जांजगीर-चांपा : आसन्न संकट से घिरे प्रवासी श्रमिकों में आशाओं की उम्मीद जगाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने

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जांजगीर-चांपा : आसन्न संकट से घिरे प्रवासी श्रमिकों में आशाओं की उम्मीद जगाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने

डिजिटल डेस्क, जांजगीर-चांपा। लाकडाउन के दौरान जिले के एक लाख 15 हजार से अधिक श्रमिकों की सम्मानपूर्वक घर वापसी, क्वारंटीन सेंटर में भोजन,आवास, मनोरंजन, चिकित्सा सहित अन्य जरूरी सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करवाई गईं, अपने श्रम से अपना और देश का भविष्य गढ़ने वाले श्रमवीरों को भी क्या मालूम था कि एक दिन कोरोना जैसी बीमारी अचानक देशभर में तालाबंदी करा देगी और वे जिन बसों, रेलों के सहारे अपनी दो जून की रोटी तलाशने जिस मुकाम पर पहुंचे थे, एक दिन वहां से सबकुछ समेट कर वापस अपने घर को आने कोई रेल या बसें भी नसीब नहीं होंगी। लाॅकडाउन में काम बंद होने से जो कुछ कमाये हुए पैसे हाथ में थे, वह भी एक-एक कर खर्च हो जाएंगे। एकाएक देश में तालाबंदी ने मजदूरों को एक बड़े आसन्न संकट में डाल दिया था। इनके चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं। बेबसी थी और लाचारी भी। कहीं से उम्मीद की कोई किरण उन्हें नजर नहीं आ रही थी। मजदूरों की घर लौटने की आस लगभग समाप्त हो चुकी थी, ऐसे समय में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल ने अन्य राज्यों में फंसे हुए छत्तीसगढ़ के लाखों मजदूरों में उम्मीद की नई किरण लाई। जिले के एक लाख 15हजार 459से अधिक प्रवासी श्रमिकों की वापसी छत्तीसगढ़ सरकार ने श्रम विभाग के माध्यम से अन्य राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को घर वापसी अभियान ही नहीं चलाया, अपितु इनके भोजन और रहने की व्यवस्था भी की। गंभीर संकट के दौर में सरकार द्वारा सुध लिए जाने और घर तक वापस भेजने के लिए राज्य सरकार के माध्यम से रेल, बसें सहित अन्य सहयोग मिलने पर मजदूरों को न सिर्फ बहुत खुशी हुई। उनका भरोसा भी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति बढ़ा । श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार लाक डाउन के दौरान 7लाख से अधिक श्रमिकों की छत्तीसगढ़ में सम्मानपूर्वक वापसी हुई। जिसमें एक लाख 15हजार 459से अधिक प्रवासी श्रमिक जांजगीर-चांपा जिले के थे। इनमें से 49हजार 442प्रवासी श्रमिक श्रमिक स्पेशल ट्रेन से जिले में पहुचें थे। इसके अलावा बस सहित अन्य माध्यमों से भी श्रमिकों की वापसी हुई थी। स्वास्थ विभाग की एडवायजरी के अनुसार जिले में 1,367क्वारेंटीन सेंटर में श्रमिकों को 14दिन क्वांरंटीन किया गया। जहां भोजन,आवास, चिकित्सा, मनोरंजन के साधनों सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई। कोविड काल में मिली चुनौतियों का सामना जिला प्रशासन ने मुस्तैदी से किया। मार्च से जुलाई माह के बीच सबसे बड़ी चुनौती बाहर राज्य में फंसे हुए श्रमिकों की सुरक्षित घर वापसी की थी। श्रम विभाग के माध्यम से इन मजूदरों की संख्या जुटाई गई। मजदूरों के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया। वेबसाइट के माध्यम से घर वापसी के लिए मजदूरों का पंजीयन प्रारंभ किया गया। राज्य सरकार द्वारा स्पेशल ट्रेनें चलाई गई। श्रम विभाग द्वारा लॉकडाउन में छूट के बाद औद्योगिक एवं कारखानों में श्रमिकों को वापस कार्य में रखवाने पहल की गई। मनरेगा के माध्यम से श्रमिकों को गांव में ही काम उपलब्ध करवाया गया। जनसहयोग के माध्यम से राहत शिविर लगाए गए। अनाज बैंकों के माध्यम से खाद्य सामग्रियों का वितरण किया गया। राहत शिविर में मजूदरों के लिए भोजन, चिकित्सा, पेयजल सहित अन्य जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गईं। श्रमिकों के साथ लौटे 6202बच्चें और 1517महिलाओं को आंगनबाड़ी में पंजीयन कर योजना का लाभ दिया गया। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 31हजार 469हितग्राहियों को सूखा राशन और 32हजार 334बच्चों एवं महिलाओं को अन्य पौष्टिक आहार प्रदान किया गया। लाकडाउन की मुश्किल घड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मजदूरों के हित में उठाए गए सामयिक कदम से बहुत वे प्रभावित और अभिभूत हैं। जो संकट के समय साथ निभाए वही सच्चा साथी होता है। जांजगीर-चांपा जिले के सभी प्रवासी श्रमिकों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा की गई इस मदद के लिए उनके प्रति धन्यवाद और आभार व्यक्त किया है।

Created On :   26 Dec 2020 8:36 AM GMT

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