भीख मांगने वाले हाथों को मिली घोड़ों की लगाम, अनाथालय की तीन बच्चियों सहित 5 का राज्य घुड़सवारी अकादमी में चयन

भीख मांगने वाले हाथों को मिली घोड़ों की लगाम, अनाथालय की तीन बच्चियों सहित 5 का राज्य घुड़सवारी अकादमी में चयन
भीख मांगने वाले हाथों को मिली घोड़ों की लगाम, अनाथालय की तीन बच्चियों सहित 5 का राज्य घुड़सवारी अकादमी में चयन

डिजिटल डेस्क, कटनी। कभी भीख मांगकर अपना पेट पालने वाली बच्चियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे एक दिन राज घरानों का शौक और खेल माने जाने वाले घुड़सवारी में न सिर्फ अपना भाग्य आजमाएंगी, बल्कि इस खेल के उच्चस्तरीय प्रशिक्षण के लिए उन्हें एमपी राज्य घुड़सवारी अकादमी के लिए चयनित भी किया जाएगा।

तकदीर संवारने का जितना श्रेय इन बालिकाओं की मेहनत व लगन को जाता है उतना ही श्रेय शहर में लिटिल स्टार फाउण्डेशन चिल्ड्रन होम संचालित करने वाले डॉ.समीर चौधरी व डॉ. स्नेह चौधरी को। इनके साथ-साथ भोपाल में उपायुक्त गैस राहत दीपक बंसल ने भी इन बालिकाओं को उनकी इस मंजिल तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 

महाकौशल से पहली बार चुनी गई लड़कियां 

2017-18 के लिए एमपी राज्य घुड़सवारी अकादमी में जिले से 4 बालिकाओं सहित 5 का चयन हुआ है। जो जिले की एक बड़ी उपलब्धि है। पहली बार न सिर्फ जिले से बल्कि महाकौशल क्षेत्र से बालिकाओं का चयन इस अकादमी में प्रशिक्षण के लिए हुआ। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इन 4 बालिकाओं में से 3 कुछ साल पहले तक सड़कों पर घूमकर भीख मांगा करती थीं। एमपी राज्य घुड़सवारी अकादमी के लिए लिटिल स्टार फाउंडेशन चिल्ड्रन होम की 17 वर्षीय आकांक्षा विश्वकर्मा, 12 वर्षीय प्रीति वर्मा और 11 वर्षीय ज्योति विश्वकर्मा सहित लिटिल स्टार फाउंडेशन संचालक डॉ. समीर चौधरी की 14 वर्षीय पुत्री निविया चौधरी तथा बहोरीबंद विधायक सौरभ सिंह के 11 वर्षीय पुत्र शिवेंद्र बहादुर सिंह सिसोदिया का चयन हुआ है। उल्लेखनीय है कि अकादमी में चयनित 13 बच्चों में से 5 ने लिटिल स्टार फाउंडेशन में घुड़सवारी का बेसिक प्रशिक्षण लिया है।

फाउंडेशन ने बदली जिंदगी

एमपी सरकार द्वारा चलाए जा रहे मुस्कान अभियान के तहत 2015 में 1 जनवरी 2015 को प्रीति वर्मा और 16 अक्टूबर 2015 को आकांक्षा विश्वकर्मा को लिटिल स्टार फाउंडेशन के चिल्ड्रन होम संरक्षण के लिए भेजा गया था। वहीं शहर के एक समाजसेवी तथा उद्योगपति भगवानदास माहेश्वरी द्वारा अपने ऑफिस के पास भीख मांगते देख ज्योति विश्वकर्मा को फाउंडेशन के सुपुर्द किया गया था। जहां पहुंचते ही न सिर्फ इन बालिकाओं को आश्रय मिला, बल्कि इनकी जिंदगी को एक नया रास्ता भी। इन बालिकाओं को यूं तो सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और फाउंडेशन द्वारा निजी प्रयासों से व्यवसायिक दक्षता प्रशिक्षण के तहत विभिन्न विधाएं सिखाई गई, लेकिन इन्हें जो सुख तथा संतुष्टि घुड़सवारी सीखकर मिली वो किसी और विधा में नहीं। हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति के रजिस्ट्रार विजय चंद्रा और पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह ने भी शाही खेल कहे जाने वाले घुड़सवारी में इन अभावग्रस्त तीनों बच्चियों के चयनित होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा है कि कभी आधारभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे इस फाउंडेशन के बच्चे अब न सिर्फ फाउंडेशन बल्कि शहर का नाम रोशन कर रहे हैं।

निस्वार्थ सेवाभाव की मिशाल बने कैप्टन भागीरथ व मैलविन पोर्टर

देश के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर घुड़सवारी में कई पदक जीतने वाले कैप्टन भागीरथ द्वारा स्वप्रेरणा से लिटिल स्टार फाउंडेशन के लिए बाल दिवस पर 14 नवम्बर 2016 को दो घोड़े भेंट किए गए। वहीं राष्ट्रीय स्तर के घुड़सवार मैलविन पोर्टर द्वारा तब से लेकर आज तक सप्ताह में तीन दिन नि:शुल्क फाउंडेशन के बच्चों सहित अन्य बच्चों को घुड़सवारी का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया। जबकि बेसिक प्रशिक्षण, घोड़ों की देखभाल प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण सत्यनारायण चौधरी द्वारा प्रदान किया गया। घुड़सवारी का प्रशिक्षण देने वाले मैलविन पोर्टर ने इन बच्चियों के घुड़सवारी अकादमी में चयन पर खुशी जाहिर करते हुए दैनिक भास्कर से चर्चा में बताया कि पहली ही नजर में इन बच्चों की साहस और निडरता को देखकर उन्हें यह एहसास हो गया था कि ये बच्चे घुड़सवारी के लिए ही बने हैं।

सफलता पर ये है कहना

पिता की मौत तथा मां के द्वारा छोड़कर चले जाने के बाद मेरे जीवन में कोई आशा ही नहीं बची थी। लेकिन जब मैं फाउंडेशन में आई तो जीवन से कुछ उम्मीद बंधी। यूं तो कई विधाओं में व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया गया, लेकिन जैसे ही मुझे घुड़सवारी का प्रशिक्षण दिया तो मुझे लगा कि मुझे इसी की तलाश थी। अब मेरे जीवन का लक्ष्य यही है। 
- आकांक्षा विश्वकर्मा

मुझे साहसिक खेल ही पसंद हैं। मैं रोजाना सपने में देखती हूं कि मुझे घुड़सवारी के ओलम्पिक का गोल्ड मैडल मिला है। इस सपने को मैं सच भी करना चाहती हूं। 
- ज्योति विश्वकर्मा

मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा अकादमी में चयन हो जाएगा। अब मैं घुड़सवारी में ढेरों पुरस्कार जीतकर फाउंडेशन को गिफ्ट करना चाहती हूं।
- प्रीति वर्मा

लावारिस बच्चों के पुर्नवास के लिए संचालित सरकारी योजनाओं से हटकर, मैं इन बच्चों के लिए कुछ नया करना चाहता था। घुड़सवारी को लेकर सरकारी विभागों के कई अधिकारियों की आलोचनाओं का मुझे सामना करना पड़ा। बच्चों की सफलता ने मेरा सम्मान बरकरार रखा।
- डॉ. समीर चौधरी, 
संचालक चिल्ड्रन होम

Created On :   30 July 2017 11:57 PM IST

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