वित्तीय अनियमितता के मामले में सीएमओ के वेतन से वसूला जाएगा 3 लाख रू जुर्माना

In case of financial irregularity, Fine of 3 lakhs recovered from the salary of CMO
वित्तीय अनियमितता के मामले में सीएमओ के वेतन से वसूला जाएगा 3 लाख रू जुर्माना
वित्तीय अनियमितता के मामले में सीएमओ के वेतन से वसूला जाएगा 3 लाख रू जुर्माना

डिजिटल डेस्क उमरिया। नगर पालिका उमरिया में पदस्थ सीएमओ देवेन्द्र सिंह परिहार पर रिटायरमेंट के ठीक पहले मप्र. शासन ने करारा झटका दिया है। 2013-14 के पुराने मामलों में वित्तीय अनियमितता हेतु वसूली व जांच के आदेश हुये हैं। नगरीय विकास मंत्रालय भोपाल के पत्र अनुसार सीएमओ की वेतन काटकर 3 लाख 15 हजार रुपए शासन वसूलेगी। अपर आयुक्त भ्रष्टाचार मामले की जांच तीन माह में करेंगे। जांच अनुसार अग्रिम कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।
ये है मामला
नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय भोपाल के आदेश क्रमांक एफ4/205/18-1 के अनुसार देवेन्द्र सिंह परिहार बतौर सीएमओ सीहोर, मउगंज तथा टीकमगढ़ में पदस्थापना के दौरान वित्तीय  अनियमितताएं की गईं। अलग-अलग जांच में वर्ष 2013 से अलग-अलग सीहोर में 92,267 मउगंज में 3 लाख 22815 तथा टीकमगढ़ में 19,800 रुपए वसूली योग्य पाया गया। इनमे मउगंज के प्रकरण में 1 लाख 19028 जमा भी हुये। शेष राशि 3 लाख 15 हजार 854 रुपए अभी भी शेष हैं। भोपाल से इस संबंध में स्मरण पत्र भी जारी हुये लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मउगंज के प्रकरण में हाईकोर्ट द्वारा वसूली के  संबंध में स्थगन आदेश भी जारी हुये। इसलिए इन्हें ध्यान में रखते हुए कार्रवाई होगी। उपसचिव मप्र. शासन ने नपा अधिनियम के तहत सीएमओ के आहरण एवं संवितरण के रूप में वेतन आहरण की शक्ति को निकाय के अध्यक्ष उपयोग करने हेतु अधिकृत किया गया है।
विभागीय जांच संस्थित
जारी आदेशानुसार सीएमओ उमरिया के खिलाफ आरोपों व अवचारों के लिए विभागीय जांच भी संस्थिति की गई है। इनमे सीएमओ सीहोर को जांच अधिकारी बनाया गया है। जांच के संबंध में अलग से पत्र जारी होंगे। जानकारी अनुसार दो मामलों में आरोप सिद्ध हो चुके हैं जबकि एक हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस संबंध में सीएमओ देवेन्द्र सिंह परिहार से पक्ष जानने के लिए फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने फोन नजंदाज कर दिया। न ही उनकी तरफ से कोई जवाब आया। दूसरी ओर मामले में शिकायतकर्ता पुष्पराज सिंह का कहना था ये मामले में पूर्व में हैं, इनमे दो सिद्ध हो चुके हैं। एक हाईकोर्ट में है। इस दौरान वित्तीय पावर तथा अधिकार क्षेत्र में कटौती हुई है।

 

Created On :   20 Dec 2017 4:59 PM IST

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