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नहीं उठे डॉक्टर साहब, आक्रोशित परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
डिजिटल डेस्क, उमरिया। आदिवासी बाहुल्य जिले के मानपुर में 20 वर्षीय युवक की असहनीय दर्द के बाद हॉस्पिटल की चौखट में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की जान गई है। शिकायत पर पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण की जांच शुरू की है।
खुटार निवासी साजन बैगा को गले और पेट में तेज दर्द उठा था और घर वालों ने तुरंत आधी रात को उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मानपुर में भर्ती कराया। वहां मौजूद इमरजेंसी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी। परिजन डॉक्टर का दरवाजा खटखटाकर थक गए, लेकिन डॉक्टर ने दरवाजे नहीं खोले और इस बीच मरीज की तबियत बिगड़ते देख, उसे जिला हॉस्पिटल ले जाने का फरमान सुना दिया। जैसे ही गंभीर को घर ले जाने की तैयारी हुई, इतने में वह दुनिया से ही रूखसत हो गया।
गौरतलब है कि बैगा को प्रदेश की विलुप्त जनजातीय में से एक है। सरकार द्वारा समाज के विकास से लेकर स्वास्थ्य को टॉप प्राथमिकताओं में शामिल गया है। फिर भी इस तरह आरोपों के बीच मौत सिस्टम पर सवालिया निशान लगा रहे हैं।
तीन घंटे चला हंगामा, नहीं उठे डॉक्टर साहब
मृतक के परिजनों का कहना है कि शुक्रवार रात करीब 11 बजे साजन की हालत बिगड़ी थी। गले और पेट में तेज दर्द से, वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। जैसे ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया, वहां मौजूद स्टॉफ उसे देखने के लिए भी तैयार नहीं था। 12 बजे से तकरीबन 3 बजे तक घण्टों डॉक्टर बीके प्रजापति का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा। और स्वास्थ्यकर्मियों ने फोन भी लगाया, इसके बावजूद डॉक्टर अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागे।
शव रखकर प्रदर्शन, पुलिस ने टाला हंगामा
युवक की मृत्यु के बाद मृतक के घर वालों का आक्रोश सातवें आसमान पर था। खासकर डॉक्टर के खिलाफ जमकर हंगामा किया गया। हॉस्पिटल के बाहर सड़क में शव रखकर प्रदर्शन की तैयारी हो गई। हालांकि समय रहते पुलिस ने डांट डपट कर मामला शांत करवाया। शनिवार शाम तक मृतक का पीएम करवा, शव सौंपने की कार्रवाई की गई। वहीं परिजनों के बयान दर्ज कर, पुलिस ने मौत का कारण जानने जांच शुरू की है।
दारू पार्टी की थी इसलिए हुआ बीमार
इस संबंध में मानपुर बीएमओ डॉक्टर बीके प्रसाद का अपना अलग तर्क है। डॉक्टर के अनुसार मरीज की मौत दारू, मुर्गा पार्टी के चलते हुई है। खाने से पेट और गले में तकलीफ उठी। स्टॉफ द्वारा उन्हें जिला हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी गई थी। लेकिन उन्होंने मरीज को घर ले जाना उचित समझा, इसलिए उसकी मौत हुई। परिजनों के लापरवाही के आरोप को, उन्होंने सिरे से नकार दिया है। डॉक्टर ने बताया ब्लॉक में 6 डॉक्टरों की नियुक्ति होनी थी। जबकि दो ही कार्यरत हैं। दिन में हम लोगों ने कुछ ज्यादा काम किया था, इसलिए रात में नहीं उठ पाये।
Created On :   20 Aug 2017 5:00 PM IST