- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- वर्धा
- /
- आगे बढ़ सकते हैं स्थानीय स्वराज्य...
आगे बढ़ सकते हैं स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव
डिजिटल डेस्क, वर्धा। ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में संभ्रम कायम रहने के कारण जिला परिषद के साथ ही जिले की छह नगरपालिका के चुनाव संकट में आ गये हैं। सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी का आरक्षण रद्द कर चुनाव लेने के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने चुनाव अधिकार स्वयं का होने का विधेयक सोमवार को दोनों सदनों में पारित किया है। जिससे जिला परिषद व पंचायत समिति सर्कल के साथ ही पालिका के प्रभाग की रचना रद्द होने की बात कही जा रही थी। प्रभाग रचना को राज्य चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने के बाद 10 मार्च को सूचना व आपत्ति दर्ज करने के लिए प्रसिध्द करना था। लेकिन चुनाव आयोग ने इस संदर्भ में कोई भी निर्णय नहीं दिया हैं। इसके कारण स्थानीय स्वराज संस्था के चुनाव आगे बढ़ाए जा सकते हैं। इसके कारण कई इच्छुक प्रत्याशियों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। अब नगर परिषद चुनाव में नये सिरे से प्रभाग रचना होने की संभावना बढ़ गई है।
ओबीसी प्रवर्ग को आरक्षण दिए बिना आगामी समय में होनेवाले स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव लेने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग को दिए हैं। इसके कारण सक्ते में आयी राज्य सरकार ने चुनाव का टाइमटेबल निश्चित करने का अधिकार राज्य सरकार की ओर देनेवाला विधेयक विधानमंडल व विधान परिषद में पारित किया गया है। इसके कारण जिले में होनेवाले स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव की तारीख आगे बढ़ाई जा सकती है। इसके कारण जिला परिषद, पंचायत समिति व नगरपालिका के चुनाव लड़नेवाले इच्छुकों की मंशा पर पुन: पानी फेर सकता है। ओबीसी प्रवर्ग की जनसंख्या बढ़ने के कारण उन्हें उस आधार पर चुनाव में आरक्षण दिया जाए,ऐसी मांग राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग कर रहा है। यह माजरा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। गुरुवार 3 मार्च को इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्णय देते हुए राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी को आरक्षण दिए बिना चुनाव लेने के निर्देश दिए थे। इसके कारण राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार सकते में आ गयी थी। इसके साथ ही विरोधी दल भी ओबीसी को आरक्षण दिए बिना चुनाव न लेने के पक्ष में थे। स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव संदर्भ में संभ्रम कायम था।
चुनाव का कार्यक्रम घोषित करने का अधिकार अब राज्य सरकार की ओर है। इस संबंध में विधेयक को विधानसभा व विधान परिषद में मंजूरी दी गयी हैं। इसके कारण राज्य शासन प्रभाग रचना व आरक्षण की जानकारी इकठ्ठा कर राज्य चुनाव आयोग की ओर प्रस्तुत करेगी। इसके कारण इसके पहले की गयी प्रभाग व सर्कल रचना अपने आप ही रद्द हो जाएगी। इसे तैयार करने में अधिक समय लग सकता है। इसके कारण स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव में देरी हो सकती है? शासन के इस निर्णय के कारण भले ही ओबीसी प्रवर्ग के प्रत्याशियों को राहत मिली हो लेकिन अन्य इच्छुकों की मंशा पर पानी फिर गया है।
ओबीसी प्रवर्ग के प्रत्याशियों को मिली राहत ?
यह विधेयक दोनों सदनों में के पारित हो गया है। जिसके कारण ओबीसी आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। लेकिन वास्तविकता ऐसा नहीं हैं। ओबीसी आरक्षण का संघर्ष जारी रहेगा। सिर्फ सरकार प्रभाग रचना के नाम पर अपने हिसाब से समय लेगी। तब तक ओबीसी का इंपीरिकल डाटा जुटाने को प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस विधेयकों के पारित हो जाने से ओबीसी समाज के इच्छुक प्रत्याशियों को निश्चित रूप से राहत मिली है।
Created On :   10 March 2022 8:06 PM IST