सतपुड़ा टाईगर रिजर्व पहुंचते ही शिकार किया बांधवगढ़ के नर बाघ ने 

Male tiger of Bandhavgarh hunted as soon as he reached Satpura Tiger Reserve
सतपुड़ा टाईगर रिजर्व पहुंचते ही शिकार किया बांधवगढ़ के नर बाघ ने 
सतपुड़ा टाईगर रिजर्व पहुंचते ही शिकार किया बांधवगढ़ के नर बाघ ने 

डिजिटल डेस्क उमरिया। मां से बिछुडऩे के बाद बाड़े में बचपन बिताने वाले नर व मादा बाघ  मंगलवार को सतपुड़ा टाईगर रिजर्व में आजाद हो गए।  सतपुड़ा में किल करके उपस्थिति दर्ज कराकर नर बाघ ने यह सिद्ध कर दिया कि यहां कि आवोहवा उसे रास आ रही है ।  रेस्क्यू करने वाली सँयुक्त टीम ने भी राहत की सांस ली है ।अब सामान्य बाघों की तरह ये दोनों सतपड़ा में अपना नया कुनबा बसा सकेंगे। इनके अलावा इनके परिवार का तीसरा सदस्य भी इनके पास भेजा जाना है। संभवत: अगले माह फरवरी में उसकी शिफ्टिंग होगी। बहरहाल एक दिन पूर्व सोमवार की देर शाम तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद पार्क अमले ने राहत की सांस ली है। होशंगाबाद में बाघों के साथ भेजे गए डॉक्टरों के दल ने वहां से ओके रिपोर्ट दे दी है।
पार्क प्रबंधन की मानें तो रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारियां एक दिन पहले ही पूर्ण कर ली गईं थी। सतपुड़ा से सहायक वन्यजीव शल्य चिकित्सक के नेतृत्व में आठ सदस्यी टीम पहुंची थी। वहीं बांधवगढ़ से 15-20 लोग ताला के बहेरहा इंक्लोजर पहुंचे थे।  पहले मादा बाघिन की गतिविधियां पर नजर रखी गई। फिर हाथी की सहायता से उसे टं्रक्यूलाइज किया गया। इसी तरह बहेरहा के इंक्लोजर क्रमांक 2 मेे नर बाघ था। नर फेंसिंग के नजदीक होने के चलते एक डॉट देकर अचेत किया गया। फिर सुरक्षित लोहे के पिंजरे में डालकर रिकवर होने की दवा दी गई। यह पूरा अभियान सोमवार दोपहर एक बजे से प्रारंभ हुआ। चार घंटे की मेहनत के बाद सुरक्षित व स्वस्थ्य हालत में दोनों बाघों को पिंजरे में डाल कर वाहन में रख लिया गया।
लगाया रेडिया कॉलर
शिफ्टिंग के लिए दोनों टाईगर रिजर्वों से एक्सपट्र्स की टीम मौजूद रही। इसमे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम के मार्गदर्शन में कार्य आरंभ हुआ। वन्यजीव की देखरेख के लिए चिकित्सकों का दल मौजूद था। इसमे सीधी टाईगर रिजर्व के डॉक्टर डॉ. अभय सेंगर, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के सहायक वन्यजीव शल्य सेंटर फार वाईल्ड लाईफ  फारेंसिक एण्ड हेल्थ सेंटर जबलपुर से आए डॉ अमोल रोकड़े ने बाघों को निश्चेतन की जिम्मेदारी सम्भाली। सेम्पल लेने के बाद दोनों को रेडियो कॉलर लगाया गया। ताकि जंगल में छोडऩे के बाद इनकी गतिविधियों पर सतत नजर रखी जा सके। टीम के अन्य सदस्यों में उप वनमण्डलाधिकारी पनपथा एके. शुक्ला, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से आए उपवनमण्डलाधिकारी राकेश निराकुरे, प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी मगधी विजयशंकर श्रीवास्तव, टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के सदस्य उपस्थित रहे। इसी तरह प्रशिक्षित हाथियों में हाथी अष्टम, रामा, तूफान तथा सुंदरगज ने टं्रक्यूलाइज व घेरने में भूमिका निभाई।
नई कनकटी की हैं संताने
सतपड़ा भेजे गए बाघों में नर व मादा दोनों टी-35 बाघिन की संतानें हैं। इनकी मां को राजबहरा व नई कनकटी के नाम से जाना जाता है। इनके कुनबे में प्रसिद्ध बाघ बमेरा टी-37 नर बाघ हुआ करता था। भेजे गए बाघों में नर की उम्र 2 वर्ष 11 माह की है। इसे ताला बीट के उत्तर गोहड़ी अरहरिया इंक्लोजर में पहले रखा गया था। फिर 10 मार्च 2019 को बहेरहा में लाया गया। यहां उसने तकरीबन 9 माह फेंसिंग की कैद में बिताए। इसी तरह फीमेल को 8 माह इंक्लोजर में रख गया। स्वतंत्र टीम की रिपोर्ट के बाद नवंबर 2019 में इन्हें भेजा जाना था। खराब मौसम के चलते सतपुड़ा में रास्ता खराब होने के चलते समय सीमा बदली गई।
इनका कहना है -
सतपुड़ा भेजे गए बाघों में हमारे चिकित्सक भी हैं। वहां सुरक्षित पहुंचने के बाद दोनों बाघ को जंगल में छोड़ दिया गया है। एक अन्य नर को भी सतपुड़ा जल्द भेजा जाना है।
विंसेंट रहीम, क्षेत्र संचालक बांधवगढ़
 

Created On :   29 Jan 2020 9:29 AM GMT

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