घरों में झाडू पोंछा करने वाली की बेटी बनी नायब तहसीलदार

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घरों में झाडू पोंछा करने वाली की बेटी बनी नायब तहसीलदार
घरों में झाडू पोंछा करने वाली की बेटी बनी नायब तहसीलदार

डिजिटल डेस्क, कटनी। हौसले मजबूत हों तो मुश्किलों का सीना चीरकर अपनी मंजिल तय की जा सकती है। ऐसा ही कुछ उदाहरण शहर के गरीब परिवार में पली-बढ़ी कोमल रैकवार ने प्रस्तुत किया है। एमपी पीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली कोमल का चयन नायब तहसीलदार के पद पर हुआ है। सिर से पिता का साया उठने के बाद मां ने मजदूरी और घरों में झाडू पोंछा कर मुश्किलों से बेटी को पाला और उसे पढ़ाकर योग्य बनाने का सपना संजोया जिसे बेटी ने पूरा करके दिखाया।

किराए के मकान में रहती हैं मां-बेटी

किराए के एक छोटे से कमरे में रहने वाली कोमल की मां शीला रैकवार ने बताया कि वह मकान के निर्माण में रेत, ईंट ढोती थी और दूसरों के घरों में झाडू पोंछा के साथ बर्तन धुलने का काम करती है। एक वक्त के भोजन के लिए शीला को संघर्ष करना पड़ता था। घरों में काम करके बेटी को बड़ा अफसर बनाने का सपना साकार हुआ। शीला ने बताया बड़े परिश्रम के साथ कोमल को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेजा। आज उसने पीएससी परीक्षा को पास कर मेरे सपनों को साकार किया। परेशानियों से घर का गुजर बसर हो पाता था, ऐसे मां के अटूट विश्वास पर खरा उतरने का जज्बा लेकर घर की गरीबी परिस्थिति के बावजूद कोमल ने मेहनत-लगन से पढ़ाई जारी रखी और आत्मविस्वास के दम पर अपना मुकाम हासिल कर लिया।

हौसले के सामने हारी गरीबी

शहर के राजीव गांधी वार्ड निवासी कोमल रैकवार ने बताया कि उनकी मां शीला रैकवार खाना बनाने का काम करती हैं। पिता स्व. गोकुल रैकवार मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते थे लेकिन उनके देहांत के बाद पूरी जिम्मेदारी मां पर आ गई और मां ने दूसरों के यहां काम करके मुझे पढ़ाया लिखाया।  शहर के प्रियंका पब्लिक स्कूल से माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई करने के बाद कोमल ने शासकीय पुरवार हाई स्कूल से 10 वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने सन्मति सागर जैन हायर सेकेंडरी स्कूल से 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण की और फिर बी. कॉम, एम. कॉम की शिक्षा सिलिकोबाइट कॉलेज से प्राप्त की। कोमल ने बताया कि कई बार मां का काम छूट जाने के कारण फीस भरना मुश्किल हो जाता था। उस समय उनके वार्ड पार्षद रहे प्रशांत जायसवाल ने कॉलेज की फीस भरी थी और हौसला बढ़ाया था।

एमपी पीएससी में हासिल किए 894 अंक 

कोमल का कहना है कि उन्हें संयम, साहस, आदर जैसे पारिवारिक दायित्व का ज्ञान उन्हें मां से मिला। मां ने हमेशा आत्मविश्वास से आगे बढऩे की प्रेरणा दी और परीक्षा की तैयारी के समय भी बराबर हौसला बढ़ती रहीं जो सफलता के रूप में सामने है। कोमल रैकवार ने मुख्य परीक्षा में 773 एवं साक्षात्कार परीक्षा में 121 अंक, कुल 894 अंक प्राप्त कर नायब तहसीलदार पद के लिए अपना स्थान बनाया।

Created On :   27 Dec 2017 12:10 AM IST

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