लॉक डाउन में पड़ गए खाने के लाले, कुपोषण की चपेट में आ गई मासूम

Locks of food fell in lock down, innocent of malnutrition
लॉक डाउन में पड़ गए खाने के लाले, कुपोषण की चपेट में आ गई मासूम
लॉक डाउन में पड़ गए खाने के लाले, कुपोषण की चपेट में आ गई मासूम


डिजिटल डेस्क उमरिया। लॉकडाउन के चलते गरीबी और अभाव में जीवन काट रहे एक आदिवासी परिवार की मासूम बच्ची कुपोषण की चपेट में आ गई है। आदिवासी बाहुल्य गांजर गांव में मैकू सिंह का परिवार अभावों के साये में जी रहा है। आर्थिक तंगी के चलते उसकी आंखों की रोशनी छिन गई। पत्नी की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। लॉकडाउन में दो माह से खाने-पीने के लाले पड़ गए। इसके चलते मासूम दुधमुंही बेटी अतिकुपोषित हो गई है।
    बिलासपुर चौकी अंतर्गत गांजर गांव में मैकू सिंह (40) अपनी पत्नी सुनीता व चार बच्चों के साथ रहता है। दोनों आंख से दिव्यांग मैकू ने बताया आज से छह साल पहले उसकी हालत ऐसी नहीं थी। आंखों से बराबर दिखाई देता था। अचानक कोई बीमारी ने आंखों को घेरा। आर्थिक तंगी के चलते समय पर इलाज नहीं मिला। लिहाजा अब वह बच्चों व डंडे के सहारे चलने विवश है। बुरे हालातों का साया यहीं तक नहीं थमा पत्नी सुनीता की मानसिक दशा भी इसी दौरान बिगड़ी। अब तो वह कहां जाती है कब आएगी उसे खुद पता नहीं। कभी कभार मां आकर खाने पीने का हाल पूछ जाती है। इसके अलावा 10 वर्षीय बड़ी बेटी के सहारे मासूम का लालन पालन कर रहा है।
पानी पीकर गुजारे कई रात-
आज गांव-गांव लोग पक्के मकान, बिजली व शौचालय की सुविधा पा रहे हैं। मैकू के पास सिर छिपाने के लिए केवल एक कमरे का कच्चा घर है। 10 वर्षीय बड़ी बेटी बताती है उसी में बकरी व मुर्गी के साथ वह रहता है। जीविकोपार्जन का कोई साधन नहीं। बकरी व मुर्गी को बेचकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता है। लॉक डाउन में ऐसी कई रातें आईं जब राशन न होने पर वे लोग पानी पीकर खाली पेट ही रात सो गए। बच्चों की परवरिश मुश्किल हो गई। छोटी बेटी शारीरिक रूप से कमजोर होने के चलते अति कुपोषित हो चुकी है।
इस तरह सामने आई हकीकत-
बेबस गरीब की यह हकीकत उस समय सामने आई जब पुलिस के संकल्प अभियान के दौरान राशन वितरण किया जा रहा था। एसपी स्टेनो देवा माने, चौकी प्रभारी अरूण सिंह परिहार, उमाशंकर व उनकी टीम मैकू के घर पहुंची। जब उन्होंने परिवार की हालत देखी तो उनकी आंखें फटी रह गईं। उसकी मदद करने के लिए पुलिस जवान पैदल कांधे में राशन की बोरी लेकर राशन पहुंचाया।
इनका कहना है-
शासन की संकटापन्न योजना के तहत परिवार की मदद की जाएगी। इसके साथ ही बच्ची की जांच कराई जाएगी। अगर बच्ची कुपोषित है तो उसका एनआरसी में इलाज कराया जाएगा।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर उमरिया

Created On :   7 Jun 2020 5:37 PM GMT

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