विडंबना: एम्बुलेंस नहीं मिली तो नवजात शिशु को गोद में लेकर पैदल गांव पहुंची प्रसूता

Irony: if ambulance is not found, the child reaches the village on foot with her newborn
विडंबना: एम्बुलेंस नहीं मिली तो नवजात शिशु को गोद में लेकर पैदल गांव पहुंची प्रसूता
विडंबना: एम्बुलेंस नहीं मिली तो नवजात शिशु को गोद में लेकर पैदल गांव पहुंची प्रसूता



डिजिटल डेस्क उमरिया।  शहडोल संभाग में नवजात शिशुओं की मौत का मामला अभी थमा भी नहीं है कि उमरिया में एक ऐसा मामलों सामने आया है, जिसने सिस्टम पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल यहां नौरोजाबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक नवप्रसूता को एम्बुलेंस नसीब नहीं हो पाई। शिशु को जन्म देने के बाद ठीक  दूसरे दिन ही उसे पैदल ही गांव लौटना पड़ा। शिशु को गोद में लिए नवप्रसूता पगडंडी और पहाड़ी रास्ते से होते हुए करीब 3 किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव मरदरी पहुंची। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने बीएमओ व सीएमएचओ को तलब किया है और मामले की जांच के निर्देश भी दिए है।
प्रसूता की मां चैती बाई बैगा के अनुसार उसकी बेटी बिसरती बाई (22) को मंगलवार 15 दिसंबर को प्रसव पीड़ा हुई। सूचना देने के काफी देर बाद 108 एम्बुलेंस गांव पहुंची, जिससे बिसरती को नौरोजाबाद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गया था। वहां उसने स्वस्थ बालक को जन्म दिया। सब कुछ सामान्य बताकर अगले दिन 16 दिसंबर को उन्हें घर जाने के लिए कह दिया गया। प्रसूता बिसरती अनुसार गांव वापस जाने के लिए उन्होंने एम्बुलेंस की मांग की। इस पर वहां के स्टॉफ गाड़ी खराब होने की बात कही। काफी मिन्नतों के बाद भी जब किसी ने मदद नहीं की, तो उन्होंने निजी वाहन के लिए संपर्क किया। उनसे दो हजार रुपए किराया की मांग की गई, लेकिन इतने पैसे उनके पास नहीं थे। अंतत:  बिसरती अपनी मां के साथ पैदल ही गांव के लिए निकल पड़ी। नौरोजाबाद से कुछ दूर चलने के बाद एक बाइक सवार ने मदद की। उन्हें करीब चार किलोमीटर दूर नागोताल के जंगल तक पहुंचाया। इसके बाद वहां से  करीब 3 किलोमीटर पैदल दुर्गम घाट व पहाड़ी मार्ग पर चलते हुए वह अपने गांव मरदरी पहुंची।
लकड़ी बेचकर घर का गुजारा-
बताया गया है कि नौरोजाबाद से मरदरी गांव करीब 20 किलोमीटर दूर है। प्रसव के उपरांत बिसरती शार्टकट मार्ग पटपरा होते पहाड़ी मार्ग नागोताल से मरदरी पहुंची। इसकी दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। प्रसूता बिसरती बाई ने बताया कि मरदरी गांव आमाडोंगरी से लगा हुआ है। उसकी बेटी बिसरती बाई का विवाह करीब पांच चार साल पहले आमाडोंगरी  निवासी शिवलाल बैगा के साथ हुआ है। शादी के कुछ समय बाद से ही बेटी व दामाद उसके साथ ही मरदरी गांव में रहने लगे हैं। शिवपाल (25) लकड़ी बेचने का काम के अलावा मजदूरी भी करता है। बिसरती व शिवलाल के एक बेटी पहले है। शिवपाल का कहना है कि प्रसव उपरांत अभी तक बच्चे के जन्म की मातृ वंदना योजना की राशि भी नहीं मिल पाई है। हालांकि जच्चा व बच्चा स्वस्थ्य हैं।
दुर्भाग्य पूर्ण है घटना-
 शासन द्वारा इतनी चिकित्सा सुविधा में इतना खर्च करने के बाद भी प्रसूता को पैदल चलना पड़ा, यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना है। मैं इसकी जांच कराता हूं। क्यों गाड़ी खराब बताई गई या उसे उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई। आगे से इसकी पुनरावृत्ति न हो, इसके प्रयास किए जाएंगे।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर उमरिया

Created On :   21 Dec 2020 10:47 PM IST

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