हाईकोर्ट: चुनाव में सेना के शौर्य बखान पर प्रतिबंध को दी गई चुनौती खारिज

HC dismissed the plea on ban of using armys bravery in election
हाईकोर्ट: चुनाव में सेना के शौर्य बखान पर प्रतिबंध को दी गई चुनौती खारिज
हाईकोर्ट: चुनाव में सेना के शौर्य बखान पर प्रतिबंध को दी गई चुनौती खारिज

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने चुनाव में सेना के शौर्य बखान पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश एसके सेठ तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने साफ किया कि स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा। हालांकि यदि जनहित याचिकाकर्ता इस संबंध में चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराता है, तो वह विचार कर सकता है।

याचिकाकर्ता ने यह रखा पक्ष-
जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी आम नागरिक मित्र फाउंडेशन के सदस्य व जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. मुमताज अहमद खान की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भारत निर्वाचन आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव की आचार संहिता में क्लॉज-2 के जरिए प्रत्याशियों को अपने प्रचार में सेना व रक्षा संबंधी फोटो-कन्टेंट आदि का उपयोग न करने की ताकीद दी गई है। सवाल उठता है कि जब 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया था, तो इस बार ऐसा क्यों? चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ हाजिर रहे।

फिल्मी हीरो के उपयोग की छूट, तो असली हीरो से परहेज क्यों-
जनहित याचिका में सवाल खड़ा किया गया है कि जब चुनाव के दौरान फिल्मी हीरो के नाम के उपयोग की छूट है तो फिर देश के वास्तविक हीरो हमारे सैनिकों के शौर्य के बखान पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया? सेना व रक्षा से जुड़े विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना तर्क के परे है।

बालाकोट के कारण प्रतिबंध-
जनहित याचिकाकर्ता का आरोप है कि पुलवामा में आतंकी हमले के बाद सरकार ने ठोस कदम उठाया और प्रतिक्रिया स्वरूप बालाकोट एयर स्ट्राइक हुई। विपक्षी पार्टियां इससे परेशान हो गईं और उनके ही निवेदन पर चुनाव आयोग ने भाजपा को सेना व रक्षा संबंधी घटनाक्रमों का चुनाव में उपयोग करने से रोक दिया। देश की सुरक्षा का दायित्व भारत सरकार पर है। वही सैनिकों को वन रैंक-वन पेंशन व शौर्य के लिए परमवीर चक्र व अलंकरण आदि देने का निर्णय लेती है। युद्ध की घोषणा भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सहमति से लिया जाता है। लिहाजा, आचार संहिता में किए गए मनमाने प्रावधान पर रोक लगाई जाए।

Created On :   2 May 2019 11:39 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story