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मणिपुर स्थानीय शहरी निकाय सुधारों को पूरा करने वाला चौथा राज्य बन गया है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय मणिपुर स्थानीय शहरी निकाय सुधारों को पूरा करने वाला चौथा राज्य बन गया है, राज्य को 75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार जुटाने की अनुमति दी गई है शहरी स्थानीय निकाय सुधारों को पूरा करने वाले 4 राज्यों को अब तक 7,481 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधार जुटाने की अनुमति दी गई है मणिपुर व्यय विभाग, वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यों को भेजे गए अपने पत्र दिनांक 17 मई, 2020 में निर्धारित "शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी)" सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला चौथा राज्य बन गया है। इस प्रकार राज्य खुले बाजार ऋण के माध्यम 75 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने का हकदार हो गया है। इसके लिए व्यय विभाग द्वारा 11 जनवरी, 2021 को अनुमति जारी की गई है। इस प्रकार मणिपुर उन तीन राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के साथ शामिल हो गया है, जिन्होंने यह सुधार पूरा कर लिया है। शहरी स्थानीय निकायों के सुधार पूरा करने पर इन चार राज्यों को 7,481 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार जुटाने की अनुमति दी गई है। अनुमति दिए गए अतिरिक्त उधार की राज्यवार राशि इस प्रकार है: क्रम संख्या राज्य राशि (करोड़ रुपये में) 1. आंध्र प्रदेश 2,525 2. मध्य प्रदेश 2,373 3. मणिपुर 75 4. तेलंगाना 2,508 शहरी स्थानीय निकायों में सुधार और शहरी उपयोगिताओं में सुधारों का उद्देश्य राज्यों में यूएलबी को वित्तीय रूप से मजबूत बनाना और उन्हें बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाना है। आर्थिक रूप से पुनर्जीवित किए गए यूएलबी भी बेहतर नागरिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सक्षम होंगे। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए व्यय विभाग द्वारा निर्धारित सुधार इस प्रकार हैं:- (i) राज्य (ए) यूएलबी में संपत्ति दर की मंजिल दरों को अधिसूचित करेंगे जो मौजूदा सर्किल दरों के अनुरूप (यानी संपत्ति लेनदेन के लिए दिशा-निर्देश दर) हों। (बी) राज्य जल आपूर्ति, जल निकासी और सीवरेज के प्रावधान के संबंध में उपयोगकर्ता प्रभारों की मंजिल दरों को अधिसूचित करेगा, जो मौजूदा लागत और पिछली महंगाई को दर्शाती हों। (ii) राज्य मूल्यों में बढ़ोतरी के अनुरूप संपत्ति कर उपयोगकर्ता प्रभारों की मंजिल दरों में समय-समय वृद्धि करने की प्रणाली स्थापित करेगा। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक संसाधनों की जरूरत को देखते हुए भारत सरकार ने 17 मई, 2020 को राज्यों को उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 2 प्रतिशत उधार सीमा बढ़ाई थी। इस विशेष वितरण का 50 प्रतिशत राज्यों द्वारा नागरिक केंद्रित सुधारों को शुरू करने से जुड़ा था। राज्यों को प्रत्येक क्षेत्र में सुधारों को पूरा करने पर उनके जीएसडीपी के 0.25 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त निधियां जुटाने की अनुमति दी गई है। सुधारों के लिए पहचान किए गए चार नागरिक केंद्रित क्षेत्र इस प्रकार हैं- (ए) वन नेशन वन राशन कार्ड प्रणाली लागू करना (बी) व्यापार को आसान बनाने के सुधार, (सी) शहरी स्थानीय निकाय/उपयोगिता सुधार (डी) विद्युत क्षेत्र सुधार। अब तक 10 राज्यों ने वन नेशन, वन राशन कार्ड प्रणाली लागू की है। 7 राज्यों ने व्यापार को आसान बनाने के सुधार लागू किए हैं और 4 राज्यों ने स्थानीय निकाय सुधार किए हैं। सुधार करने वाले इन राज्यों को अब तक 54,265 करोड़ रुपये का कुल अतिरिक्त उधार जुटाने की अनुमति दी गई है।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।