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बांध में गई जमीन, नहीं मिला मुआवजा निर्माण शुरू होने के बाद भी गरीब आदिवासी की सुनवाई नही
डिजिटल डेस्क बाकल । बाकल के समीप कछारगांव मे दस साल के अंतराल के बाद सिंहुड़ी जलाशय का निर्माण शुरु होने से सिंचाई को लेकर भले ही लोगो की आंखों मे उम्मीद की खुशी झलक रही हो लेकिन आदिवासी किसानों का एक तबका ऐसा भी है । जिसका दर्द काम आगे बढऩे के साथ ही बढ़ता जा रहा है । कछारगांव के इन एक दर्जन आदिवासी किसानों का दर्द यह है कि उनकी जमीन सिंहुड़ी जलाशय के डूब क्षेत्र में आयेगी। बावजूद इसके जमीन का मुआवजा नही दिया जा रहा है। आदिवासी किसानों ने एसडीएम , कलेक्टर और मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर जलाशय में डूब में आ रही लगभग 21 एकड़ जमीन का मुआवजा दिये जाने की मांग की है।प्रभावित किसान गुलाब बाई,जगदीश गौंड़ ,संतोष सिंह,गनपत सिंह, जालिम सिंह ,कोमल सिंह, बारेलाल, मनीष मिश्रा ने बताया कि उनके परिवार का भरण पोषण इसी जमीन से हो रहा है। यह जमीन जलाशय निर्माण के बाद डूब मे आ जाने से उनके सामने रोजी रोटी का संकट हो जायेगा। बाकी किसानों को डूब की जमीन को अधिग्रहित कर मुआवजा दिया गया है। लेकिन लगातार आवेदनों के बाद भी अब तक अधिग्रहण और मुआवजे की कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिससे जमीन खो देने का डर सताने लगा हैं। इस संबंध में एसडीओ आरएस नट ने कहा कि मुआवजा वितरण का काम किया जा चुका है। यदि किसी को नहीं मिला है तो जानकारी लेकर सार्थक पहल की जाएगी।
Created On :   4 Nov 2020 6:18 PM IST