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विदा हुए विघ्रहर्ता, 10 दिन के गणेशोत्सव का हर्षोल्लास के साथ हुआ समापन
डिजिटल डेस्क, कटनी। इस वर्ष 10 दिनों तक भक्तों से आवभगत पाने के बाद प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश भक्तों का विघ्र हरने और अगले बरस जल्दी आने का वादा कर अपने धाम वापस लौट गए। मंगलवार को अनंत चर्तुदशी पर सुबह से ही गणेश प्रतिमाओं विसर्जन का क्रम शहर, उपनगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न विसर्जन घाटों में शुरू हो गया था। गौरतलब है कि मंगलवार को पंचक लगने की वजह से अधिकांश गणेश उत्सव समितियों तथा प्रतिमा स्थापित करने वाले भक्तों द्वारा सोमवार को ही पूजन हवन कर विसर्जन की तैयारी शुरू कर दी गई थी।
देर शाम शुरू हुआ विसर्जन जुलूस
शहर की परंपरा अनुसार गणेश विसर्जन चल समारोह मंगलवार की देर शाम करीब साढ़े 7 बजे बजे सिविल लाइन स्थित गणेश चौक से प्रारंभ हुआ। जिसमें इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तरह एकमात्र गणेश चौक की प्रतिमा ही चल समारोह प्रारंभ होने के दौरान शामिल थी। हालांकि चल समारोह के आगे बढने के साथ कुछ अन्य प्रतिमाएं भी जुलूस में शामिल हुईं। पिछले एक दशक से लगातार चल समारोह का स्वरूप घटता जा रहा है। रात करीब पौने 8 बजे गणेश चौक से प्रारंभ हुए चल समारोह में सबसे आगे धर्म पताका लिए घुड़सवार चल रहे थे। जिसके पीछे करतब बाज विभिन्न झांकिया तथा रास प्रस्तुत करते कलाकार चल रहे थे।
दोपहर बाद कृत्रिम कुंडों में विसर्जित हुईं प्रतिमाएं
सुबह से ही विभिन्न मार्गों के लोग जुलूस से अलग अपनी-अपनी प्रतिमाएं मनचाहे तरीके से विसर्जन के लिए लेकर पहुंचे। प्रशासन द्वारा तय मार्ग और डीजे पर लगाई गई पाबंदी को दरकिनार कर कई गणेशोत्सव समितियों ने जमकर डीजे बजाए। सुबह से दोपहर तक प्रशासनिक अधिकारियों की गैर मौजूदगी का फायदा उठाकर जहां अधिकांश भक्तों द्वारा नदी व तालाब में प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया तो वहीं दोपहर बाद प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की तैनादगी के साथ ही प्रतिमाओं का विसर्जन मोहनघाट, मसुरहा घाट एवं गाटरघाट में नगर निगम द्वारा बनवाये गए कृत्रिम कुंड में किया गया। हालांकि कई भक्तों द्वारा कुंडों में प्रतिमा विसर्जन का विरोध भी किया गया।
आज से 14 दिन तक पितरों को दिया जाएगा तर्पण
गणेश विसर्जन के साथ ही पितृपक्ष आज बुधवार से प्रारंभ होने जा रहे हैं। इस वर्ष 16 दिन की बजाय 14 दिन के श्राद्ध होंगे। आज 6 सितम्बर को पूर्णिमा से शुरू होकर 19 सितम्बर को सर्वपितृ अमावश्या को श्राद्ध का समापन होगा। हिन्दु धर्म में मान्यता है कि पितृपक्ष में पुरखों को तर्पण दिया जाता है जिससे पितरों को शांति प्राप्त होती है।
Created On :   5 Sept 2017 11:31 PM IST