किशन और राधा का मिलन, बढ़ा बाघों का कुनबा 

Kishan and Radha meet, tigers clan increases
किशन और राधा का मिलन, बढ़ा बाघों का कुनबा 
किशन और राधा का मिलन, बढ़ा बाघों का कुनबा 


डिजिटल डेस्क उमरिया। बाघों की नर्सरी के रूप देशभर में प्रसिद्ध बांधवगढ़ एक बार फिर वन्यजीव प्रेमियों की खुशी का कारण बना है। इस बार यह खुशखबरी नौरादेही अभ्यारण से आई है। दरअसल मई 2018 में यहां बाघ पुर्नस्थापना प्रोजेक्ट के तहत बांधवगढ़ से नर बाघ भेजा गया था।  सागर में इसका नाम किशन (एन2) रखा गया था। इसने पेंच टाईगर रिजर्व से आई राधा (एन1) के साथ अपना परिवार बसाया। अब तीन शावक के साथ बाघिन अलग रह रही है। विगत दिवस अभ्यारण प्रबंधन को सुरक्षित शावकों के साथ बाघिन की फोटो लोकेट हुई। इसे सार्वजनिक कर सुरक्षित होने की पुष्टि करते हुए खुशी जाहिर की गई। इसका जश्न बांधवगढ़ में भी है। साथ ही अब राधा से अलग हो चुके किशन के लिए नई बाघिन को फिर से इसी माह भेजा सकता है। 
मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) स्तर से जारी आदेश के अनुसार बांधवगढ़  टाइगर रिजर्व से शिफ्टिंग का प्लान सितंबर 2019 से प्रस्तावित है। ज्यादातर बार खराब मौसम के चलते विलंब हुआ है। अब फिर से अभ्यारण प्रबंधन की टीम ने संपर्क साधा है। जल्द ही वे लोग अपनी रिपोर्ट देंगे फिर अगला निर्णय होगा। सब कुछ ठीक रहा तो जनवरी माह में ही ताला के बहेरहा इंक्लोजर -3 की बाघिन खुले में सांस ले सकेगी।
बाघिन का हो चुका है नामकरण-
नौरादेही अभयारण्य में बांधवगढ़ से भेजी जाने वाली नई बाघिन को लेकर सितंबर 2019 से तैयारियां चल रही हैं। नई बाघिन का नाम एन-3 तक सुझा लिया गया है। इसके पहले तर्क किया गया था कि  नियमानुसार सबसे पहले जो बाघिन सिवनी (मंडला इंक्लोजर में पाला गया) से आई थी उसका नाम एन-1, बांधवगढ़ के बाघ का नाम एन-2 रखा गया था। हालांकि स्टाफ ने स्थानीय नाम राधा-किशन दे दिया था। अब नई बाघिन को भी दस्तावेजों में एन-3 के नाम से जाना जाएगा। ज्ञात हो कि दो वर्ष पूर्व ताला के अरहरिया हार जंगल में तीन शावक लाए गए थे। दुर्घटना में इनकी मां की मृत्यु हो गई थी। तब से इंक्लोजर में इनका लालन पालन चल रहा था। अब दो से ढाई वर्ष के ये शावक वयस्क हो चुके हैं। इनका आचरण भी वाइल्ड हो है। कमेटी ने इसकी रिपोर्ट पहले ही एनटीसीए को पेश कर दी है।  
इसलिए हो रही शिफ्टिंग-
सागर के नौरादेही अभ्यारण से जुड़े सूत्रों की मानें तो शिफ्टिंग की मुख्य वजहों में बांधवगढ़ के बाघ का अकेलापन भी माना गया था। क्योंकि शावको के जन्म के बाद बाघिन अलग हो गई थी। साथ ही इन पर नर बाघ के हमले की भी आशंका थी। इसलिए बांधवगढ़ से ही दूसरी बाघिन को लाने का निर्णय हुआ था। वहीं पूर्व में सिवनी से आई बाघिन ने 7 मई को तीन शावकों को जन्मा था। शुरूआत में ये शावक देखे गए थे। लेकिन फिर बारिश के दौरान जंगल में कीचड़ अधिक होने व अन्य वजहों से कैमरों में भी इनकी तस्वीर सामने नहीं आई थी। अब फोटो मिलने के बाद वहां के अभ्यारण प्रशासन ने राहत की सांस ली है। साथ ही नई बाघिन की शिफ्टिंग को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं। 
इनका कहना है -
नौरादेही में बाघों के पुर्नवास परियोजना में बांधवगढ़ का भी अहम रोल है। हमें इस बात की खुशी है कि वहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। अभी एक बाघिन नौरादेही व दो बाघ सतपुड़ा भेजे जाने हैं। माह के अंत तक मौसम ठीक होने पर यह शिफ्टिंग हो सकती है।
विंसेंट रहीम, संचालक बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व उमरिया।

Created On :   11 Jan 2020 10:05 AM GMT

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