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MP: प्रदेश के विकास प्राधिकरणों को दो साल में नगर विकास योजनाएं पूरी करनी होंगी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के 15 विकास प्राधिकरणों से राज्य शासन ने कहा गया है कि वे यह परीक्षण करें कि ऐसी कितनी नगर विकास योजनाएं हैं जिन्हें अंतिम रुप प्राप्त करने के बाद भी अभी तक पूर्ण नहीं किया गया है और ऐसी योजनाओं को आगामी दो वर्ष में पूर्ण करने की कार्य योजना तैयार कर एक माह के अंदर संचालक नगर तथा ग्राम निवेश भोपाल को प्रस्तुत की जाएं।
गौरतलब है कि प्रदेश में 10 विकास प्राधिकरण यथा भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, देवास, रतलाम, कटनी, अमरकंटक एवं सिंगरौली हैं जबकि पांच विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यथा ग्वालियर काउंटर मेग्नेट, पचमढ़ी, खजुराहो, महेश्वर-मंडलेश्वर तथा ओरछा हैं। राज्य शासन ने इन सभी विकास प्राधिकरणों से यह भी कहा है कि ऐसी योजनाओं का भी परीक्षण किया जाए जिन्हें अंतिम रुप तो प्रदान कर दिया गया है, लेकिन इन योजनाओं में कोई भी कार्य नहीं किए गए हैं या आंशिक कार्य ही हुए हैं। इसके जो कारण हैं अथवा कठिनाईयां हैं, उन्हें दूर करते हुए योजना को एक तय समय-सीमा में पूरा करें। इसके अलावा विकास प्राधिकरण शहर विकास योजना में विनिर्दिष्ट सडक़ों एवं अन्य शहरी अधोसंरचनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करने हेतु कार्य योजना बनाएं। जिन नगर विकास योजनाओं की प्रगति असंतोषजनक/अपूर्ण एवं न्यून है, ऐसी योजनाओं का भौतिक एवं वित्तीय विश्लेषण कर, योजना समाप्ति का प्रस्ताव अपने प्राधिकरण के बोर्ड के माध्यम से शासन को प्रेषित करें बशर्तें ऐसी नगर विकास योजनाओं की समाप्ति से नगर की विकास योजना पर प्रतिकूल प्रभाव न हो।
राज्य शासन ने समस्त विकास प्राधिकरणों से यह भी कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ली जाने वाली समस्त विकास योजनाएं सेटेलाईट/गूगल बेसमेप/जीआईएस बेस्ड ही बनें ताकि स्थल की सही भौतिक स्थिति का आकलन हो सके। इकोनामिक प्लानिंग भी प्रत्येक योजना का भाग होना चाहिए तथा टाउन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग/स्थानीय निकाय/जिला प्रशासन द्वारा दी गई अनुमतियां भी योजना में इंगित हों। योजना के समग्र रुप से सफल होने हेतु पर्याप्त क्षेत्रफल पर नगर योजना ली जावें ताकि दीर्घकाल तक नगर विकास योजना का नियोजन क्रियान्वयन हो सके।
राज्य शासन ने सभी विकास प्राधिकरणों को स्मरण कराया है कि पुराने नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में प्रावधान था कि नगर विकास योजना अधिसूचित होने की तारीख से दो वर्ष की कालावधि में योजना का क्रियान्वयन प्रारंभ करना जरुरी होता था या योजना का क्रियान्वयन पांच वर्ष की कालावधि का अवसान होने तक नहीं होता है तो वह योजना स्वमेव निरस्त हो जाती थी। लेकिन 3 जनवरी 2012 को यह प्रावधान खत्म कर दिया गया था।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग उप सचिव सीके साधव का कहना है कि विकास प्राधिकरणों की बहुत सी नगर विकास योजनायें बनी हुई हैं,लेकिन उनमें क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। इसीलिए राज्य शासन को ये निर्देश जारी करने पड़े हैं।
Created On :   25 Feb 2018 10:42 AM IST