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गांव विस्थापित करने गए आईएएस हुए द्रवित, खुद शुरू कर दिया ग्रामीणों का उपचार
राजस्व प्रकरण के साथ ही लगवाया स्वास्थ्य जांच शिविर बांधवगढ़ पनपथा के अभयारण्य में है सेजवाही गांव
डिजिटल डेस्क उमरिया। बांधवगढ़ पनपथा अभयारण्य क्षेत्र में बसे सेजवाही गांव के लोगों के लिए मंगलवार का दिन अविस्मरणीय बन गया। बीच जंगल में बसा यह गांव टाईगर रिजर्व से विस्थापित होना है। मानपुर एसडीएम डॉ. योगेश तुकाराम अपनी टीम के साथ एक दिन इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे। लोगों से मिले। गांव घर का हाल देखा तो वे द्रवित हो गए। महसूस किया कि यहां विस्थापन से पहले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य की जरूरत है। लिहाजा उन्होंने अफसर से पहले मानवता का धर्म निभाया। न सिर्फ गांव में मुआवजा निराकरण के लिए राजस्व कैम्प लगाया। सपत्नीक एक टीम स्वास्थ्य जांच के लिए लगा दी। स्वयं उपकरण थामकर लोगों की नब्ज टटोली। जाते-जाते उन्होंने वादा भी किया कि अब गांव के लोगों को बिना उनकी मर्जी कोई बेदखल व डरायेगा धमकाएगा नहीं। ऐसी सूरत में गांव का नाम बताने पर उनके कार्यालय में पीडि़त को त्वरित मदद मिलेगी।
मानपुर तहसील अंतर्गत सेजवाही गांव बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के पनपथा रेंज में बसा हुआ है। जिला मुख्यालय मुख्यालय से तकरीबन 55 किमी. दूर घने जंगल में है। टाईगर रिजर्व होने के कारण यहां इंसानी जीवन पर जंगली जीवों का खतरा है। इसलिए इसे विस्थापित गांव की सूची में शामिल किया गया है। 901 जनसंख्या वाले इस गांव में 338 पात्र परिवारों को मुआवजा मिलना है। चूंकि पूर्व में चिन्हित परिवारों में कई नाम छूट गए थे। इन्हें जोड़कर मुआवजे के प्रकार (जमीन या फिर नकदी) का निर्धारण कर गांव को खाली करने की कार्रवाई होनी है। प्रबंधन की तरफ से राजस्व विभाग को मुआवजा के संबंध में पत्र भी लिखा गया है। इसी के तारतम्य में यह कार्रवाई प्रारंभ की गई है।
छूटे हुए नाम जोड़े, चिन्हित किए मरीज
पुणे व नागपुर से एमबीबीएस एमडी डिग्रीधारी मानपुर एसडीएम डॉ. योगेश मंगलवार को अपनी पूरी टीम लेकर सेजवाही पहुंचे। दिनभर गांव में कैम्प लगाया। राजस्व शिविर में सभी गांव के लोगों ने मुआवजे के संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। विलंब का कारण अनुविभागीय दंडाधिकारी को बताया। उन्होंने नियमानुसार तत्काल नाम जोडऩे व आपत्तियों के निराकरण के निर्देश दिए। वन संबंध में प्रकरण की सुनवाई के लिए एसडीओ पनपथा अनिल शुक्ला, रेंजर वीरेन्द्र ज्योतिषी उपस्थित रहे। दिनभर चले शिविर में सभी उपस्थित लोगों के स्वास्थ्य की जांच भी हुई।
इनका कहना है -
मैंने कुछ अलग नहीं किया है। चूंकि मैंने विस्थापन के पहले गांव का भ्रमण किया था। लोगों से मिलने के बाद लगा उनके मुआवजे के पहले बेहतर स्वास्थ्य की जरूरत है। इसलिए स्वास्थ्य व राजस्व के कैम्प पूरे दिन लगाने का निर्णय लिया। लोगों से सीधा संवाद होने के बाद उनकी समस्या जानने में सहूलियत हुई। उन्हें विश्वास दिलाया गया है कि कोई डराकर भगाएगा नहीं बल्कि उनकी इच्छा अनुसार मुआवजा राशि व बदले में जमीन देंगे। तब विस्थापन होगा।
डॉ. योगेश तुकाराम, एसडीएम मानपुर।
Created On :   15 Jan 2020 3:04 PM IST