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आबकारी घोटाले पर EOW ने दर्ज किया प्रकरण

डिजिटल डेस्क, भोपाल भोपाल स्थित आर्थिक अपराध विंग (EOW) ने इंदौर संभाग के चार जिलों में आबकारी दुकानों की नीलामी में हुए घोटाले की जांच हेतु प्रकरण दर्ज किया है। EOW द्वारा शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि एक शिकायतकर्ता द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में इस आशय की शिकायत की गई थी कि वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिये इंदौर संभाग के विभिन्न जिलों में जिन देशी-विदेशी शराब दुकान क्रेताओं को दुकानें आवंटित की गई थीं उन्होंने कुछ समय पश्चात् अपनी दुकानें शासन को समर्पित कर दीं। आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने गजट में प्रकाशित मार्गदर्शी नियमों का उल्लंघन करते हुए समर्पित की गई दुकानों की दोबारा नीलामी (रीटेण्डरिंग) ऐसे लोगों को की जो पुराने क्रेताओं के रिश्तेदार या संबंधी थे। दुकानों की दोबारा नीलामी (रीटेण्डरिंग) पूर्व में की गई नीलामी की राशि से काफी कम मूल्य पर की गई। शिकायतकर्ता के अनुसार इससे एमपी. शासन को लगभग 34 करोड़ राजस्व की हानि हुई।
इन्दौर संभाग के खरगौन, झाबुआ, खण्डवा तथा बड़वानी जिलों में दुकानों की दोबारा नीलामी के दौरान उक्त मार्गदर्शी नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन करते दुकानों की रीटेण्डरिंग (दोबारा नीलामी ) की गई। राजस्व राशि में अंतर की भरपायी पुराने विक्रेताओं से करने के निर्देश उक्त मार्गदर्शिका में थे परन्तु यह कार्यवाही नहीं की गई। फलस्वरूप एमपी. शासन को राजस्व की भारी क्षति हुई।
वर्ष 2015-16 के आबकारी ठेकों की नीलामी में इन्दौर संभाग के उक्त जिलों में शराब दुकानों की रीटेण्डरिंग प्रक्रिया में नियमानुसार आबकारी आयुक्त अथवा शासन से अनुमति/अनुमोदन नहीं ली गई। इस प्रकार ठेकेदारों ने पहले अपनी दुकानें समर्पित कर दीं तथा फिर कम रेट में अपने संबंधियों के नाम पर दोबारा दुकानों के ठेके प्राप्त कर लिए।
तत्कालीन उपायुक्त, आबकारी, संभाग इंदौर द्वारा पद का दुरूपयोग कर संबंधित ठेकेदारों के साथ मिलकर शासन को राजस्व हानि पहुंचाने का अपराध किया गया है अथवा नहीं, का पता लगाने के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ मुख्यालय भोपाल में प्रारंभिक जांच दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई है।
Created On :   8 Sept 2017 8:22 PM IST