारीरिक रुप से दिव्यांग या मानसिक रुप से बीमार है। ऐसे बच्चों के पालन-पोषण के लिए महिला सशक्तीकरण विभाग द्वारा फॉस्टर केयर योजना चलाई जा रही है। इसमें 2000 रुपए प्रतिमाह की राशि एक बच्चे को दी जाती है। इसके लिए सबसे जरुरी बात यह है कि बच्चे को अपने घर में रखकर पालन-पोषण करने वाला व्यक्ति वह उनका रिश्तेदार न हो।
लाडली की दी जानकारी
योजना की जानकारी लेने के लिए रिपोर्टर ने कटनी  के सुपरवाइजर को फोन लगाया। सुपरवाइजर ने फोन उठाया। मैडम से यह कहा गया कि क्षेत्र में एक बच्ची है। जिसके माता-पिता नहीं हैं, उसे फॉस्टर केयर योजना का लाभ कैसे मिलेगा। तब मैडम लाड़ली-लक्ष्मी योजना की जानकारी दीं। रिपोर्टर ने जब फॉस्टर केयर योजना में जोर दिया तो मैडम ने कहा कि महिला सशक्तीकरण विभाग के अधिकारी जानकारी दे सकते हैं।
नहीं है कोई जानकारी
रीठी क्षेत्र के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से रिपोर्टर ने अपनी पहचान छिपाते हुए फॉस्टर केयर योजना के संबंध में जानकारी ली। यहां पर कार्यकर्ता ने तो महिला बाल विकास विभाग की अन्य योजनाओं की जानकारी दी, लेकिन जैसे ही फॉस्टर केयर के संबंध में जानकारी चाही, तब महिला ने कहा कि इस संबंध में
एक अन्य केन्द्र के महिला से बात कर लें। शायद वे जानकारी दे सकें।
लेप्स हो रहा बजट
इसके लिए जिले को करीब 10 से 15 लाख रुपए का बजट भी दिया जाता है। इसके बावजूद इस बजट का उपयोग नहीं हो पा रहा है। आंगनबाड़ी केन्द्रों से
पालकों का आवेदन महिला सशक्तीकरण विभाग पहुंचता है। यहां पर बाल कल्याण समिति के पास आवेदन परीक्षण के लिए भेजा जाता है। इस योजना के बारे में दैनिक भास्कर ने जब महिला बाल विकास विभाग के सुपरवाईजर और कार्यकर्ताओं से योजनाओं के बारे में जानकारी ली, तो पता चला कि इन्हें फॉस्टर केयर के संबंध में जानकारी ही नहीं है।
इनका कहना है
फॉस्टर केयर योजना का लाभ सभी हितग्राहियों को दिया जा रहा है। 2015 के पहले ब्लड रिलेशन वाले अभिभावकों को इसका लाभ दिया जाता रहा। इसके बाद नियम बदल दिया गया। जिसमें पालक के लिए यह अनिवार्य रहा कि वह ब्लड रिलेशन में न आता हो, अब लोग ही तैयार नहीं हुए तो इसमें विभाग की किसी तरह से गलती नहीं है।
- वनश्री कुर्वेती, महिला सशक्तीकरण अधिकारी
 

Created On :   28 Nov 2019 2:51 PM IST

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