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खर्चा रुपैया, आमदनी चवन्नी- किसानों की कम नहीं हो रही परेशानी

डिजिटल डेस्क, वर्धा. खरीफ मौसम में सर्वाधिक उत्पादन देनेवाले सोयाबीन ने इस वर्ष किसानों को बेहद निराश किया है। बुआई के समय से ही फसल पर संकट आया था। अब कटाई के समय कई दिक्कतें आ रहीं हैं। मजदूरी बढ़ गई है। इसके बावजूद मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इस कारण यंत्रों की सहायता से सोयाबीन कटाई की जा रही है। इसके लिए प्रति एकड़ 6 हजार रुपए का खर्चा आ रहा है लेकिन इसे 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम दिया जा रहा है। इस कारण उत्पादन खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है। इससे किसानों की दीपावली अंधेरे में नजर आ रही है। शुरुआती दिनों में अच्छी बारिश होने से फसलें बहार पर थी। लेकिन जिले में जुलाई से निरंतर बारिश जारी रहने से खेतों में घास बढ़ गई है। वहीं खेत में काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इससे यंत्रों की सहायता से कटाई की जा रही है। अक्टूबर महीने में रबी की फसल की तैयार की जाती है लेकिन इस वर्ष खरीफ की फसल की कटाई की जा रही है। प्रमुख फसल सोयाबीन बारिश के कारण प्रभावित हुई है। साथ ही फसल पर किसानों ने अतिरिक्त खर्च किया है। सोयाबीन कटाई की शुरुआत में प्रति एकड़ 3 हजार रुपए मजदूरी ली जाती थी। लेकिन फसल पानी में होने के कारण मजदूरी के दाम बढ गए हैं। यंत्रों की सहायता के कटाई की जा रही है। इसके लिए 6 हजार रुपए आ रहा है जबकि दाम प्रति क्विंटल चार हजार रुपए दिए जा रहे हैं। हर वर्ष सोयाबीन का क्षेत्र बढता जा रहा है। इस वर्ष किसानों को सोयाबीन का अच्छा उत्पादन होकर बेहतर दाम मिलने की उम्मीद थी। लेकिन बारिश ने किसानों की आशाओं पर पानी फेर दिया।
उत्पादन की आशा कम
कृष्णा मोहोड़, किसान के मुताबिक सोयाबीन की फसल से अब उत्पादन की आशा कम है। रबी की फसल के लिए खेती खुली की जा रही है। इस कारण फसल कटायी की जा रही है। सोयाबीन फसल के लिए खर्च अधिक आया है। लेकिन उसकी तुलना में दाम 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल दिए जा रहे हैं।
Created On :   19 Oct 2022 7:45 PM IST