- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- वर्धा
- /
- लम्पी - अब तक 40 चपेट में, दो की...
लम्पी - अब तक 40 चपेट में, दो की मृत्यु-पशुपालकों को दी गई आर्थिक सहायता
डिजिटल डेस्क, वर्धा. जिले में अब तक 40 जानवर लम्पी की बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं। योग्य उपचार के कारण उसमें से 16 पशुओं का स्वास्थ ठीक हो गया है। इस समय जिले में लम्पी की बीमारी से बाधित पशुओं की संख्या 22 है। वहीं दुर्भाग्य से आष्टी तहसील में 2 पशुओं की मौत हो गई है। उन पशुपालकों के मालिकों को पशुसंवर्धन विभाग की ओर से आर्थिक सहायता की गई है। जिले के वर्धा, हिंगणघाट, आर्वी, आष्टी व कारंजा तहसील के 20 गांव में लम्पीग्रस्त बीमारी के 40 पशु पाए गए हैं। ऐन दीपावली के समय में किसानों के सामने लम्पी की बीमारी का संकट खड़ा हो गया है। उसमें से उपचार के कारण 16 जानवर स्वस्थ हुए हैं। वहीं 22 जानवर आज भी लम्पी की बीमारी से पीड़ित हैं। लम्पी की बीमारी अधिक न फैले व जानवरों की मौत नहीं होनी चाहिए। इसके लिए शासन की ओर से एहतियात बरते जा रहे हैं। जिले में अब तक लम्पी प्रतिबंधक बीमारी के 1 लाख 85 हजार टीके पशुसंवर्धन विभाग को मिले हैं। 1 लाख 66 हजार 792 पशुओं का टीकाकरण किया गया है। टीकाकरण का काम पशुओं में लक्षण पाए जाने पर पशुसंवर्धन विभाग की ओर से किया जा रहा है। वहीं दुर्भाग्य से आष्टी तहसील में 2 पशुओं की मौत हो गई है। उन पशुओं के मालिकों को शासकीय आर्थिक सहायता की गई है। लम्पी की बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पशुसंवर्धन विभाग आवश्यक एहतियात बरत रहा है। टीकाकरण व उपचार किया जा रहा है। इसके कारण स्थिति नियंत्रण में है।
मृत्यु होने पर प्रस्ताव प्रस्तुत करें : जिले के किसान पहले ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। इसमें भी पशु की मौत होने पर नया संकट खड़ा होता है। इसके कारण पशु की मौत होने पर पशुसंवर्धन विभाग की ओर प्रस्ताव प्रस्तुत करें।
इसके लिए सातबारा व 8 अ प्रमाणपत्र आवश्यक है। साथ ही पशु की मृत्यु का दाखिला व पंचनामा अहवाल जोड़ना आवश्यक हैं। लम्पी की बीमारी से पशुओं की मौत होने पर शासन की ओर से आर्थिक सहायता की जाती है। गाय की मौत होने पर 30 हजार, बैल की मौत होने पर 25 हजार व बछड़े की मौत होने पर 16 हजार रुपए की सहायता की जाती है।
नियंत्रण में है स्थिति
प्रवीण तिखे, सहायक आयुक्त, पशुसंवर्धन विभाग के मुताबिक जिले में लम्पी से ग्रस्त इक्का-दुक्का ही पशु पाए जा रहे हैं। वहीं टीकाकरण व उपचार पर जोर दिया जा रहा है। स्थिति नियंत्रण में है। किसान घबराए नहीं, पशुओं में लक्षण पाए जाने पर पशुसंवर्धन विभाग से संपर्क कर योग्य उपचार करें। तबेले में स्वच्छता रखने के साथ ही पशुओं को भी स्वच्छ रखें।
Created On :   10 Oct 2022 8:03 PM IST