सात अतिथि शिक्षकों को हटाने पर रोक , नियमित नियुक्ति होने तक काम करने देने का निर्देश

High court prohibits removal of seven guest teachers
 सात अतिथि शिक्षकों को हटाने पर रोक , नियमित नियुक्ति होने तक काम करने देने का निर्देश
 सात अतिथि शिक्षकों को हटाने पर रोक , नियमित नियुक्ति होने तक काम करने देने का निर्देश

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने सतना जिले के मैहर में कार्यरत 7 अतिथि शिक्षकों को हटाने पर रोक लगा दी है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की एकल पीठ ने निर्देश दिया है कि नियमित नियुक्ति होने तक अतिथि शिक्षकों को उनके पद पर काम करने दिया जाए। 

लंबे समय से अतिथि शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे

सतना मैहर निवासी उमेश शर्मा सहित 7 अतिथि शिक्षकों की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि वे लंबे समय से अतिथि शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे है। उनकी नियुक्ति विधिवत प्रक्रिया के तहत की गई थी। याचिका में कहा गया कि शिक्षा विभाग द्वारा नए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। अधिवक्ता प्रशांत अवस्थी, आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी और आनंद शुक्ला ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सौरभ सिंह मामले में दिए गए न्याय दृष्टांत के अनुसार वर्तमान में कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों को हटाकर नए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। नियमित नियुक्ति होने पर ही अतिथि शिक्षकों को हटाया जा सकता है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अतिथि शिक्षकों को हटाने पर रोक लगा दी है। युगल पीठ ने राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

हाईकोर्ट ने जेपी नगर भोपाल की महिला परियोजना अधिकारी के तबादले पर इस आधार पर रोक लगा दी है कि उसकी मां और बेटी असाध्य बीमारी से पीडि़त है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने महिला और बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि महिला परियोजना अधिकारी के अभ्यावेदन का निराकरण किया जाए। जेपी नगर भोपाल में एकीकृत बाल विकास विभाग में परियोजना अधिकारी श्रीमती योगेन्द्र राज की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसका तबादला खकनार परियोजना बुरहानपुर कर दिया गया है। याचिका में कहा गया कि उसकी बेटी समीक्षा राज पेट की असाध्य बीमारी से पीडि़त है। उसका भोपाल के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसकी 80 वर्षीय मां भी कैंसर की बीमारी से पीडि़त है, जिसका इलाज भी भोपाल में ही चल रहा है। अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को भोपाल में 2 वर्ष से भी कम समय हुआ है। इसके बाद भी उसका तबादला कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में महिला बाल विकास के अधिकारियों को अभ्यावेदन दिया, लेकिन उसके अभ्यावेदन पर कार्रवाई नहीं की गई। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने महिला परियोजना अधिकारी के तबादले पर रोक लगाते हुए विभाग को अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया है।

Created On :   9 Aug 2019 9:04 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story